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उर्जान्चल में कई स्थानों के बस स्टैंड कहने को तो बस स्टैंड है, पर हकीकत तो ये है कि विभिन्न दिशाओं में जाने वाली अधिकाँश सवारियां बस स्टैंड के बाहर पान दुकानों एवं चाय की दुकानों को बस स्टैण्ड बना चुकी है व सवारिया हमेषा वही खड़ी मिलती है। बस स्टैंड के सामने की पान दुकानों एवं चाय की दुकाने ही सवारियों को बिठाने और उतारने के लिए प्रयोग में लायी जाती है। अगर बस स्टैंड में यात्रियों के लिए मौजूद सुविधाओं की बात की जाय तो यहाँ ऐसा कुछ नही है। दुकानें भी नहीं उपलब्ध है तथा पुरुष तथा महिला यात्रियों के न तो यहाँ बैठने की व्यवस्था है और न ही कोई बाथरूम, यात्रीगण अपने बैग और ब्रीफकेश पर बैठकर काम चलाते हैं। यहाँ बाथरूम नहीं रहने से लोग यत्र-तत्र दीवार पर पेशाब करते नजर आ सकते हैं। दुखद स्थिति यह है कि वही आपको सटे चाय की दुकान मिलेगी जहाँ लोग बैठकर चाय की चुस्कियों के बीच आने वाली सवारी का इन्तजार करते रहते हैं।
बताया जाता है कि प्रतिवर्ष बस स्टैंड का टेंडर होता है, प्रशासन भी टेंडर करवाने के बाद अपनी जिम्मेवारी की इतिश्री मान लेती है। यात्रियों की परेशानी से किसी को कोई लेना देना नहीं होता है। आवश्यकता है जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की ताकि उर्जान्चल के बस स्टैंड की सेहत में सुधार आ सके
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