उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष वर्ष १९७८ में ३१३० मे.वा. की अनपरा तापीय परियोजना के निर्माण हेतु कुल ५०७६ एकड़ भूमि अधिग्रहित की गयी जिसमें सात ग्राम सभाओं की किसानों की ३१०६.४८७ एकड़ कृषि योग्य भूमि भी अधिग्रहित की गयी। भूमि अधिग्रहण से कुल १३०७ परिवार प्रभावित हुए जिसमें ८० प्रतिशत लोगों की शत-प्रतिशत कृषि योग्य भूमि अधिग्रहित कर ली गयी।
भूमि अधिग्रहण में ८९८ लोगों के मकान भी प्रभावित-अधिग्रहित की गयी। अधिग्रहण के पश्चात तत्कालीन सरकार द्वारा विस्थापित-प्रभावित परिवारों को परियोजना में स्थायी सेवायोजन एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने की बाबत विनियमावली बनायी गयी तथा समझौते किये गये परन्तु अभी तक सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली एवं किये गये समझौतों का अनुपालन तीन दशक बाद भी सुनिश्चित नहीं किया जा सका है। परियोजना द्वारा पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट की सुविधा से वंचित बचे विस्थापित परिवारों व उनके सदस्यों पर उत्तर-प्रदे’ा सरकार द्वारा वर्तमान में पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट नीति २०१० का भी अनुपालन नहीं किया जा रहा है जिससे उत्तर-प्रदे’ा सरकार द्वारा घो”िात पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट नीति २०१० की सार्थकता पर प्र’न चिन्ह खड़ा कर दिया है। पूर्व में विस्थापितों द्वारा किये गये आन्दोलन उपरान्त किये गये किसी भी समझौते का अनुपालन नहीं सुनि’िचत किया जा रहा है। निगम की इस तानाशाही एवं भेदभाव वाली नीति का सर्वाधिक असर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के परिवारों पर पड़ा है जिससे आज दसो हजार विस्थापित आदिवासी-दलित परिवार भूखों मरने के कगार पर खड़ा है और सरकारी उपेक्षा से उनमें आक्रोश दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उत्तर-प्रदेश सरकार विस्थापित परिवारों से वायदा खिलाफी कर उनसे बन्दूक के बल पर सत्ता की हनक से उनके हक-हकूक को छीनना चाहती है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। बार-बार विभिन्न संगठनों एवं राजनैतिक दलों के माध्यम से शासन एवं प्रशासन को अवगत कराया गया है परन्तु सारे प्रयास विस्थापितों को न्याय नहीं दिला पाये।
विसथापितों की प्रमुख मांगें:-
उत्तर-प्रदेश राज्य विद्युत परिषद (भूमि अध्यापित से प्रभावित परिवार के सदस्य की नियुक्ति) विनियम १९८७ के तहत सभी शेष बचे विस्थापितों को अविलम्ब स्थायी सेवायोजन दिया जाये तथा वर्तमान में पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट से वंचित विस्थापित परिवारों को उत्तर-प्रदे’ा सरकार द्वारा घो”िात पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट नीति २०१० के तहत घो”िात उनके हितों@लाभ का अनुपालन सुनि’िचत कराया जाये। परियोजना द्वारा जिन आधारों पर पूर्व में मकान एवं ५० प्रतिशत से कम भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले परिवार के सदस्यों को स्थायी सेवायोजन दिया गया है उन्ही आधारों पर शेष बचे भू-विस्थापित एवं मकानों के अधिग्रहण से प्रभावित परिवार के एक सदस्य को स्थायी सेवायोजन दिया जाये। परियोजना के शेष बचे विस्थापित जिन्हे दो दशक तक परियोजना द्वारा छला गया एवं स्थायी सेवायोजन से विमुख रखा गया उन्हे विस्थापन भत्ता एक मुश्त दिया जाये। परियोजना द्वारा कैजुवल एवं अन्य आधारों पर नियुक्त किये गये विस्थापित परिवार के सदस्यों को विस्थापित कोटे में दिये गये सेवायोजन की सूची में सम्मिलित न करते हुए उनके परिवार के सदस्यों को विस्थापनोपरान्त मिलने वाले सेवायोजन एवं लाभ दिये जाये। जनवरी २९, २००८ को अनपरा तापीय परियोजना के अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों तथा विस्थापित प्रतिनिधियों/जनप्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता के सम्बन्ध में लिये गये निर्णय के अनुसार स्थायी सेवायोजन के मुद्दे पर मुख्यालय के सक्षम अधिकारी/प्रमुख सचिव र्जा की उपस्थिति में त्रिपक्षीय वार्ता करायी जाये। उत्तर-प्रदेश राज्य विद्युत परिषद (भूमि अध्यापित) से प्रभावित परिवार के सदस्य की नियुक्ति (प्रथम संशोधन) विनियमावली-१९९४ जो कि अवैधानिक है उसे तत्काल वापस लिया जाये। अनपरा तापीय परियोजना के लिये भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों को नियमानुसार शेष बचा मुआवजा अविलम्ब ब्याज सहित दिया जाये। अनपरा तापीय परियोजना के जिन बचे विस्थापितों@मकान प्रभावित परिवारों को जिन्हे आवासीय प्लाट नहीं दिया गया है उन्हे आज की तिथि में बढ़े परिवार की संख्या के अनुसार प्लाण्ट दिया जाये। कैमूर सर्वे प्रक्रिया के अनुसार न्यायालय सहायक अभिलेख अधिकारी के आदेशानुसार सभी परिवारों कोे जिनकी भूमि परियोजना द्वारा अधिग्रहित कर ली गयी है उन्हे नियमानुसार प्रतिकर एवं स्थायी सेवायोजन दिया जाये। वनाधिकार अधिनियम २००६ के तहत ग्राम पिपरी एवं बेलवादह के आदिवासियों@अनुसूचित जनजाति के परिवारों को दी गयी जमीनों पर परियोजना को बल पूर्वक कार्य करने से रोका जाये तथा ऐसे परिवारों की भूमि पर निर्माण कार्य कराने से पूर्व अनुसूचित जनजाति के भूमि अधिग्रहण के सन्दर्भ में केन्द्र सरकार द्वारा जारी दि’ाा-निर्दे’ाों एवं उत्तर-प्रदे’ा सरकार द्वारा घो”िात पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट नीति २०१० का अनुपालन सुनि’िचत किया जाये। निर्माणाधीन अनपरा ‘सी’ एवं ‘डी’ परियोजना में सृजित होने वाले कुशल/अद्र्धकुशल/अकुशल श्रेणी के कार्य के लिए विस्थापित/परियोजना प्रभावित परिवारों के लिये ५० प्रतिशत आरक्षण दिया जाये तथा परियोजना द्वारा विस्थापित/प्रभावित परिवारों के सदस्यों को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उन्हे योग्यतानुसार रोजगार उपलब्ध कराया जाये तथा १०.४.२०१० को अ.ता.वि.गृह अनपरा प्र’ाासन, लेन्को अनपरा पावर कम्पनी प्र’ाासन व विस्थापित प्रतिनिधियों के मध्य हुई वार्ता में बिन्दु संख्या १२,१४ में लिये गये निर्णय का अनुपालन सुनि’िचत कराया जाये।निर्माणाधीन अनपरा ‘सी’ एवं ‘डी’ परियोजना में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराया जाये। अनपरा तापीय परियोजना के विस्थापित प्रतिनिधियों, प्रबन्धन एवं प्रशासन की एक त्रिपक्षीय सेल बनायी जाये जो विस्थापितों के सेवायोजन@अस्थायी सेवायोजन एवं अन्य बिन्दुओं पर आवश्यक पहल करे। अनपरा परियोजना के निर्माणाधीन ‘डी’ परियोजना क्षेत्र में स्थायी रूप से निवास कर रहे विस्थापित परिवारों को बिना सेवायोजन एवं प्लाट उपलब्ध कराये उन्हे बल पूर्वक नहीं हटाया जाये। दिनांक १३ नवम्बर, २०१० को आदिवासी-विस्थापित श्रमिक नेता राम दुलारे पनिका के अपहरण एवं उसके हत्या के प्रयास में लिप्त निजी औद्योगिक घरानों के ‘ाीर्”ा अधिकारियों एवं सम्बन्धित ठेकेदारों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई कर उन्हे जेल भेजा जाये तथा क्षेत्र में विस्थापितों एवं श्रमिकों का नेतृत्व करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की जानमाल की सुरक्षा सुनि’िचत की जाये। वर्षों से बार-बार विस्थापितों के आन्दोलन को बल पूर्वक दबाने का प्रयास किया गया तथा प्रशासनिक हस्तक्षेप से होने वाले समझौतों का अनुपालन नहीं सुनिश्चित किया गया जिससे हजारों आदिवासियों@दलित परिवारों के समक्ष भूखों मरने की समस्या खड़ी हो रही है ऐसे में अनपरा-सी एवं डी परियोजना में कार्यरत ठेकेदारी मजदूरों द्वारा स्वत: कार्य बहि”कार किया गया तथा विस्थापित एवं श्रमिक प्रतिनिधि के साथ घटित दुर्घटना का विरोध दर्ज कराया जा रहा है।
भूमि अधिग्रहण में ८९८ लोगों के मकान भी प्रभावित-अधिग्रहित की गयी। अधिग्रहण के पश्चात तत्कालीन सरकार द्वारा विस्थापित-प्रभावित परिवारों को परियोजना में स्थायी सेवायोजन एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने की बाबत विनियमावली बनायी गयी तथा समझौते किये गये परन्तु अभी तक सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली एवं किये गये समझौतों का अनुपालन तीन दशक बाद भी सुनिश्चित नहीं किया जा सका है। परियोजना द्वारा पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट की सुविधा से वंचित बचे विस्थापित परिवारों व उनके सदस्यों पर उत्तर-प्रदे’ा सरकार द्वारा वर्तमान में पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट नीति २०१० का भी अनुपालन नहीं किया जा रहा है जिससे उत्तर-प्रदे’ा सरकार द्वारा घो”िात पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट नीति २०१० की सार्थकता पर प्र’न चिन्ह खड़ा कर दिया है। पूर्व में विस्थापितों द्वारा किये गये आन्दोलन उपरान्त किये गये किसी भी समझौते का अनुपालन नहीं सुनि’िचत किया जा रहा है। निगम की इस तानाशाही एवं भेदभाव वाली नीति का सर्वाधिक असर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के परिवारों पर पड़ा है जिससे आज दसो हजार विस्थापित आदिवासी-दलित परिवार भूखों मरने के कगार पर खड़ा है और सरकारी उपेक्षा से उनमें आक्रोश दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उत्तर-प्रदेश सरकार विस्थापित परिवारों से वायदा खिलाफी कर उनसे बन्दूक के बल पर सत्ता की हनक से उनके हक-हकूक को छीनना चाहती है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। बार-बार विभिन्न संगठनों एवं राजनैतिक दलों के माध्यम से शासन एवं प्रशासन को अवगत कराया गया है परन्तु सारे प्रयास विस्थापितों को न्याय नहीं दिला पाये।
विसथापितों की प्रमुख मांगें:-
उत्तर-प्रदेश राज्य विद्युत परिषद (भूमि अध्यापित से प्रभावित परिवार के सदस्य की नियुक्ति) विनियम १९८७ के तहत सभी शेष बचे विस्थापितों को अविलम्ब स्थायी सेवायोजन दिया जाये तथा वर्तमान में पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट से वंचित विस्थापित परिवारों को उत्तर-प्रदे’ा सरकार द्वारा घो”िात पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट नीति २०१० के तहत घो”िात उनके हितों@लाभ का अनुपालन सुनि’िचत कराया जाये। परियोजना द्वारा जिन आधारों पर पूर्व में मकान एवं ५० प्रतिशत से कम भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले परिवार के सदस्यों को स्थायी सेवायोजन दिया गया है उन्ही आधारों पर शेष बचे भू-विस्थापित एवं मकानों के अधिग्रहण से प्रभावित परिवार के एक सदस्य को स्थायी सेवायोजन दिया जाये। परियोजना के शेष बचे विस्थापित जिन्हे दो दशक तक परियोजना द्वारा छला गया एवं स्थायी सेवायोजन से विमुख रखा गया उन्हे विस्थापन भत्ता एक मुश्त दिया जाये। परियोजना द्वारा कैजुवल एवं अन्य आधारों पर नियुक्त किये गये विस्थापित परिवार के सदस्यों को विस्थापित कोटे में दिये गये सेवायोजन की सूची में सम्मिलित न करते हुए उनके परिवार के सदस्यों को विस्थापनोपरान्त मिलने वाले सेवायोजन एवं लाभ दिये जाये। जनवरी २९, २००८ को अनपरा तापीय परियोजना के अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों तथा विस्थापित प्रतिनिधियों/जनप्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता के सम्बन्ध में लिये गये निर्णय के अनुसार स्थायी सेवायोजन के मुद्दे पर मुख्यालय के सक्षम अधिकारी/प्रमुख सचिव र्जा की उपस्थिति में त्रिपक्षीय वार्ता करायी जाये। उत्तर-प्रदेश राज्य विद्युत परिषद (भूमि अध्यापित) से प्रभावित परिवार के सदस्य की नियुक्ति (प्रथम संशोधन) विनियमावली-१९९४ जो कि अवैधानिक है उसे तत्काल वापस लिया जाये। अनपरा तापीय परियोजना के लिये भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों को नियमानुसार शेष बचा मुआवजा अविलम्ब ब्याज सहित दिया जाये। अनपरा तापीय परियोजना के जिन बचे विस्थापितों@मकान प्रभावित परिवारों को जिन्हे आवासीय प्लाट नहीं दिया गया है उन्हे आज की तिथि में बढ़े परिवार की संख्या के अनुसार प्लाण्ट दिया जाये। कैमूर सर्वे प्रक्रिया के अनुसार न्यायालय सहायक अभिलेख अधिकारी के आदेशानुसार सभी परिवारों कोे जिनकी भूमि परियोजना द्वारा अधिग्रहित कर ली गयी है उन्हे नियमानुसार प्रतिकर एवं स्थायी सेवायोजन दिया जाये। वनाधिकार अधिनियम २००६ के तहत ग्राम पिपरी एवं बेलवादह के आदिवासियों@अनुसूचित जनजाति के परिवारों को दी गयी जमीनों पर परियोजना को बल पूर्वक कार्य करने से रोका जाये तथा ऐसे परिवारों की भूमि पर निर्माण कार्य कराने से पूर्व अनुसूचित जनजाति के भूमि अधिग्रहण के सन्दर्भ में केन्द्र सरकार द्वारा जारी दि’ाा-निर्दे’ाों एवं उत्तर-प्रदे’ा सरकार द्वारा घो”िात पुर्नवास एवं पुर्नबसाहट नीति २०१० का अनुपालन सुनि’िचत किया जाये। निर्माणाधीन अनपरा ‘सी’ एवं ‘डी’ परियोजना में सृजित होने वाले कुशल/अद्र्धकुशल/अकुशल श्रेणी के कार्य के लिए विस्थापित/परियोजना प्रभावित परिवारों के लिये ५० प्रतिशत आरक्षण दिया जाये तथा परियोजना द्वारा विस्थापित/प्रभावित परिवारों के सदस्यों को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उन्हे योग्यतानुसार रोजगार उपलब्ध कराया जाये तथा १०.४.२०१० को अ.ता.वि.गृह अनपरा प्र’ाासन, लेन्को अनपरा पावर कम्पनी प्र’ाासन व विस्थापित प्रतिनिधियों के मध्य हुई वार्ता में बिन्दु संख्या १२,१४ में लिये गये निर्णय का अनुपालन सुनि’िचत कराया जाये।निर्माणाधीन अनपरा ‘सी’ एवं ‘डी’ परियोजना में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराया जाये। अनपरा तापीय परियोजना के विस्थापित प्रतिनिधियों, प्रबन्धन एवं प्रशासन की एक त्रिपक्षीय सेल बनायी जाये जो विस्थापितों के सेवायोजन@अस्थायी सेवायोजन एवं अन्य बिन्दुओं पर आवश्यक पहल करे। अनपरा परियोजना के निर्माणाधीन ‘डी’ परियोजना क्षेत्र में स्थायी रूप से निवास कर रहे विस्थापित परिवारों को बिना सेवायोजन एवं प्लाट उपलब्ध कराये उन्हे बल पूर्वक नहीं हटाया जाये। दिनांक १३ नवम्बर, २०१० को आदिवासी-विस्थापित श्रमिक नेता राम दुलारे पनिका के अपहरण एवं उसके हत्या के प्रयास में लिप्त निजी औद्योगिक घरानों के ‘ाीर्”ा अधिकारियों एवं सम्बन्धित ठेकेदारों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई कर उन्हे जेल भेजा जाये तथा क्षेत्र में विस्थापितों एवं श्रमिकों का नेतृत्व करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की जानमाल की सुरक्षा सुनि’िचत की जाये। वर्षों से बार-बार विस्थापितों के आन्दोलन को बल पूर्वक दबाने का प्रयास किया गया तथा प्रशासनिक हस्तक्षेप से होने वाले समझौतों का अनुपालन नहीं सुनिश्चित किया गया जिससे हजारों आदिवासियों@दलित परिवारों के समक्ष भूखों मरने की समस्या खड़ी हो रही है ऐसे में अनपरा-सी एवं डी परियोजना में कार्यरत ठेकेदारी मजदूरों द्वारा स्वत: कार्य बहि”कार किया गया तथा विस्थापित एवं श्रमिक प्रतिनिधि के साथ घटित दुर्घटना का विरोध दर्ज कराया जा रहा है।
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