ः-सोनभद्र के
क्रिटिकली प्ल्यूटेड एरिया में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वरदान साबित हो
सकता था डीएमएफ का गठन।
ः-सोनभद्र से सटे
मध्य प्रदेष के सिंगरौली जनपद को मिला डीएमएफ के मद में 218.69 करोड़, वहीं सोनभद्र नहीं
पा पाया फुटी कौड़ी।
ः-एनसीएल के पास मई
2016 तक जनपद-सोनभद्र के डीएमएफ के हिस्से का 43.82 करोड़ पड़ा है लम्बित,
अभी
तक सोनभद्र जिला प्रषासन डीएमएफ का खाता एनसीएल को नहीं करा पाई उपलब्ध।
यूपी की तरफ से एनएमईटी का एकाउंट मिला है, जिसमे हर माह धनराशि भेजी जा रही है। डीएलएफ का एकाउंट नहीं जिला है। जैसे ही इसका एकाउंट मिलेगा, सम्बन्धित धनराशि स्थानांतरित कर दी जाएगी। -सीरज कुमार सिंह, प्रवक्ता, एनसीएल।
मेरी जानकारी में पीएम खनिज क्षेत्र कल्याण योजना मद में हर माह धनराषि आ रही है। अगर इसके अलग से कोई नियम है तो उसकी जानकारी कर जरूरी कदम उठाये जायेंगे। -सीबी सिंह, डीएम, सोनभद्र।
खनन गतिविधियों व
खनन उत्पादों के अभिवहन से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों जहां बड़े पैमाने पर खनन
गतिविधियों के लिए लाखों-लाख लोगों का विस्थापन होता है दूसरी ओर खनन व खनन
सम्बंधित गतिविधियों से आस-पास के क्षेत्रों के पर्यावरण व आस- पास के लोगों के
स्वास्थ्य पर प्रतिकुल असर पड़ता है। लम्बे समय से खनन प्रभावित क्षेत्रों के
पर्यावर्णीय सुधार व स्वास्थ्य सेवाओं व सामाजिक अर्थव्यवस्था को सबल किये जाने
हेतु विषेष पैकेज की माँग खनन प्रभावित क्षेत्रों में उठ रही थी। केन्द्र सरकार ने
खनन से प्रभावित क्षेत्रों के परिस्थितियों का आकलन करने के पष्चात माइंस एण्ड
मिनरल एक्ट 1957 में वर्ष 2015 में संषोधन कर खनन गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्रों के सामाजिक एवं
आर्थिक उन्नयन के दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना 12 जनवरी 2015 से लागू की। जिसमें
खनन एवं खनन गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्रों में प्रभावित लोगों को प्राथमिकता
के आधार पर पाइप लाईन के माध्यम से शुद्ध पेयजल, प्रदूषण नियंत्रण
हेतु विभिन्न उपाय, स्वास्थ्य सम्बंधी सेवाओं का सबल करना, खनन प्रभावित
क्षेत्रों मे निवासरत लोगों का सामूहिक स्वास्थ्य बीमा, खनन प्रभावित
क्षेत्रों में साफ-सफाई, नाली का निर्माण, सीवेज ट्रीटमेंट
प्लांट, जनउपयोग हेतु बायो ट्व्यालेट की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए खनन एवं खनन
गतिविधियों से प्रभावित हर जिले में डीएमएफ का गठन किये जाने का निर्देंष भारत
सरकार द्वारा 16 सितम्बर 2015 को ही दिया गया था। जिसके बाद राज्य सरकारों को डीएमएफ रूल्स बनाकर खनन
प्रभावित क्षेत्रों में जिला खनिज फाउण्डेषन का गठन करना था।
जिसमे सम्बंधित जिलों में होने वाले खनन में सभी निकायों को जिन्हे खनन
के लिए पट्टे 12 जनवरी 2015 से पूर्व जारी किये गये है को देय रायल्टी का 30 फीसदी हिस्सा तथा 12
जनवरी
2015 के बाद जो खनन पट्टे निलामी के जरिये दिये गये है उन्हें रायल्टी का 10
फीसदी
हिस्सा डीएमएफ को देना होगा। जिससे खनन एवं खनन गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्रों
मे शुद्ध पेयजल, पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ अन्य विकासात्मक एवं कल्याणकारी परियोजनाओं
का निर्माण एवं संचालन होता। उत्तर प्रदेष के अलावा सारे प्रदेषों में राज्य
सरकारों ने अपने-अपने यहाँ खनन प्रभावित जिलों में डीएमएफ का गठन कर लिया वहीं
जनपद-सोनभद्र से सटे मध्य प्रदेष के सिंगरौली जनपद में अक्टूबर 2015 में ही डीएमएफ का
गठन किया जा चुका है और उसे नार्दन कोलफिल्ड्स लिमिटेड द्वारा मई 2016 तक 218.6 करोड़ रूपये डीएमएफ
के मद में दिया जा चुका है दुसरी तरफ सोनभद्र में डीएमएफ का गठन न होने के कारण मई,
2016 तक एनसीएल के पास 43.82 करोड़ रूपये लम्बित पड़े है, जिसको लेकर प्रदेष
सरकार मौन है। महत्वपूर्ण है कि जनपद-सोनभद्र जो
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आकड़ों के अनुसार हिन्दूस्तान का तीसरा
सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र है जहां एक ओर पेयजल के श्रोतों में बड़ी मात्रा में
फ्लोराइड जिले के 80 प्रतिषत हिस्सों को प्रभावित कर रही है जिससे बड़े पैमाने पर लोगों मे
विकलांगता जैसी बिमारी फैल रही है वहीं सैकड़ो लोग काल के गाल मे समा चुके है। वहीं
दूसरी ओर पेयजल स्त्रोतों में लेड, मरकरी, आर्सेनिक व कैडमियम
मानक से ज्यादा होने तथा कोयला, राख एवं पत्थरों के खनन एवं अभिवहन से
लोगों को सिलीकोसिस जैसी गम्भीर बिमारियां होने की पुष्टि एनजीटी द्वारा गठित
पर्यावरण विषेषज्ञों के दल ने की है व एनजीटी को अपनी विस्तृत रिर्पोट में सोनभद्र
में व्याप्त प्रदूषण की भयावहता से अवगत कराया है।
एनजीटी के आदेष व विषेषज्ञों के
रिर्पोट पर गौर करे तो पूरे क्रिटिकल प्यूलेटेड एरिया जो जनपद के 63 प्रतिषत क्षेत्रफल
से ज्यादा है में आरओ स्थापित कर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने, सड़कों पर कोयले,
राख
व अन्य खनन उत्पादों के अभिवहन से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किये जाने हेतु
सड़का का फोरलेन व पटरियों का निर्माण के साथ-साथ प्रदूषण प्रभावित लोगों को बेहतर
स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराये जाने हेतु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृृढ़ किये जाने का
निर्देंष दिया था पर मुक्कमल बजट न होने के कारण सारी योजनायें कागजो तक ही सिमित
रह गई। जनपद सोनभद्र में डीएमएफ का गठन नहीं हो
पाने के कारण डीएमएफ के मद में मिलने वाली सालाना राषि जो लगभग 200 करोड़ के आस-पास
होगी, नहीं मिल पा रहा है। दूसरी ओर पड़ोसी जनपद-सिंगरौली मध्य प्रदेष में
डीएमएफ का गठन अक्टूबर, 2015 में ही किया जा चुका है। उसे अब तक मई 2016
तक
218.69 करोड़ रूपये एनसीएल द्वारा दिये जा चुके है। दुभाग्यपूर्ण है कि लगातार छः
महीने से इस पर आवाज उठाई जा रही है और अभी तक जिला प्रषासन नेषनल मिनरल
एक्फ्लोेरेषन ट्रस्ट के मद में देय रायल्टी का 02 प्रतिषत को ही
डीएमएफ समझ रही है जबकि बार-बार अवगत कराया गया है कि डीएमएफ का क्रियान्वयन व गठन
राज्य सरकार को करना है तथा इसके मद में कोयले की रायल्टी के 30 प्रतिषत अंषदान
डीएमएफ को एनसीएल द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा। जबकि एनएमईटी का गठन केन्द्र सरकार
द्वारा खनिजो के खोज एवं अनुसंधान के लिये किया गया है। जिसके बाबत एनसीएल द्वारा
उपलब्ध कराई जा रही रायल्टी के 02 प्रतिषत राषि जो अब तक 4 करोड़ रूपये से अधिक
थी, जो अब तक एनसीएल द्वारा जिला प्रषासन को उपलब्ध कराया जाता रहा है। जिसे
एनएमईटी को भेजा जा चुका है।
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