शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

ब्रेकर निर्माण में सोनभद्र अव्वल


विगत वर्ष से ‘‘किलर रोड‘‘ की संज्ञा प्राप्त वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर  सड़क दुर्घटना रोकने के लिए ताषड़ तोड़ बनाए जा रहे ब्रेकरों की संज्ञा दिन दुनी रात चैगुनी रफ्तार से बढ़ने लगी है। एक सप्ताह के अन्दर जिला मुख्यालय से गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर आठ नये ब्रेकर बनाये जा रहे है अधिकांश कार्य भी पूरा हो चुका है। दैनिक पात्रियों की माने तो भारत में सर्वाधिक ब्रेकरों वाला नेशनल हाईवे वाराणसी-षक्तिनगर मार्ग बन चुका है। अकेले अनपरा थाना क्षेत्र में करहिया से लेकर ककरी खादान मोड़ तक कुल 10 किमी में 29 ब्रेकर बना दिये गये है। 

रोडवेज चालकों की माने तो राबट्र्सगंज के नव निर्मित ब्रेकरों को छोड़कर पूर्व में वाराणसी से बैठ़न तक 116 ब्रेकर थे। रोडवेज चालकों व कर्मचारियों की माने तो नेशनल हाईवे के नियमावली के मुताबिक ब्रेकर का स्लोप सही नहीं है। ब्रेकरों पर किसी प्रकार का निशान न होना भी दुर्घटना का कारण होता है। जानकारों के मुताबिक राष्ट्रीय राज्यमार्ग पर गति अवरोधकों का निर्माण राज्य सरकार की संस्तुति पर की जाती है। किसी भी ब्रेकर से 50 मीटर पूर्व संकेतकों के जरिए चालकों को सचेत करने के लिए बोर्ड गाड़ा जाता हैै। वाराणसी-शक्त्निगर मार्ग रेलवे क्रासिंग के अलावा कही भी ब्रेकर संकेतक बोर्ड नहीं लगाया गया है। दुर्घटना रोकने के लिए बनाए गये ब्रेकर दूसरी तरह के दुर्घटनाओें का सबब बनते जा रहे है। इसमे किसी अन्य को नहीं बल्कि वाहन चालकों को स्वनुकसान ज्यादा हो रहा है। रोडवेज चालक तो इतने खिन्न हो चुके है के वे इस रोड पर चलना ही नहीं चाहते। 

ऊर्जांचल में तेल की हेराफेरी



ऊर्जांचल में मिट्टी तेल व जन वितरण प्रणाली में उपलब्ध होने वाली राशन के गोलमाल का मामला उजागर होने के बाद जहाँ हेराफेरी करने वाले के पैरों तले जमीन खीसक गयी है वहीं इस मामले में लिप्त अधिकारियों की नीद हराम हो गयी है। राष्ट्रीय सहारा के मजबूत पहल के बाद तेल में हो रही हेराफेरी के बाद कई लोगों द्वारा जिलें में यह भी पता किया जा रहा है कि सालवेन्ट का थोक एवं फुटकर विक्री कहा और कितनी मात्रा में की जाती है। ऊर्जांचल में बड़े पैमाने पर केरोसिन तेल का कालाबाजारी की बात समाने आने पर इस मुद्दे पर कई कोटेदारो से जानकारी ली गयी पहले तो कोटेदार आना-कानी एवं इधर-उधर की बात बतायी जब उनसे यह पूछा गया कि विभिन्न परियोजनाओं में जारी किया गया राशन कार्ड पर मिलने वाले मिट्टी तेल एवं खाद्यय सामाग्री कितनी मात्रा में मिल रही है तो इस बाबत नाम न छापने की शर्त पर बताया पूरे मामले की जानकारी जिले स्तर के अधिकारी से मांगे। जब परियोजना कर्मी तेल व खाद्यान नहीं लेगें तो कोटेदार क्या उनके घर को पहुचा दिया करेगा? अगर सरकारी कोटे से मिलने वाली सामाग्री को कालोनी के रहवासी नहीं लेते है तो क्या मैं सामाग्रीयों को फेक दूँ? कई परियोजनाओं के सोसाइटी के लोगों द्वारा विभाग से पहले ही आग्रह कर इस पर रोक लगाने की मांग की थी। फिर न जाने यह तेल का खेल कब से होते चला आ रहा है। ज्ञात हो तेल को खपाने का काम अधिकांशतः पेट्रोल टंकियांे में किये जाने की चर्चा आम हो चली है। अनपरा व शक्तिनगर थाने में इस तरह के मामले कई बार सामने आये आपूर्ति विभाग द्वारा जांच एवं सेम्पेल लेकर लेब्रोटी में भेजा गया पर नतीजा क्या निकाला इसके बारे में कोइ बताने का तैयार नहीं है। आने वाले दिनो में मामले की जांच को लेकर कई राजनीतिक दल कसरत शुरू कर दी है। अब तो समय ही बतायेगा इस तेल के खेल में हो रही हेराफेरी को बन्द कराकर गरीब व नक्सल क्षेत्र में जनप्रतिनिधि कितना लाभ दिला पाता है।