मंगलवार, 17 जनवरी 2012

आदिवासी/वनवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आकाल/जल संकट से प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल सुविधाओं की किल्लत।


जनपद सोनभद्र (उ.प्र) के दो विकास खण्डो में पड़ने वाले भाठ क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां काफी दुरूह हैं। भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर ऐसा अनुभव होता है कि यहां रहने वाले लगभग एक लाख आदिवासी ग्रामीण किसी दैवीय आपदा के कारण 18 वीं सदी का पषुवत जीवन जी रहे हैं। भाठ क्षेत्र आजादी के छः दशक बाद भी सड़क, बिजली, पानी, षिक्षा एवं चिकित्सा जैसी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।

म्योरपुर विकास खण्ड में एनसीएल की पांच परियोजनाएं स्थित हैं। म्योरपुर विकास खण्ड के सुदूर गांवों का विकास एनसीएल की ग्रामीण विकास एवं सामुदायिक विकास के कार्यक्रमों में प्राथमिकता में सम्मिलित किया जाना चाहिए क्योंकि उपरोक्त क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां दुरूह होने के साथ-साथ पूरा क्षेत्र गम्भीर पेयजल संकट से विगत कई वर्षों से जूझ रहा है। विगत पांच वर्षों में पूरा क्षेत्र सूखे के गम्भीर चपेट में है जिससे कृषि एवं अन्य अजीविका के साधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हर वर्ष सैकड़ो पशु पानी-चारे के अभाव में काल कलवित हो जाते हैं।

भाठ क्षेत्र में पेयजल की समस्या गम्भीर होने के कारण मानवीय जीवन के समक्ष भी गम्भीर संकट खड़ा हो गया हैं। गर्मियों के मौसम में पशुओं एवं मानवीय जीवन को जीवन्त रखने के लिए भाठ क्षेत्र के लोग अपने परिवार एवं पशुओं के साथ खुले आसमान के नीचे रिहन्द सागर के किनारे अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं। पेयजल की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण लोग कई किलोमीटर दूर से नालों एवं चोहड़ों से पानी लाकर पीने को मजबूर हैं गर्मियों में स्थिति भयावह हो जाती है तथा नालों एवं चोहड़ों में पानी सूख जाने के कारण जीवन दुरूह हो जाता है। विगत वर्षोें में सैकड़ों की संख्या में पशुओं ने पानी एवं चारे के अभाव में दम तोड़ दिया है।

केन्द्र एवं राज्य सरकार के कार्यक्रमों के तहत वहां पेयजल के लिए हैण्डपम्प, बन्धी, कुओं आदि का निर्माण कराया गया है जो कि परिस्थितियों के हिसाब से नाकाफी है तथा राज्य सरकार द्वारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों की उपेक्षा से उन्हे अपेक्षित सहायता/विकास का भागीदार नहीं बनाया जा सका है। ऐसी परिस्थिति में क्षेत्र में स्थित भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों को अपने ग्रामीण विकास एवं सामुदायिक विकास के कार्यक्रम में उक्त क्षेत्रों के समक्ष खड़ी गम्भीर संकट पेयजल समस्या के समाधान के लिए अपने स्तर पर गम्भीर प्रयास किया जाना चाहिए। 

उपरोक्त क्षेत्रों में व्याप्त गम्भीर पेयजल संकट को देखते हुए क्षेत्र में कार्यरत एनसीएल, एनटीपीसीए हिण्डालको आदि की ओर से व्यापक सर्वे कराकर चिन्हित स्थानों पर हैण्डपम्प लगवाने का कार्यक्रम अपने ग्रामीण विकास एवं सामुदायिक विकास कार्यक्रम के तहत प्राथमिकता में सम्मिलित करने का प्रयास करने से उक्त समस्या के निवारण के लिये सराहनीय कदम साबित होंगे।

क्योंकि इस जल संकट का सर्वाधिक प्रभाव लाखों आदिवासियों-दलितों के आम जनजीवन पर पड़ा है। ज्यादातर म्योरपुर विकास खण्ड में स्थित आदिवासी/वनवासी बाहुल्य ग्राम सभा रणहोर, कुलडोमरी, पाटी, बेलहत्थी, सिन्दूर, औड़ी, रानीताली, मकरा, मुर्धवा एवं चोपन विकास खण्ड की ग्राम सभा बैरपुर, कनहरा, परसोई, पनारी, जुगैल में व्याप्त जल संकट, क्षेत्रों में पर्याप्त पेयजल व्यवस्था न होने के कारण तथा जल स्तर के नीचे चले जाने के कारण ग्रामीणों को गम्भीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। ना जाने कब इन्हें इस समस्या से निजात कौन दिलायेगा। 

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