- अनिवार्य शिक्षा गारंटी योजना पर प्रश्नचिह्न लगा रहा ग्रामसभा चंदुआर
- हजार आबादी वाले ग्रामसभा में प्राथमिक विद्यालय
- शिक्षा व्यवस्था नदारद, अभिभावक परेशान
- अनुमोदन के बाद ही जा सकेंगे शिक्षकः बीएसए
चार हजार आबादी वाले चंदुआर ग्राम सभा में प्राथमिक विद्यालय होने के बावजूद शिक्षकों के अभाव में यहां के दर्जनों नौनिहालों का बचपन अशिक्षा के दलदल में फंसता जा रहा है। गरीब-आदिवासी समुदाय की अधिकता वाले इस ग्राम सभा के बच्चे स्कूल जाने के बजाए कोयला और कबाड़ बीनने में लगे हुए है। ग्राम प्रधान ने इस संबंध में कई दफा प्रस्ताव बनाकर बेसिक शिक्षा विभाग को दिया। बावजूद अब तक एनसीएल द्वारा बनाए गए प्राथमिक भवन में शिक्षकों की तैनाती नहीं हो सकी है। गौरतलब है कि तीन सौ की आबादी वाले गांवों में भी प्राथमिक स्कूल खोलने का नियम है अगर ग्राम सभा प्रस्ताव पारित कर विकास खंड के माध्यम से बेसिक शिक्षा विभाग को दे दे। लेकिन देश को रोशन करने वाले ऊर्जांचल के कई गांवों में जिला प्रशासन सहित शिक्षा विभाग की लापरवाही की वजह से आरईटी (शिक्षा का अधिकार) कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। यहां की अधिकांश आबादी जो दो जून की रोटी की जुगत में ही दिन-रात लगी रहती है ऐसे लोगों को अपने बच्चों को महंगे स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करना संभव नहीं हो पाता। ग्राम प्रधान रामकिशुन भारती ने बताया कि जनवरी से लेकर अब तक आधे दर्जन से भी अधिक दफा एनसीएल द्वारा बनाए गए भवन में शिक्षा-व्यवस्था शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया लेकिन शिक्षा महकमे के कान पर जूं तक नहीं रेंगा। अनपरा। बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि चंदुआर में एनसीएल द्वारा बनवाए गए प्राथमिक विद्यालय को अभी बेसिक शिक्षा समिति द्वारा अनुमोदन नहीं मिला है। बेसिक शिक्षा समिति का पदेन अध्यक्ष जिला पंचायत अध्यक्ष होता है। जब तक इसे शिक्षा समिति द्वारा अनुमोदन नहीं किया जाएगा। शिक्षक भेजना संभव नहीं होगा।
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