बुधवार, 25 जनवरी 2012

करोड़ो के कीमती जमीन पर हो रहे कब्जे को लेकर प्रशासन का मौन परदे के पीछे अनुबंध की पुष्टि


उर्जानचल के मध्य रेणुकूट से लेकर शक्तिनगर तक के वन विभाग के जमीनों की बेशकीमती भूमि पर करोड़पति व्यवसायियों द्वारा बेरोकटोक अवैध निर्माण किया जा रहा है। जिला प्रशासन को इसकी जसूचना होने के बाद भी कोई कार्यवाही नही करने से परदे के पीछे हुए किसी अनुबंध की पुष्टि होती है। एक ओर गरीब एवं आवासहीनों को अनिवार्य जरूरत के लिए भी अनुपयोगी व पहाड़ी जैसे जगहों पर बनाये जा रहे झोपडियों को तोडने के लिए प्रशासन कोई कसर नही छोड रही है। वहीं क्षेत्र में जिला प्रशासन के नाक के नीचे करोडों की बहुमूल्य भूमि पर धडल्ले से चल रहे निर्माण के प्रति प्रशासन की रहमदिली सदेंह के दायरे में है। जबकि व्यवासायियों द्वारा प्रशासन के साथ शायद गुप्त समझौते के चलते करोड़ो की भूमि हथियाने का यह कारोबार फल-फू ल रहा है एवं बीना किसी अनुमति के दो-दो मजिंल की इमारतों तक का निर्माण किया जा चुका है। महत्वपूर्ण है कि यदि गरीबों बेघरों को छोटी-मोटी झोपडियंा बनाने पर विभाग के अधिकारी ढेरों अनापत्ति प्रमाण पत्रों की मांग करते है वहीं वन विभाग के अन्तर्गत पड़ने वाली भूमियों के बीचों-बीच करोड़ो के कीमती जमीन पर हो रहे कब्जे को लेकर प्रशासन का मौन साधे रहना सोचनीय है। अवैध कब्जा कर रहे एक व्यवसायी के अनुसार निर्माण पूरी तरह से अवैध है, इसके लिए किसी प्रकार की अनुमति नही ली गई है।

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