शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

ऊर्जांचल में तेल की हेराफेरी



ऊर्जांचल में मिट्टी तेल व जन वितरण प्रणाली में उपलब्ध होने वाली राशन के गोलमाल का मामला उजागर होने के बाद जहाँ हेराफेरी करने वाले के पैरों तले जमीन खीसक गयी है वहीं इस मामले में लिप्त अधिकारियों की नीद हराम हो गयी है। राष्ट्रीय सहारा के मजबूत पहल के बाद तेल में हो रही हेराफेरी के बाद कई लोगों द्वारा जिलें में यह भी पता किया जा रहा है कि सालवेन्ट का थोक एवं फुटकर विक्री कहा और कितनी मात्रा में की जाती है। ऊर्जांचल में बड़े पैमाने पर केरोसिन तेल का कालाबाजारी की बात समाने आने पर इस मुद्दे पर कई कोटेदारो से जानकारी ली गयी पहले तो कोटेदार आना-कानी एवं इधर-उधर की बात बतायी जब उनसे यह पूछा गया कि विभिन्न परियोजनाओं में जारी किया गया राशन कार्ड पर मिलने वाले मिट्टी तेल एवं खाद्यय सामाग्री कितनी मात्रा में मिल रही है तो इस बाबत नाम न छापने की शर्त पर बताया पूरे मामले की जानकारी जिले स्तर के अधिकारी से मांगे। जब परियोजना कर्मी तेल व खाद्यान नहीं लेगें तो कोटेदार क्या उनके घर को पहुचा दिया करेगा? अगर सरकारी कोटे से मिलने वाली सामाग्री को कालोनी के रहवासी नहीं लेते है तो क्या मैं सामाग्रीयों को फेक दूँ? कई परियोजनाओं के सोसाइटी के लोगों द्वारा विभाग से पहले ही आग्रह कर इस पर रोक लगाने की मांग की थी। फिर न जाने यह तेल का खेल कब से होते चला आ रहा है। ज्ञात हो तेल को खपाने का काम अधिकांशतः पेट्रोल टंकियांे में किये जाने की चर्चा आम हो चली है। अनपरा व शक्तिनगर थाने में इस तरह के मामले कई बार सामने आये आपूर्ति विभाग द्वारा जांच एवं सेम्पेल लेकर लेब्रोटी में भेजा गया पर नतीजा क्या निकाला इसके बारे में कोइ बताने का तैयार नहीं है। आने वाले दिनो में मामले की जांच को लेकर कई राजनीतिक दल कसरत शुरू कर दी है। अब तो समय ही बतायेगा इस तेल के खेल में हो रही हेराफेरी को बन्द कराकर गरीब व नक्सल क्षेत्र में जनप्रतिनिधि कितना लाभ दिला पाता है।

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