बुधवार, 31 अगस्त 2011

भगवान श्री बंशीधर, नगर उटारी (गढ़वा), झारखण्ड।

भारत के धार्मिक वैशि’ठ में भगवान श्री कृष्ण को निष्काम भावना के प्रेम का सबसे बड़ा प्रवर्तक माना गया है। प्रेम की अनुभूमि को मन और मस्तिष्क से एकाकार करने के बाद नटवर नागर का स्वरूप कभी तो रहस्य और रोमांच को आकार देता है और दूसरी तरफ राधा और मीरा के एकल प्रेम के माध्यम से कृष्ण के महात्म को दर्शाता है। सात्विक, तान्त्रिक, मान्त्रिक, धार्मिक, सामाजिक सभी प्रकार की शैलियों में भगवान कृष्ण की मूर्तियों की निर्माण शैली अपने आप में महत्वपूर्ण होती है। उत्तर-प्रदेश और झारखण्ड के रास्ते में सघन जंगलों के अन्दर भगवान कृष्ण की २२ मन सोने की बनी मूर्ति मुगलकाल के समय की है जिसे माराठा शासकों ने मुगलिया सल्तनत के सोने को लूट कर बनवाया था। मूर्तियों और इसके निर्माण के पीछे का कारण गैर प्रान्तीय आक्रमणकारियों के पर हिन्दू धर्म के मानसिक विजय का प्रतीक है।


 उत्तर-प्रदेश की सीमा से सटे झारखण्ड राज्य के गढ़वा जिले में नगर उटारी नामक स्थान पर स्थापित भगवान बंशीधर की महिमा चारों दिशाओं में चहुओर फैली हुई है। जनश्रुति के अनुसार नगर उटारी की रानी शिवमानी कुवंर को कई दिनों तक निरन्तर स्वप्न दिखायी देता रहा। एक दिन जन्माष्टमी व्रत करके निराहार होते हुए भी निरन्तर कृष्ण नाम जप रही थी। बड़ी ही तनमय होकर आधी रात के पश्चात इन्हे कुछ प्रकाश तन्द्रा सी लगी। उसी में एक स्वर्णिम अदभूत प्रकाश दृष्टिगोचर हुआ उस प्रकाश में यही बंशीधर भगवान की मनमोहक प्रतिमा दिखायी दी जिसे राज्य परिवार ने पहाड़ से लाकर अपने किले के अन्दर स्थापित किया। २२ मन शुद्ध सोने से निर्मित भगवान कृ’ण की यह मूर्ति यहां के अलावा दुनिया में कहीं भी नहीं है।

बी.ओ.-२ कैसा अपूर्व आकर्षण है कैसी रूप माधूरी कितनी उच्च कोटी की कला है। मूर्ति से लालित्य झलक रहा है। १४४० किलोग्राम सोने से निर्मित यह प्रतिमा अपनी विशेषताओं के कारण पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ एवं अद्धितीय है। इतनी उच्च कोटी की प्रतिमा पूरे संसार में कहीं भी नहीं है। श्री बंशीधर का विग्रह स्वर्णमयी प्राचीन काल का एक उत्कृष्ट नमूना हैं। इसमें सन्देह नहीं कि स्वर्ण धातु की इतनी सुन्दर आकर्षक तथा चमकती हुई अद्वितीय शोभविष्ठ प्रतिमा अन्यत्र कहीं नहीं है। दर्शक मुग्ध हो बंशीधर की प्रतिमा के सामने से हटना नहीं चाहता है विचित्र आकर्षण मोहनी मुस्कान ललीत कला की अद्वितीय प्रतिमा नागर भगवान श्री कृष्ण मनोहारी हैं। निरन्तर दर्शन से आंखे तृप्त नहीं होती। भगवान वंशीधर के दर्शन से सारी मनोकामनाएं सिद्ध होती है।

इनकी महिमा से प्रभावित हो दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामना लेकर भगवान बंशीधर के दरबार में आते हैं तथा भजन-पूजन एवं आरती करते हैं। श्री बंशीधर भगवान के प्रति भक्तों में ऐसी आस्था है कि इनके दर्शन से भक्त की सारी अभिलाशाएं पूर्ण हो जाती हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें