शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

कहुआ नाला श्मशान ओबी से पटा, शव फूंकने में दिक्कत


ऊर्जांचल का सर्वाधिक दाह-संस्कार वाला कहुआ नाला श्मशान की भूमि एनसीएल की ओबी (ओवर बर्डेन) से पटकर अपना वजूद खो चुका है। स्थानीय सम्भ्रान्त नागरिको की समिति ने इस शमशान की भूमि पर एक मंडप तथा शवदाह करने वाले स्थल के पक्के निर्माण कार्य पर लाखों खर्च किया था। आम लोगों के सहयोग से बने इस श्मशान भूमि का ओबी के विशालकाय सिल्ट आदि क्षेत्र में पड़ने से इसका अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। स्थानीय लोगों ने एनसीएल प्रबन्धन सहित जिला प्रशासन को पत्र लिखकर यहां के निवासियों के लिए शमशान को बचाने की गुहार लगाई थी। इस शमशान का अस्तित्व ओबी के सिल्ट से पटती जा रही है। आलम यह है कि लगभग दो वर्ष से यहां से बहने वाला कहुआ नाला पट गया इस वजह से यहां शव जलाना भी स्थानीय निवासियों ने बंद कर दिया। शव रखने का मंडप भी भारी-भरकम ओबी सिल्ट की चपेट में आने से धराशायी हो गया है। वर्तमान में भारी-भरकम चट्टानों के बीच से शमशान भूमि में कदम रखना ही जोखिम भरा हो गया है। एनसीएल ककरी परियोजना के महाप्रबंधक एसके झा ने बताया कि श्मशान वाली भूमि रेलवे की सरकारी भूमि है अभी इस मसले पर विभागीय जांच चल रही है शीघ्र ही जांच पूरी कर इस बारे में कोई निर्णय लिया जाएगा। लेकिन क्या पत्रा जब तक कोई सार्थक पहली की जायेगी तब तक शायद इस शमषान का अन्तिम संस्कार ओबी की बड़ी-बड़ी चट्टानों के हाथों हो चुका होगा। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें