गांव में मनरेगा के कार्यों में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। रही मृतकों को काम देने की बात तथा हिंदू जाबकार्ड पर मुसलमानों के नाम होने की तो यह सब कंप्यूटर फीडिंग में गड़बड़ी की वजह से हुई है। कागज में सब कुछ ओके है। मामले की जांच कराने के बाद ही सच्चाई का पता लगाया जा सकता है। शीघ्र ही पूरे मामले की जांच कर सच्चाई को उजागर किया जाएगा। रही बात हिंदू के जॉबकार्ड पर मुसलमान सदस्यों के नाम की तो यह वन विभाग द्वारा कराए गए कार्यों में गड़बड़ी की वजह से हुआ था। वन विभाग ने ही इन नामों का जोड़ा था। हिंदू के जाबकार्ड में मुसलिम भी, गांव में नहीं रहता है कोई भी मुसलिम परिवार। चोपन विकास खंड में मनरेगा कार्यों में बड़े पैमाने पर धांधली की जा रही है। यहां तक कि वर्षों पहले मर चुके लोगों से मनरेगा के तहत काम कराए जा रहे हैं। यही नहीं जाब कार्ड पर सदस्यों के नाम में भी हेराफेरी की जा रही है। विकास खंड के पिपरखाड़ गांव की यही स्थिति है। यहां हिंदू धर्मावलंबी ग्रामीण के जाबकार्ड पर सदस्यों में मुस्लिम नाम डाले गए हैं, जबकि गांव में मुस्लिम परिवार ही नहीं हैं। गांव में मृतकों से भी काम लिया गया है। प्रधान इसे कंप्यूटर की गड़बड़ी मान रहे हैं। ग्रामीण गरीबों को सौ दिनों का सुनिश्चित रोजगार मुहैया कराने के लिए चल रही मनरेगा योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। गांव में तेजू के नाम से जाब कार्ड संख्या यूपी 63-005-001-626 बनाया गया है। इनका इलाहाबाद बैंक में खाता संख्या 38055 है। इन्होंने आठ दिसंबर 2008, चैदह फरवरी 2009 को काम भी मांगा है, जबकि तेजू की तीन चार वर्ष पूर्व मौत हो चुकी है। इसी तरह मोतीलाल के नाम से जाब कार्ड संख्या यूपी 63-005-005-001ध्26 बनाया गया। इन्होंने नौ जून, 29 दिसंबर 2008, पांच जनवरी, बारह जनवरी, चैदह फरवरी को काम मांगा है, जबकि इनकी मृत्यु भी कई वर्ष पूर्व हो चुकी है। जाबकार्ड की अनियमितताओं की बात करें तो गांव के बहादुर के नाम से जाबकार्ड संख्या यूपी 63-005-005-001ध्664 बना है। इनके सदस्यों में गुलशन, इरफान, जाकिर आदि के नाम डाले गए हैं। इसी तरह उषा के नाम से जाबकार्ड संख्या 737 बना है। जाब कार्ड पर रामकेश, जितेन्द्र, कलावती के अलावा आज मुहम्मद, खुशबिंसी, नौराएकुद्दीन, हरीश आदि के नाम हैं। आज मुहम्मद ने काम भी मांगा है। गांव के ही अवध बिहारी के नाम से जाबकार्ड संख्या 774 बना है। इसमें अवध बिहारी के अलावा सदस्यों में अब्दुल कलाम, शामोहम्मद, अफसाना, फातमा आदि के नाम दिए गए हैं। अब्दुल कलाम, अफसाना, शामोहम्मद ने काम भी मांगा है। हिंदू घर में मुसलमान सदस्य हो सकता है लेकिन जब गांव में मुस्लिम परिवार ही नहीं हैं, तो कहां से सदस्य हुए यह समझ के परे है। यह पूरी लिस्ट इंटरनेट पर उपलब्ध है। बावजूद अधिकारियों की नजर इस ओर नहीं गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इसकी विस्तृत जांच कराई जाए तो बड़ी गड़बड़ी मिल सकती है।
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