गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

प्रदुषण से अजीज हो चुके है उर्जांचल के निवासी


ः-स्थानीय विस्थापित प्रतिनिधियों ने बनाई आन्दोलन की रणनीति। 
ः-जिला पंचायत सदस्य, प्रधान  व ग्राम पंचायत सदस्य एवं प्रबुध वर्ग  भी खुलकर आये सामने। 
ः-परियोजनाओं के विरूद्ध बनाई जा रही है कड़ी रणनिती। 
ः-प्रदुषण व ओबर लोड वाहनों से राजमार्ग पर चलना हुआ दुश्वार। 
ः-राख-कोयले की धुल से पट रहे है उर्जान्चल की सड़क। 
ः-रिहन्द डैम बना जहरीले पानी का प्याला। 

उर्जान्चल परिक्षेत्र में स्थित विस्थापित बस्तियों व इससे सटे आस-पास के गाँवो में प्रदुषण का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि अनपरा तापीय परियोजना के विभिन्न ईकाईयों के लिये किये गये भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवार अधिकतर अनपरा तापीय परियोजना से सटे ग्रामों में बसे है, जिन्होंने अपनी पुस्तैनी जमीन देशहित में समर्पित कर दिया। आज उन्हें इसके बदले इन परियोजनाओं से निकलने वाली फ्लाई ऐश (राख) एवं परियोजनाओं की वजह से बढ़ते औद्योगिक यातायात के कारण सड़कों पर धुल-मिट्टी के गुबार से सामना करना पड रहा है। आने वाले कुछ दिनों में स्थानीय जनों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों व राजनितिक नेताओं ने इसके विरूद्ध रणनीति बनाकर एक साथ आन्दोलन करने की बात कही है,

पंकज मिश्रा
इस सन्दर्भ में कांग्रेसी नेता पंकज मिश्रा का कहना है कि सड़क पर बढ़ते प्रदुषण को रोकने के लिये परियोजनाओं द्वारा अपने निगमिय सामाजिक दायित्यों के तहत लाखों रूपये के खर्चे का बजट तो दिखाया जाता है, परन्तु वास्तव में इसके पीछे सच्चाई क्या है, ये तो उर्जान्चल के वातावरण से ही पता चल जाता है।

ओंकार केशरी
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ओंकार केशरी का कहना है कि परियोजनाओं द्वारा रिहन्द बाँध में बहाये जा रहे राख से यह डैम एक जहरीला प्याला बन गया है, जिसके जल से आस-पास के ज्यादातर गाँवों के लोग अपनी दैनिक कार्यो व पीने के प्रयोग में लाते है, प्रदुषित जल पीने से तरह-तरह के अज्ञात रोगों से ग्रसित यहा की ग्रामीण जनता प्रत्येक वर्ष सैकड़ों की संख्या में काल कवलित होते जा रहे रहे है। 

बालकेश्वर सिंह
बालकेश्वर सिंह, जिला पंचायत सदस्य- कुलडोमरी का कहना है कि परियोजना अपने द्वारा उत्सर्जित राख व कोयले को खुले में उडाना बन्द नहीं करती है तो जल्द ही उनके विरूद्ध बड़ा जन आन्दोलन खड़ा किया जायेगा। 

रामचन्द्र जायसवाल
कुलडोमरी ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामचन्द्र जायसवाल का कहना है कि ये परियोजनायें विस्थापित बस्तियों में जन सुविधा तो देने से रहे, बल्कि उन्हें प्रदुषण से हो रहे तरह-तरह के गम्भीर रोग देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।

शक्ति आनन्द
ग्राम पंचायत औड़ी के सदस्य शक्ति आनन्द का कहना है कि परियोजनाओं के आस-पास सटे गाँवों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर शक्तिनगर से डिबुलगंज विस्थपित बस्ती तक परियोजनाओं से निकलने वाले राख व कोयले के अभिवहन में उपयोग की जाने वाली मालवाहकों से राख व कोयले की धुल उड़कर मार्ग से सटे गाँवों के वातावरण को इतना प्रदुषित कर दे रही है की लोगों को छोटी उम्र में ही सांस, ब्लड प्रेशर जैसे गम्भीर रोग होते जा रहे है, जो असमय मौत का कारण भी बनते जा रहे है। 

 रामदुलारे पनिका 
मूल निवासी संविदा श्रमिक यूनियन के नेता रामदुलारे पनिका का कहना है कि परियोजनाओं की वजह से बढ़ते प्रदुषण के कारण लोगों का राह में चलना दुश्वार हो गया है। 

हरदेव सिंह
हरदेव सिंह, ग्राम प्रधान-बेलवादह ने आरोप लगाया कि परियोजना द्वारा ग्राम बेलवादह में ऐश डाईक बनाकर उसमें व्यापक रूप से परियोजना से निकलने वाली राख को पानी के साथ लगातार बहाया जा रहा है। जिससे कुछ वर्षो में इस ग्राम का नामों-निशा मिट जायेगा। 

 विजय कुमार सिंह 
एलगी कम्पनी के ईन्जीनियर विजय कुमार सिंह का कहना है कि प्रदुषण का मुख्य कारण मालवाहकों द्वारा ओवर-लोड कर राख व कोयले को ढ़ोने की वजह से हो रहा है। जिसके कारण रोड़ पर उनके द्वारा गिराये जा रहे राख व कोयले की धुल की परत सारे आवोहवा को प्रदुषित कर देती है। जिसके रोकथाम के लिये प्रशासन के साथ-साथ परियोजनाओं को भी ठोस कदम उठाने चाहिए। 

सोमवार, 3 दिसंबर 2012

शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही दाने-दाने के लिए तरस रहा है अपंग


शासन के विभिन्न जन हितकारी शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में शासकीय मिशनरी किस हद तक लापरवाही बरत सकती है इसका जीता जागता उदाहरण भाठ क्षेत्र के ग्रामीणों के बिच जाने पर पता चलता है, जहाँ के ग्रामीण जो जीवन जीने को मजबूर, जहाँ कई लोग वृद्ध एवं बेसहारा है, कई दाने-दाने के लिए तरस रहे है, एवं सैकड़ो अपंग है। किन्तु प्रदेश शासन की निराश्रित पेंशन योजना, सामाजिक सुरक्षा योजना, विकलांग सहायता कार्यक्रम, गरीबी रेखा कार्ड, वृद्धों के लिए सहायता कार्यक्रम के विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के हितग्राहियों के लिस्ट में कई लाभार्थीयों का नाम अभी तक दर्ज नहीं हो पाया है। घास-फूस से बनी झोपडी में कई दिनों भूखे रहकर घुट-घुट कर जिदगी बिताने को मजबूर यहा के आदिवासी एवं ग्रामीण आदिम जीवन जीने के लिये बाध्य है। 

मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर भाठ के ग्रामों के निवासी जंगल में घास-फूस से बनी झोपडी में रहते है। फिलहाल इस जिले में यहा से दुरूह क्षेत्र कोई नहीं है। यहा के लोग शासन के रोजगार गारंटी योजना का फायदा मिले बिना छुट-फुट मजदूरी से जीवन तो चला रहे है, किन्तु बकाया मजदूरी एवं अधिकारियो, कर्मचारियों तथा भ्रष्टाचार के चलते उनकी मजदूरी भी मार ली जाती है। हां शासन की किताबों में गरीबी रेखा कार्ड, स्मार्ट कार्ड, इंदिरा आवास, बेसहारा पेंशन, विकलांग सहायता, सामाजिक सुूरक्षा, ये सभी योजनाएं इन्हीं लोगों के लिए ही है। शासन की सभी योजनाएं जरूरत मंदो के लिए ही है। परन्तु शायद शासन की नजर यहा पड़ती ही नहीं। राजनैतिक कार्यकर्ताओं को भी शायद यहाँ के लोगों के घुट-घुट के मर जाने चिन्ता नहीं है। 

घटने की बजाय बढ़ती गईं समस्याएं


जनसंख्या में कम, लेकिन राजनीति में अहम स्थान रखने वाले प्रदेश के सबसे पुराने टाउन एरिया के रूप में घोरावल नगर पंचायत को जाना जाता है। इसके बाद भी यहां समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कम होने की बजाय समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं। साढ़े सात हजार की आबादी वाले घोरावल नगर पंचायत में पिछले कार्यकाल में कार्य तो जरूर हुए, लेकिन नाकाफी रहे। नगर का विकास तो दूर की बात पहले तो समस्याओं को दूर करना है। ऐसे में नगर का विकास कराने का जिम्मा नगर अध्यक्ष को ही उठाना होगा। दस वार्डों में फैले इस नगर पंचायत में सबसे ज्यादा पानी की समस्या बनी हुई है। हर वार्ड में पानी नहीं पहुंच पा रहा है और जल निकासी का समुचित प्रबंध भी नहीं किया गया है।

नई बस्तियों में तो पानी की सप्लाई के लिए पाइप अभी बिछाई ही नहीं गई है। कुछ वार्डों में नालियां बनी ही नहीं हैं और जिन वार्डों में बनी भी हैं, तो वह या तो टूटी हुई हैं या फिर कूड़ों के ढेर से पट चुकी हैं। सफाई कर्मियों की कमी के चलते नगर पंचायत में साफ सफाई का कार्य भी ठप है। वहीं नगर में जहां खड़ंजा लगाया गया है, वह आधे से अधिक निकल कर इधर उधर बिखर गए हैं। उनकी मरम्मत कराना भी अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती होगी। नगर में कुछ ऐसी बस्तियां बाकी हैं, जहां बरसात के दिनों में यहां के रहवासियों को आने जाने के लिए कीचड़ से जंग लड़ना पड़ता है। ऐसे में इन बस्तियों में खड़ंजा लगाने की तत्काल आवश्यकता है।वहीं नगर के हैंडपंपों की स्थिति दयनीय है। जलस्तर इतना गिर चुका है कि वे पानी देना तो दूर की बात मरम्मत के अभाव में शो पीस बन कर रह गए हैं। ऐसे में सबमर्सिबल से पानी की आपूर्ति कराने के अलावा अन्य कोई उपाय नहीं बचता। व

नगर पंचायत के विकास के संदर्भ में नगर के अध्यक्ष संजय कुमार जायसवाल का कहना है कि नगर की समस्याओं को मैंने बहुत नजदीक से देखा है। समस्याओं के क्रम में पानी की आपूर्ति व जल निकासी की समस्या सबसे अहम मुद्दा है। उन्होंने कहा कि नगर में पानी की आपूर्ति के लिए सबमर्सिबल की व्यवस्था की जायेगी। जहां तक पानी की निकासी की बात है, तो इसके लिए 56 लाख का प्रोजेक्ट बनाकर भेजा गया था। वह पैसा जैसे ही मिलता है, पानी निकासी की समस्या दूर कर दी जाएगी। नालियों की साफ सफाई पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। जरूरत पड़ने पर सफाईकर्मी को भी रखा जाएगा। सुलभ शौचालय की बात करते हुए उन्होंने कहा कि नगर में कम से कम दो सुलभ शौचालय का निर्माण कराया जाएगा। जो भी कार्य अधूरे रह गए हैं, उसे पूरा करने का यथासंभव प्रयास किया जाएगा।

आबादी बढ़ने के साथ सुरसा होती गईं समस्याएं


तीन प्रदेशों के बीच बसा दुद्धी नगर पंचायत जनपद में अपना एक अहम स्थान रखता है। यहां तहसील मुख्यालय होने के बाद भी नगर पंचायत में समस्याओं का अंबार लगा है। जिले में इसे पुरानी तहसील के रूप में जाना जाता है। नगर की आबादी जैसे-जैसे बढ़ती गई वैसे-वैसे वह समस्याओं से ग्रसित होता चला गया। करीब दस हजार छह सौ अड़सठ की आबादी वाले दुद्धी नगर पंचायत में पिछले कार्यकाल में कार्य तो हुए जरूर, लेकिन वह नाली, गली, खड़ंजा, इंटर लाकिंग तक ही सीमित रह गया। आज भी नगर पंचायत के रहवासियों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नगर के विकास की बात तो दूर पहले समस्याओं से ग्रसित नगर को समस्याओं से उबारना होगा। 11 वार्डों में फैले इस नगर पंचायत में आज तक सबसे बड़ी समस्या पेयजल की बनी हुई है। नगर की इस समस्या को दूर करने की दिशा में आज तक किसी चेयरमैन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। गर्मी के दिनों में तो यह समस्या और गंभीर हो जाती है। परिणामस्वरूप नगरवासियों को पानी के दर दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं। स्थिति ऐसी है कि आज भी कई क्षेत्रों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। वहीं जल निकासी की व्यवस्था को दूर की बात है।

नगर की नालियों का यह हाल है कि वह टूटी-फूटी तो हैं ही साथ ही पूरी तरह जाम हो गई हैं। जाम नालियों में जगह-जगह कूड़ों का अंबार लगा है। नगर के महत्वपूर्ण स्थानों में बस स्टैंड की भी गिनती की जाती है, लेकिन नगर स्थित बस स्टैंड कूड़ों और कीचड़ों का ढेर बन चुका है। ऐसी जगहों से लोगों को आने-जाने के लिए कीचड़ में से होकर जाना पड़ता है। वहीं नगर के घनी बस्तियों में खड़ंजा, नालियों की सफाई आदि का टोटा दिख रहा है। नगर में बने शौचालय, पेशाब घर सफाई के अभाव में बास मार रहे हैं। ऐसे में नगर वासियों का कहना है कि नगर में पहले तो पेयजल की व्यवस्था करनी होगी। इसके बाद आधुनिक परिवेश को ध्यान में रख कर नगर का विकास करना होगा। नगर के गरीबों के विकास के लिए ठोस प्रयास की जरूरत है।

नगर पंचायत के विकास एवं समस्याओं के संदर्भ में नगर की अध्यक्ष सुनीता कमल का कहना है कि वह नगर के विकास के लिए समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए विकासशील कार्य करेंगी। मैंने नगर की गलियों की हालत अपनी आंखों से देखा है। जहां तक पेयजल, जल निकासी और सफाई की बात है तो यह सब मेरे ध्यान में हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए यथासंभव प्रयास किया जाएगा। वहीं नगर के बंद पड़े शौचालयों और गलियों की टूटी नालियों, जाम नालियों की बात करते हुए श्रीमती कमल ने कहा कि समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए कार्य किया जाएगा। नगर को एक अच्छे और विकसित नगर के रूप में संवारने की, मेरी भी दिली इच्छा है। ऐसे में पुराने कार्यकाल में जो भी कार्य अधूरे रह गए हैं, उसे पूरा किया जाएगा।

बाजार में जाने से भी लोग कतराने लगे हैं


ऊर्जांचल के सबसे बड़े बाजार के रूप से विख्यात अनपरा बाजार का मेन आने जाने का तिराहा कूड़ा घर के रूप में तब्दील नजर आ रहा है। अनपरा बाजार तथा साप्ताहिक बाजार के अवशिष्ट पदार्थों से पटे अनपरा तिराहे से भयंकर बदबू के चलते वहा से गुजरने वालों के शरीर से सिहरन पैदा हो जाती है। रुमाल अथवा हथेलियों से नाक बंद करने के बाद भी सड़े मांस की मानिंद कूड़े से उठती बदबू के चलते लोगों ने बाजार में आना ही बंद कर दिया है।
अनपरा व्यापार मंडल के अध्यक्ष गोपाल गुप्ता ने आक्रोश जताते हुए कहा कि जिला पंचायत विभाग पर अनपरा बाजार से तहबाजारी वसूलने तथा साफ सफाई कराने की जिम्मेदारी है लेकिन पिछले कई माह से अनपरा बाजार में सफाई के रूप में एक धेला भी इधर से उधर नहीं किया गया है। बाजार निवासीयों ने कहा कि अगर अनपरा तिराहे के अलावा भी पूरे बाजार में दर्जनों स्थान कूड़े से पट गए है, आलम यह है कि लोगों को खुद अपने आसपास के सड़क की सफाई करनी पड़ती है। अनपरा बाजार में ही व्यवसाय करने वाले व्यापारियों ने गंदगी से नाक भौं सिकोड़ते हुए कहा कि बाजार का मेन तिराहा सहित अधिकांश भाग गंदगी से पट गया है। इसके चलते व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। बाजार में दुकान चलाने वाले व्यक्ति ने कहा कि जिला पंचायत अधिकारी को खुद आकर अनपरा बाजार का हाल देखना चाहिए। कहा कि राजस्व की वसूली ही जिला पंचायत की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि साफ-सफाई कराना भी जिला पंचायत का दायित्व है। लोगों ने चेताया कि अगर शीघ्र गंदगी से पट चुके अनपरा बाजार की सफाई नहीं कराई गई तो गंदगी से पट चुकी नालियों का पानी ओवर फ्लो होकर लोगों के दुकानों तथा घरों में प्रवेश कर जाएगा।

अवैद्य खननकर्ताओं पर लगेगा गैंगेस्टर


  • पुलिस प्रशासन ने खननकर्ताओं की उड़ाई नींद।
  • दोषियों को चिह्नित करने में जुटी पुलिस।

पुलिस अधीक्षक ने क्षेत्राधिकारियों व प्रभारियों को खननकर्ताओं के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। पुलिस प्रशासन का कड़ा रुख अख्तियार होने के बाद संबंधित लोगों में हड़कंप मच गया है। जिले में गत माह पूर्व हुए खनन हादसे के बाद से वैध-अवैध पत्थर और बालू की खदानें पूरी तरह से बंद रहीं। जिला प्रशासन अवैध तरीके से खदान संचालित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से सक्रिय है। बभनी थाना क्षेत्र के पांगन नदी में कुछ दबंगों द्वारा बालू का अवैध खनन किए जाने की सुचना पर पुलिस ने खननकर्ताओं की तलाश शुरू कर दी। मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी, सोनभद्र ने सभी सीओ, थाना व चैकी प्रभारियों को बिना अनुमति के खनन कराने की चेष्टा रखने वालों के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। 

आलाधिकारी का कड़ा रुख अख्तियार होने के बाद प्रभारियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में होने वाले खनन का पता लगाने के साथ ही कार्रवाई के लिए दोषियों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है। अचानक पुलिस की कार्यशौली में बदलाव आने से वर्षों से खनन करा रहे खननकर्ताओं में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया है। एसपी का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में मातहतों द्वारा जरा भी कोताही बरती गई, तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। पुलिस अधीक्षक ने ओबरा एसओ को तत्काल खनन हादसे में नामजद अभियुक्तों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है। पुलिस अधीक्षक का कहना है कि कुछ अभियुक्त अरेस्टिंग स्टे लेकर घूम रहे हैं। दोषियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होगी। कहा कि कानून के साथ खिलवाड़ करने वाले तनिक भी बख्शे नहीं जाएंगे।

रविवार, 2 दिसंबर 2012

निजाम बदलने के साथ थानों पर दिखा असर


सूबे में बीएसपी के शासन के बाद अस्तित्व में आई सपा की सरकार में कई तरह के फेरबदल के साथ ही थानों के साइनबोर्ड पर हिंदी के साथ ही उर्दू लब्जों में थाने का नाम तथा सत्यमेव जयते लिखने का आदेश मिलते ही ऊर्जांचल के थानों पर ऊर्दू पेंटर की खोजबीन शुरू हो गई। मंगलवार को चमचमाते साइनबोर्ड पर उर्दू तथा हिंदी में थाने का नाम लिखा गया। स्थानीय लोगों में यह दिनभर चर्चा का विषय बना रहा।