1. सरकारी शराब के दुकानों से सरकार को हो रही लाखों की राजस्व क्षति।
2. निर्धारित मूल्य से ज्यादा वसूला जा रहा है, शराब पीने वाले ग्राहकों से।
3. उर्जान्चल में लगभग 05-10 हजार रूपये रोजाना वसूले जा रहे है, शराब पीने वाले ग्राहकों से।
इसे ग्राहकों की दरियादिली कहे या दुकानदारों की दादागिरी, क्षेत्र में अंग्रेजी शराब व बियर की दुकानों पर आबकारी नियमों की धज्जिया उड़ाते हुए जहाँ राजस्व का नुकसान करा रहे है। वही बोतलों पर छपे मूल्य से ज्यादा पैसा ग्राहको से लेकर महंगी शराब बेची जा रही है। जानकारी के अनुसार अनपरा, शक्तिनगर, बीना, रेनुसागर, बाँसी, डिबुलगंज, औड़ी मोड़ इत्यादि जगहों पर अंगे्रजी शराब का पौआ, अद्धा, बोतल पर क्रमष 10,15,20 रूपये निर्धारित मूल्य में जोड़कर ज्यादा लिया जा रहा है। कारण पूछने पर दुकानदार प्रिन्ट किया हुआ एक रेट-लिस्ट दिखाते हुए बताते है कि ये आबकारी विभाग की निर्धारित मूल्य सूची है, इसी मूल्य पर हमें बेचने का आदेष दिया गया है।
गत दिनों औड़ी के एक बियर दुकान के लाईसेन्सी से जब निर्धारित मूल्य से ज्यादा दाम लिये जाने की बात कही गई तो उसने बताया कि प्रति बोतल दस रूपया बतौर ट्रान्सपोर्टिंग लिया जा रहा है। क्योंकि यह दुकान जिला मुख्यालय से 100 किमी से ज्यादा दूर है। साथ ही लाईट कटने पर जेनेरेटर से फ्रिजर चलाना पड़ता है। इतना ही नहीं अंग्रेजी शराब के दुकानदार अपने फायदे के चक्कर मे सरकार के झोली में जाने वाले लाखों रूपये के राजस्व कों चपत लगा रहे है। उक्त स्थान के किसी भी अंग्रेजी शराब के दुकान पर बे-रोक टोक आप पैसा देकर दस बीस बोतल शराब या बियर खरीद सकते है। यह कोई नई बात नहीं है। यहा के होटलों एवं ढाबों में हर रात शराब की पार्टिया होती रहती है। लोग पैसा देते है और उनके मनपसन्द शराब की ब्राण्ड उन्हें दे दी जाती है।
आबकारी अधिनियम के मुताबिक विदेषी शराब विक्रेता किसी व्यक्ति को दो बोतल से अधिक शराब नहीं दे सकता है। लेकिन दुकानदार को नियमों से कुछ लेना देना नहीं है। बड़े-बड़े समारोह या त्योहारों के समय भी खुलेआम शराब पीना जुर्म है। परन्तु यहाँ के होटलों और सरेराह बारात में शामिल लोग बोतल लेकर झूमते नजर आते है। जिस पर विभाग के आला अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक किसी की नजर नहीं पड़ती है। ज्ञातव्य है कि पार्टी, समारोह के मद्देनजर दो से अधिक शराब की बोतलों के लिये आबकारी विभाग में फार्म एफएल-11 के जरिये परमिट हासिल करना होता है, आबकारी विभाग बतौर इसके एवज में एक हजार रूपये का शुल्क लेता है। एफएल-11 परमिट दो तरह का होता है। घरेलू एफएल-11 घरेलू परमिट का शुल्क एक सौ रूपया होता है।
आबकारी विभाग द्वारा जारी किये जाने वाले परमिट में सम्बन्धित शराब विक्रेता का नाम, कितने बोतल शराब उपलब्ध कराई जानी है इत्यादि का स्पष्ट उल्लेख होता है। इससे अवैध और जहरीली शराब की बिक्री से बचाव होता है तथा किसी व्यक्ति के नकली या जहरीली शराब पीने से गम्भीर होने के खतरे कम होते है। क्योंकि एफएल-11 परमिट पर हासिल शराब का स्त्रोत अधिकृत होता है। आबकारी विभाग की चुप्पी और अंग्रेजी शराब के दुकानदारों की मनमानी के चलते पूरे जनपद में प्रतिवर्ष राज्य सरकार के खजाने में जाने वाले लाखों रूपये के राजस्व की क्षति पहुँचायी जा रही है। अंग्रेजी शराब के दुकानदार के मुताबिक किसी को 2 बोतल से ज्यादा शराब नहीं दिया जा सकता, लेकिन लोग जबरजस्ती ले जाते है तो हम क्या करें। नाम ना छापे जाने पर एक अंग्रेजी शराब के विक्रेता ने बताया कि कोई लाख उपाय करले जब तक अधिकारी हर पेटी पर अपनी निर्धारित कमिषन माफ नहीं कर देते तब तक हमें ग्राहको से मूल्य से अधिक पैसे लेना मजबूरी बन जाती है। इस सम्बन्ध में जिला आबकारी के पी सी पाल, आबकारी निरीक्षक सुदर्षन का कहना है कि अधिक मूल्य एवं नकली शराब बेचने वाले के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाकर अंकुष लगाया जाता है। फिर भी तथ्यपूर्ण षिकायत मिलने पर कार्यवाही की जायेगी।
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