गुरुवार, 2 मई 2013

शराब की मांग में इजाफे से बढ़ गई तस्करी, ऊर्जांचल में बेखौफ हो रही तस्करी



ऊर्जांचल में पारा लुढ़कने के साथ अंग्रेजी शराब की मांग में बढ़ोतरी होने से अंतरप्रांतीय शराब तस्करों का गिरोह सक्रिय हो गया है। जानकारों के दावे पर एतबार करें तो सीमावर्ती मध्य प्रदेश एवं हरियाणा के साथ पड़ोसी राज्यों बिहार, झारखंड व छत्तीसगढ़ से शराब की खेप ऊर्जांचल के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाई जा रही है। कुछ खास ब्रांडों की कीमतों में अंतर को भुनाने के लिए कारोबारियों ने अपना नेटवर्क खड़ा किया है। सीमांचल क्षेत्रों में स्थित दुकानों पर अन्य प्रदेशों की शराब किस तरीके से कैसे पहुंच रही है इसका जवाब संबंधित महकमे के जिम्मेदारों के पास नहीं है, लेकिन बीते सालों में बार्डर क्षेत्र में हुई कई बरामदगियों को नजर अंदाज नहीं किया जाए तो सब कुछ सामने है। सूत्रों की माने तो पहले बाहरी शराब को सीधे उसी पैक में बेच दिया जाता था लेकिन अब यूपी के बोतलों में ही बाहरी शराब को भर कर बेच दिया जा रहा है। इस तरह मध्य प्रदेश एवं हरियाणा में बेचे जाने वाली शराब की बोतलें यूपी के बार्डर इलाके में आबाद शराब की दुकानों पर खुलेआम बेची जा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश के विंध्यनगर का एक चर्चित कारोबारी का उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के व्यवसायियों से तालमेल हो गया है। यही वजह है कि सब कुछ सेट है और बिना किसी जोखिम के कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। इस बाबत सिंगरौली के आबकारी अधिकारी दिनेश उदैनिया का कहना है कि एमपी की शराब यूपी में बेची जा रही है तो मप्र के राजस्व का कोई नुकसान नहीं है यह तो उत्तर प्रदेश सरकार को देखना चाहिए।

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