गुरुवार, 22 मई 2014

लैंको पावर के आवासीय परिसर के गैस एजेन्सी द्वारा मनमाने तरीके से घरेलू गैस के वितरण व उपभोक्ताओं की अनदेखी।

घरेलू गैस सिलेंडर की किल्लत को लेकर उपभोक्ताओं में रोष।
पर्ची न कटने के साथ-साथ समय पर नहीं हो रही गैस सिलेंडर की सप्लाई।
महीनों से बन्द है वितरण की कार्य प्रणाली व गैस ऐजेन्सी का आफिस।
आवासीय परिसर के उपभोक्ताओं इतर बाहरी उपभोक्ताओं की अनदेखी। 
अनपरा। क्षेत्र के लोगों को उन्हें रसोई गैस के सिलेंडरों की सप्लाई समय पर नहीं की जा रही है। जिससे लोगों को गैस को लेकर काफी परेशानी हो रही है, लोग रसोई गैस कनेक्षन होने के बावजूद भी इसके लिये ब्लैक में औने-पौन गैस खरीदने का मजबूर हो रहे है। बात पिछले वर्ष लैंको अनपरा पावर के आवासीय परिसर में खुले नये गैस ऐजन्सी का की है, जब ऐजेन्सी खुली तो लोगों में नये रसोई गैस कनेक्षन लेने के लिये एक बारगी होड़ सी मच गई थी, लगभग ग्राम-औड़ी, परासी व अनपरा के सैकड़ों लोगों ने आनन-फानन में अपना-अपना गैस कनेक्षन करा तो लिया, पर यह नहीं जानते थे कि कुछ दिन बाद उन्हें गैस के जिये सिलेण्डर के लिये चक्कर पे चक्कर लगाने पड़ेगे। उपभोक्ताओं के अनवतर कनेक्षन कराये जाने से ऐजेन्सी धारक ने सैकड़ो नये गैस कनेक्षन तो कर दिये परन्तु इन्हें गैस सिलेण्डर वितरण की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की जिससे की कुछ महिनों में उपभोक्ताओं के समक्ष गैस किल्लत की समस्या उतपन्न होने लगी। 

कई सप्ताह से बन्द पड़ी गैस ऐजेन्सीं। 
आवासीय परिसर में खुले नये गैस ऐजन्सी पर लगभग एक माह से ताला लगा है, आस-पास के दुकानदारों से पता चला की यह ऐजेन्सी रेनुकूट की थी इसलिए उसे अपने सर्किल से बाहर गैस सप्लाई करने का आदेष नहीं है। परन्तु ऐजेन्सी द्वारा ज्यादा कनेक्षन व मुनाफे के इरादे से अनपरा परिक्षेत्र में गैस कनेक्षन मनमानी संख्या में बड़ा ली परन्तु उन्हें गैस किस प्रकार वितरित किया जाय इस बारे में नहीं सोचा। जिसके कारण अब लोगों में कनेक्षन होने के बावजूद भी ब्लैक में गैस सिलेण्डर खरीदने मजबूरी बन गई है। ऐजेन्सी सप्ताह में कुछ घण्टों के लिये खुलती तो है पर कुछ चहेतों और जान-पहचान के लोगों को ही सिलेण्डर उपलब्ध कराया जाता है। यदि कोई उपभोक्ता उस समय पहुँच जाता है तो उसकी पर्ची काट दी जाती है और वह पर्ची लेकर 10 से 20 दिन परेषानी के बाद सिलेण्डर प्राप्त कर पाता है। वहीं बाहरी उपभोक्ताओं के इतर आवासीय परिसर में ऐजेन्सी द्वारा अनवरत हर माह रसोई गैस सिलेण्डर वितरित किया जाता है। 


ग्राहकों को होम डिलीवरी सिस्टम से समय पर रिफिल पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। नही ंतो इसकी षिकायत जिला आपूर्ति अधिकारी से की जायेगी और यदि आवासीय परिसर के बाहरी गैस कनेशनधारियों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो इसके विरूद्ध बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा।  - शक्ति आनन्द, गैस उपभोक्ता।

ग्राम-औड़ी के रसोई गैस कनेक्षनधारी व उपभोक्ता मो. उस्मान अंसारी, सहदेव प्रसाद गुप्ता, गोविन्द मिस्त्री, गनेष प्रसाद, रामप्रवेष यादव, शक्ति आनन्द पिन्टी सिंह आदि ने बताया कि रिफिल बुकिंग के 25 दिन बाद नंबर लगाया जाता है, उसे गैस एजेंसी से ग्राहक को पर्ची दी जाती है। ग्राहक पर्ची लेकर गैस गोदाम पर सिलेंडर लेने जाता है तो उसे चार, पांच दिन बाद आने के लिए कह दिया जाता है एवं कई-कई हफ्तो तक गैस ऐजेन्सी बन्द रहती है ऐजेन्सी के सम्बन्धित लोगों के मोबाइल पर जब फोन किया जाता है तो स्वीच आॅफ बताता है। कभी-कभी तो गैस एजेंसी का स्टाफ रिफिल बुक करने से मना कर देता है। स्टाफ का कहना होता है कि अभी आपका नंबर नहीं लग पाएगा। सिलेंडरों के लिए लोगों की पर्चियां तक नहीं काटी जा रही हैं। उपभोक्ताओं को समय पर रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाने की बजाय एजेंसी संचालक मनमानी कर रहा है और गैस वाहन सप्लाई करने वाले चालक का मोबाइल नम्बर देकर सम्पर्क कर अपनी पर्ची देकर सिलेण्डर प्राप्त करने का कह देता है जब वाहन चालक का नम्बर लगाया जाता है तो वह भी स्वीच आॅफ होात है। लोगों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो ऐजेन्सी के विरूद्ध मनमाने रवैये अपनाने को लेकर बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा। 

गुरुवार, 15 मई 2014

नियमो को ताख में रख कर, खुली गाड़ी में हो रहा कचरे का परिवहन

सोनभद्र अनपरा, निजी विद्युत् परियोजना लेन्को अनपरा पॉवर के द्वारा सभी नियमो को ताख पर रखकर अपनी आवासीय परिसर का कचड़ा निस्तारण हेतु ले जाने के लिए खुले ट्रेक्टर का प्रयोग किया जा रहा है जिससे बिमारिय फैलने की आशंका है , आज साप्ताहिक बाज़ार के बीच जब कचरे से लदी हुयी खुली गाड़ी गुजरी तो लोगो ने अपनी नाक बंद करली , इस बाबत जब लेन्को के अधिकारी नित्यानद तिवारी से बात की गयी तो उन्होंने मामले की जानकारी न होने की बात कही और कहा की अगर येसा है तो इसे शीघ्र ही रोका जायेगा .
औडी मोड़ निवासी , ग्राम सभा सदस्य , शक्ति आनंद , बी. डी. सी. सुभाष चंद भारती , समाज सेवी , रीता भारती , आदि ने के इस कृत्य तीखी आलोचना करते हुए कहा की परियोजना , अपने आस पास के क्षेत्र के लोगो की बीमारियाँ दूर करने की बजाय उनको बीमारियाँ बाँट रही है , जिसे तुरंत रोकना होगा .

बुधवार, 14 मई 2014

हैंडपंपों के खराब होने से गहराया पानी संकट

नगवां ब्लाक के कई गांवों में पेयजल का संकट खड़ा हो गया है। तमाम हैंडपंप खराब पड़े हैं। लोगों को नदी, चुआंड़ और बंधियों से पानी लाना पड़ रहा है। दूषित जल पीने से बीमारी फैलने की आशंका है। चुनावी अधिसूचना से हैंडपंपों की मरम्मत नहीं हो सकी है इस नाते लोग परेशान हैं। गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी का संकट शुरू हो जाता है। खासकर पहाड़ी इलाकों में पानी के लिए ग्रामीणों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है। मार्च से ही पानी की समस्या मई में विकराल हो जाती है। नगवां ब्लाक में फिलहाल पानी की समस्या गंभीर हो गई है। ब्लाक क्षेत्र के नगवां, मांची, बांकी, सियरियां, बाराडाड़, चरगड़ा, धोबी, दरेंव, बिछियां, सरईगाढ़ आदि कई गांवों में हैंडपंप खराब हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति चरगड़ा, बाराडाड़ और सियरिया गांव में है। इन गांवों में आधा से अधिक हैंडपंपों ने साथ छोड़ दिया है। ग्रामीण दूर-दूर से पानी ला रहे हैं। बाराडाड़ में लोग बांध का दूषित पानी पी रहे हैं तो सियरियां गांव में नदी का पानी ही लोगों का सहारा बना है। बाराडाड़ की प्रधान अजीमा बेगम कहती हैं कि अधिकारियों को पानी के संकट से अवगत कराया गया है लेकिन समस्या का कोई निदान नहीं हो सका है। खोड़ैला गांव की प्रधान निर्मला कहती हैं कि यह गांव ऊंची पहाड़ी पर बसा है। यहां पहले से ही पानी का संकट है। फिर गर्मी में लोगों का पानी के लिए क्या हाल होगा किसी से छिपा नहीं है। यहां के पृथ्वीनाथ ने कहा कि पानी की समस्या हर साल होती है लेकिन उसका कोई स्थायी समाधान नहीं हो रहा। मांची के प्रधान विजय और दरेंव के प्रधान मंगल का कहना है कि हैंडपंपों की गहराई कम होने से पानी का संकट होता है। उन्होंने टैंकर से पानी की आपूर्ति की मांग की है।

स्ट्रांग रूम की सुरक्षा में लगे जवान

राजकीय पालिटेक्निक कालेज के स्ट्रांग रूम में रखी गई इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों की निगरानी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के हवाले है। स्ट्रांग रूम के चारो ओर जवानों की तैनाती की गई है। अंदर आने-जाने वालों पर सीसीटीवी से भी नजर रखी जा रही। सोमवार को मतदान के बाद देर रात तक सभी 1284 मतदान केंद्रों से आई इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखा गया। ईवीएम की सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं ताकि निगरानी की जा सके कि स्ट्रांग रूम की ओर कौन आ जा रहा है। मंगलवार की सुबह प्रेक्षक टाम जोश, डीएम चंद्रकांत ने स्ट्रांग रूम का जायजा लिया। उधर, सुरक्षा में लगे जवानों ने सुबह कालेज के पास से गुजर रहे दो संदिग्ध युवकों को पकड़कर करीब आधा घंटे तक पूछताछ की। दोनों युवकों ने जब बताया कि वे कालेज के पास की बस्ती के हैं और शौच के लिए जा रहे हैं तब उन्हें छोड़ा गया। चेतावनी दी कि मतगणना तक वे कालेज की ओर न नजर आएं। उधर, एसपी रामबहादुर यादव ने बताया कि सीआईएसएफ का एक प्लाटून ईवीएम की सुरक्षा में लगाया गया है। हर चार घंटे पर शिफ्ट के अनुसार जवानों की तैनाती की जा रही है। स्ट्रांग रूम के इर्द-गिर्द किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं है। उनका कहना है कि 16 मई को मतों की गणना होने के बाद ही कालेज में कोई व्यक्ति जा सकता है।

बसपा के लिए भी पिछड़ा वर्ग के लोगों ने वोटिंग की लेकिन इस बार इस वोट में भाजपा की अच्छी सेंधमारी सुनने को मिली। इसी तरह आदिवासी एवं दलित वोटर जिसे बसपा के लोग बेस वोट मान रहे थे। इनकी जुबां से भी इस बार भाजपा, कहीं-कहीं कांग्रेस का भी नाम सुनने को मिला। सीमा क्षेत्र के इलाके जहां पिछले कुछ चुनावों से सपा और बसपा के नाम का डंका बजा करता था वहां भाजपा के पक्ष में वोटिंग की खबर जहां भाजपा जनों को गदगद करती नजर आईं वहीं इस बदलाव के चलते अन्य दलों की स्थिति झुंझलाहट वाली देखने को मिली। वैनी और खलियारी क्षेत्र में जहां जसौली परियोजना का मुददा लोगों में अन्य दलों के प्रति रोष का भाव बनाए दिखा। वहीं मांची, चरगड़ा, पनौरा और महुली इलाके में सड़कों की खस्ताहाली, पेयजल संकट एवं अन्य सरकारी योजनाओं की बंदरबांट की स्थिति लोगों को इस बार बदलाव की तरफ धकेले रही। इन इलाकों में सुबह से लंबी लाइन के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में 80 से 90 फीसद और सीमा से सटे कस्बाई इलाकों में 65 से 70 प्रतिशत मतदान भी इस बार बदलाव की आहट सुनाता नजर आया। कई वोटरों की स्थिति यह थी कि कौन प्रत्याशी अच्छा है, कौन बुरा.. इससे उन्हें कोई मतलब नहीं था। बस उनके मन में एक ही ललक थी इस बार चुनावी सब्जबाग दिखाकर गायब होने वालों को कड़ा सबक सिखाना है। हालांकि चुनाव में किसकी जीत होगी किसकी हार यह तो 16 मई को आने वाले परिणाम ही बताएगा लेकिन जिस तरह वोटरों के मन में बदलाव और आक्रोश भरे चेहरों से मतदान देखने को मिला वह काफी हद तक बदलाव का ही संदेश देता नजर आया।

जनपद में 52.87 फीसदी पड़े मत

आसमान से बरसती आग, बदन झुलसाते लू के थपेड़े..। इन सब खामियों के बावजूद सोनांचल में इस बार 52.87 प्रतिशत वोट डाले गए। इस आंकडे़ से पिछले कई चुनावों के रिकार्ड टूट गए। राबर्ट़्सगंज के तीन विधानसभा क्षेत्रों में दो घंटे पहले ही मतदान खत्म करा दिया गया। पिछले कई चुनावों के बाद पहली बार राबर्ट्सगंज सीट पर वोटों की बारिश हुई। दुद्धी में पिछली बार महज 50.27 मतदाताओं ने वोट डाला था। वहीं इस बार वोट डालने का प्रतिशत 57 पहुंच गया। ओबरा विधानसभा क्षेत्र में पिछले लोस चुनाव में महज 38.40 फीसद वोटिंग हुई थी लेकिन इस बार यह प्रतिशत 43 तक पहुंच गया। राबर्ट्सगंज विधानसभा में 2009 का मतदान प्रतिशत 49.16 था। वहीं इस बार 54 प्रतिशत वोटरों ने अपने अधिकार का प्रयोग किया। घोरावल विधानसभा में पिछले लोस चुनाव में 54.18 प्रतिशत वोटरों ने अपने अधिकार का प्रयोग कर सबसे अव्वल स्थान प्राप्त किया था। यहां इस बार मतदान 57.49 प्रतिशत रहा। इससे पहले सुबह से ही जगह-जगह बूथों पर मतदाताओं की कतार लगनी शुरू हो गई। दोपहर तक वोटरों ने डटकर मतदान किया। इसके बाद तेज धूप ने उनके पांव रोक दिए। तीन बजे के बाद फिर से वोटरों के निकलने का सिलसिला शुरू हुआ लेकिन राबर्ट्सगंज, दुद्धी और चकिया विस क्षेत्र में शाम चार बजे तक ही वोटिंग कराए जाने से तमाम वोटरों को बूथों पर पहुंचने के बाद भी वापस लौटना पड़ा। घोरावल और ओबरा विस क्षेत्र में शाम छह बजे तक वोटिंग होती रही। यहां वोटिंग प्रतिशत को बताने में निर्वाचन महकमे को रात आठ बज गए।

आदर्श बूथों पर भी नहीं दिखी बेहतर स्थिति

निर्वाचन आयोग के निर्देश पर इस बार जनपद के 32 बूथों को आदर्श का दर्जा मिला था। इनमें चारों विधानसभा के आठ-आठ बूथों चिह्नित किए गए थे लेकिन हर बूथ पर कोई न कोई कमी मुंह बांए खड़ी रही। छांव के इंतजाम संग प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था तो था मगर अन्य सुविधाओं के मामले में ज्यादातर बूथों पर नि:शुल्क स्टाल पोस्टर नजर आया। कहीं पेयजल के इंतजाम तो दिखे लेकिन पानी के शुद्धता की स्थिति भी दावों का माखौल उड़ाती रही। राबर्ट्सगंज विस क्षेत्र के आदर्श इंटर कालेज पर बालू के ढेर पर आदर्श बूथ का नि:शुल्क स्टाल तो लगा ही था। नौ बजे तक इस स्टाल के लिए किसकी तैनाती है यह बताने वाला कोई नहीं था। इसी तरह संस्कृत विद्यालय स्थित बूथ पर लगे नि:शुल्क स्टाल पर पानी का इंतजाम तब हुआ जब एसडीएम राजेंद्र तिवारी ने पहुंचकर संबंधितों को फटकार लगाई। आरएसएम इंटर कालेज ही ऐसा था जहां पेयजल के मुकम्मल इंतजामात नजर आए। 

जीजीआईसी में नि:शुल्क स्टाल पर बीएलओ का कब्जा था। हालांकि यहां पेयजल के इंतजाम दूसरी तरफ किए गए थे। जय ज्योति चुर्क, बिरला हायर सेकेंडरी स्कूल पटवध के साथ ही बिरला के पश्चिमी और दक्षिणी पाठशाला पर आदर्श बूथ के नि:शुल्क स्टाल व्यवस्थाओं की कोरमपूर्ति बया करते नजर आए। इसी तरह घोरावल विस क्षेत्र के बढ़ौली गांव स्थित बूथ से आदर्श बूथ का पोस्टर ही नदारद था। उरमौरा, भरौली, जुड़िया, मुड़िलाडीह, शाहगंज पर छांव के इंतजाम तो नजर आए लेकिन अन्य व्यवस्थाएं खानापूर्ति की ही कहानी बया करती रहीं। ओबरा विधानसभा क्षेत्र में ओबरा इंटर कालेज, राजकीय इंटर कालेज पिपरी, प्राथमिक विद्यालय रेणुकूट, आदित्य बिड़ला इंटर कालेज हिण्डाल्को रेणुकूट, मांटेसरी स्कूल प्राथमिक विद्यालय रेणुकूट, प्राथमिक विद्यालय औराडांड, अनपरा व रेनूसागर में भी व्यवस्थाएं नजर आईं लेकिन नि:शुल्क स्टाल के पोस्टर कई जगह शो-पीस बने रहे। दुद्धी विस क्षेत्र के संत जोसेफ स्कूल शक्तिनगर, केंद्रीय विद्यालय रिहंदनगर, डीएवी स्कूल रिहंदनगर, प्राथमिक विद्यालय, पूर्व माध्यमिक विद्यालय दुद्धी, म्योरपुर के बीडीओ कार्यालय आदि में भी आदर्श बूथ का इंतजाम ठीक नहीं था।

मु्द्दो ने जातीय समीकरण कर दिया ध्वस्त

सोनभद्र। राबर्ट्सगंज संसदीय सीट पर मतदान का परिणाम तो 16 मई की गणना से पता चलेगा लेकिन जिस तरह से मतदान के दिन जातीय समीकरणों के ध्वस्त होने का परिदृश्य सामने आया है, उसने प्रत्याशियों को बेचैन करके रख दिया है। राजनीतिक विश्लेषक भी इस बदलाव की वजह जानने में लगे हुए हैं। हालांकि मतदाताओं से ली गई जानकारी में यह बात तो साफ हो गई इस बार स्थानीय मुद्दों ने इस समीकरण को तोड़ने में अहम भूमिका तो निभाई ही महंगाई, भ्रष्टाचार ने भी लोगों के दिल-दिमाग को खूब प्रभावित किया। अगड़ों को भाजपा का बेस वोटर, पिछड़ों को सपा का बेस वोटर और अनुसूचित जाति, जनजाति को ज्यादातर बसपा का बेस वोट माना जाता रहा है लेकिन इस बार मतदान के दिन जिस तरह के समीकरण सुनने को मिले उससे यह बात साफ नजर आई कि इस बार जातीय समीकरणों की काफी हद तक हवा निकल गई। वर्ष 2012 के विस चुनाव में जिन अल्पसंख्यकों ने सपा का खुलकर साथ दिया था उन्हीं के जुबान से इस बार बसपा, कांग्रेस, कहीं-कहीं तो भाजपा का भी नाम सुनने को मिला। इसी तरह बैकवर्ड वोटर जिनका भी पिछले विस चुनाव में सपा की तरफ अच्छा-खासा झुकाव देखने को मिला था।