बुधवार, 14 मई 2014

स्ट्रांग रूम की सुरक्षा में लगे जवान

राजकीय पालिटेक्निक कालेज के स्ट्रांग रूम में रखी गई इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों की निगरानी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के हवाले है। स्ट्रांग रूम के चारो ओर जवानों की तैनाती की गई है। अंदर आने-जाने वालों पर सीसीटीवी से भी नजर रखी जा रही। सोमवार को मतदान के बाद देर रात तक सभी 1284 मतदान केंद्रों से आई इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखा गया। ईवीएम की सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं ताकि निगरानी की जा सके कि स्ट्रांग रूम की ओर कौन आ जा रहा है। मंगलवार की सुबह प्रेक्षक टाम जोश, डीएम चंद्रकांत ने स्ट्रांग रूम का जायजा लिया। उधर, सुरक्षा में लगे जवानों ने सुबह कालेज के पास से गुजर रहे दो संदिग्ध युवकों को पकड़कर करीब आधा घंटे तक पूछताछ की। दोनों युवकों ने जब बताया कि वे कालेज के पास की बस्ती के हैं और शौच के लिए जा रहे हैं तब उन्हें छोड़ा गया। चेतावनी दी कि मतगणना तक वे कालेज की ओर न नजर आएं। उधर, एसपी रामबहादुर यादव ने बताया कि सीआईएसएफ का एक प्लाटून ईवीएम की सुरक्षा में लगाया गया है। हर चार घंटे पर शिफ्ट के अनुसार जवानों की तैनाती की जा रही है। स्ट्रांग रूम के इर्द-गिर्द किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं है। उनका कहना है कि 16 मई को मतों की गणना होने के बाद ही कालेज में कोई व्यक्ति जा सकता है।

बसपा के लिए भी पिछड़ा वर्ग के लोगों ने वोटिंग की लेकिन इस बार इस वोट में भाजपा की अच्छी सेंधमारी सुनने को मिली। इसी तरह आदिवासी एवं दलित वोटर जिसे बसपा के लोग बेस वोट मान रहे थे। इनकी जुबां से भी इस बार भाजपा, कहीं-कहीं कांग्रेस का भी नाम सुनने को मिला। सीमा क्षेत्र के इलाके जहां पिछले कुछ चुनावों से सपा और बसपा के नाम का डंका बजा करता था वहां भाजपा के पक्ष में वोटिंग की खबर जहां भाजपा जनों को गदगद करती नजर आईं वहीं इस बदलाव के चलते अन्य दलों की स्थिति झुंझलाहट वाली देखने को मिली। वैनी और खलियारी क्षेत्र में जहां जसौली परियोजना का मुददा लोगों में अन्य दलों के प्रति रोष का भाव बनाए दिखा। वहीं मांची, चरगड़ा, पनौरा और महुली इलाके में सड़कों की खस्ताहाली, पेयजल संकट एवं अन्य सरकारी योजनाओं की बंदरबांट की स्थिति लोगों को इस बार बदलाव की तरफ धकेले रही। इन इलाकों में सुबह से लंबी लाइन के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में 80 से 90 फीसद और सीमा से सटे कस्बाई इलाकों में 65 से 70 प्रतिशत मतदान भी इस बार बदलाव की आहट सुनाता नजर आया। कई वोटरों की स्थिति यह थी कि कौन प्रत्याशी अच्छा है, कौन बुरा.. इससे उन्हें कोई मतलब नहीं था। बस उनके मन में एक ही ललक थी इस बार चुनावी सब्जबाग दिखाकर गायब होने वालों को कड़ा सबक सिखाना है। हालांकि चुनाव में किसकी जीत होगी किसकी हार यह तो 16 मई को आने वाले परिणाम ही बताएगा लेकिन जिस तरह वोटरों के मन में बदलाव और आक्रोश भरे चेहरों से मतदान देखने को मिला वह काफी हद तक बदलाव का ही संदेश देता नजर आया।

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