नगवां ब्लाक के कई गांवों में पेयजल का संकट खड़ा हो गया है। तमाम हैंडपंप खराब पड़े हैं। लोगों को नदी, चुआंड़ और बंधियों से पानी लाना पड़ रहा है। दूषित जल पीने से बीमारी फैलने की आशंका है। चुनावी अधिसूचना से हैंडपंपों की मरम्मत नहीं हो सकी है इस नाते लोग परेशान हैं। गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी का संकट शुरू हो जाता है। खासकर पहाड़ी इलाकों में पानी के लिए ग्रामीणों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है। मार्च से ही पानी की समस्या मई में विकराल हो जाती है। नगवां ब्लाक में फिलहाल पानी की समस्या गंभीर हो गई है। ब्लाक क्षेत्र के नगवां, मांची, बांकी, सियरियां, बाराडाड़, चरगड़ा, धोबी, दरेंव, बिछियां, सरईगाढ़ आदि कई गांवों में हैंडपंप खराब हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति चरगड़ा, बाराडाड़ और सियरिया गांव में है। इन गांवों में आधा से अधिक हैंडपंपों ने साथ छोड़ दिया है। ग्रामीण दूर-दूर से पानी ला रहे हैं। बाराडाड़ में लोग बांध का दूषित पानी पी रहे हैं तो सियरियां गांव में नदी का पानी ही लोगों का सहारा बना है। बाराडाड़ की प्रधान अजीमा बेगम कहती हैं कि अधिकारियों को पानी के संकट से अवगत कराया गया है लेकिन समस्या का कोई निदान नहीं हो सका है। खोड़ैला गांव की प्रधान निर्मला कहती हैं कि यह गांव ऊंची पहाड़ी पर बसा है। यहां पहले से ही पानी का संकट है। फिर गर्मी में लोगों का पानी के लिए क्या हाल होगा किसी से छिपा नहीं है। यहां के पृथ्वीनाथ ने कहा कि पानी की समस्या हर साल होती है लेकिन उसका कोई स्थायी समाधान नहीं हो रहा। मांची के प्रधान विजय और दरेंव के प्रधान मंगल का कहना है कि हैंडपंपों की गहराई कम होने से पानी का संकट होता है। उन्होंने टैंकर से पानी की आपूर्ति की मांग की है।
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