सोनभद्र में बिजली की स्थिति के बारे में कहा जा सकता है कि ‘‘को नहीं जानत है.....’’ शाम होने के बाद जिला प्रषासन द्वारा जगह-जगह चैराहों पर लगाये गये हाई मास्क लैम्प की स्थिति देखकर लगता है कि सरकार के इतने मंहगे उपकरण को सिर्फ थोड़ी सी उदासीनता के कारण धूल फाकनी पड़ रही है। अक्सर ही लोगों का कहना है कि सरकार ने लैम्प तो लगाया पर उसके विद्युत आपूर्ति एवं उसके बिजली की व्यवस्था पर चुप्पी ही साध ली है पिपरी के ही हाई मास्क लैम्प को ले ली जाय तों वहा लैम्प लगे लगभग 8 माह हो गया है परन्तु अभी तक उसके कनेक्षन के विषय में कुछ भी नहीं किया गया है। ग्राम पंचायत औड़ी में लगे हाई मास्क लैम्प के सामने भी यही बात फसी तो ग्राम प्रधान रीता देवी एवं ग्राम पंचायत सदस्य शक्ति आनन्द के प्रयास से ग्राम पंचायत के कोष से उक्त कार्य हेतु धन एवं बिजली के बिल के लिये भी व्यवस्था की गई।
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| शक्ति आनन्द |
ग्राम पंचायत सदस्य शक्ति आनन्द का कहना था कि यदि प्रषासन के पास इसका कोई प्रबन्ध नहीं है तो सम्बन्धित नगर पंचायते एवं ग्राम पंचायते इसकी व्यवस्था के लिये प्रयास करें। सरकार बिजली का लाख रोना रोये पर हाई मास्क लैम्प को समुचित बिजली न मिल पाने के पीछे विभाग के अयोग्य कर्मचारियों की भी भूमिका कम नही है। जो कि अपने स्तर पर मेजर डिसीजन लेने से कतराते है। जिससे आम जन मानस को परेषानियो का सामना करना पड़ता है। जहाँ तक जिला मुख्यालय में लगे अनेकों हाई मास्ट लैम्प की बात है,कुछ तो लगने के बाद ही अजीबोगरीब स्थिति में पहुँच गए। कुछ अब दिन में ही रौशनी कर रहे हैं और देर रात ये बंद भी हो जाते हैं। इनके असमय जलने ना जलने के पीछे बिजली विभाग के कर्मचारी तो जिम्मेवार हैं ही, अधिकारी भी लापरवाह हैं। जानकार बताते हैं कि इन लैम्प के समय से जलने के लिए इसमें ‘टाइमर’ लगा हुआ है, पर सम्बंधित कर्मचारी इसे हाथ से घुमा-घुमा कर अंदाजा से ही सेट करते हैं। इस काम के लिए शायद बिजली विभाग में एक भी योग्य कर्मचारी नहीं है। पहले से बिजली के खम्भों पर दिन में भी जलते हजारों बल्ब से उर्जा की बर्बादी तो आम बात थी ही, अब हाई मास्ट लैम्प के जरिये भी बिजली विभाग उर्जा की बड़ी बर्बादी करने में लग गया है।


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