सोमवार, 7 अक्टूबर 2013

सोनभद्र के आदिवासियों के आशाओं पर खरे नहीं उतरे राहुल गांधी

सोनभद्र की धरती पर पहली बार पड़े थे राहुल के कदम
कैमूर क्षेत्र के बाशिंदों और आदिवासियों का हुआ उनके ही घर में अपमान
राहुल की जनसभा में शामिल होने गए सोनभद्र के आदिवासी शिवधार और नन्दलाल को हवालात की हवा भी खानी पड़ी।
नन्दलाल अपनी धरोहर तीर-धनुष लेकर गया था और उसकी धरोहर ही उसके लिए सजा बन गई। 

यह बात तब की है जब सोनभद्र की धरती पर पहली बार कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी आये थे उस वक्त वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग के बायीं ओर मिर्जापुर जनपद का अहरौराडीह गांव इतिहास रचने को तैयार। गांव के पास गेंहूं की फसल की कटाई के बाद खाली पड़ी करीब बीस बीघा खेत में भारी सुरक्षा के बीच  तैयार दो मंच और पंडाल। साथ ही चिलचिलाती धूप में आग के गोले बरसा रहा सूरज। मौसम का पारा भी 46 डिग्री सेल्सियस की हद को पार कर चुका था और लोगों के स्वास्थ्य को चेतावनी दे रहा था। फिर भी, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर के बाशिंदों समेत आस-पास के कांग्रेसी इकट्टा हो रहे थे। कांग्रेसियों की इस भीड़ में मिर्जापुर, सोनभद्र और चंदौली के उपेक्षित आदिवासी भी तीर-धनुष के साथ शिरकत किए हुए थे। 

शाम के करीब साढ़े चार बजने को थे। पंडाल समेत आस-पास के इलकों में करीब साठ हजार लोगों की भीड़ भारी सुरक्षा के बीच बने मंच की ओर टकटकी लगाए हुए थे। दूसरे मंच पर कांग्रेसी नेताओं का भाषण चल रहा था। बेरिकेंडिंग के बीच बने मंच के सामने मीडियाकर्मियों की जमात अपने लाव लश्कर के साथ तैयार थे। अचानक हेलिकाप्टर की आवाज सुनाई देती है और मंच के बायीं ओर सौ मीटर की दूरी पर धुंआ उठने लगता है। सबकी निकाहें उठते धुआं की ओर पड़ती हैं और लोग आसमान की ओर नजरे टिका लेते हैं। सबकी आंखों में कुछ आशाओं के साथ एक अनोखी चमक है। लोग बदन से गिरते पसीने और चिलचिलाती धूप में जिस छड़ का इंतजार कर रहे थे, वो खड़ी आ चुकी थी। नीले रंग का एक उड़नखटोला (हेलिकाप्टर) हवामंडल में तैर रहा था, जो अचानक उनके पास बने बेरिकेडिंग में उतरने लगा। सभी लोगों की निगाहें नीले रंग के उड़नखटोले पर जा टिकी। लाउडस्पीकर से सोनिया गांधी जिंदाबाद, राहुलगांधी जिंदाबाद, कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद आदि के नारे गूंजने लगे। चार बजकर चालीस मिनट पर कांग्रेस पार्टी के महासचिव और अमेठी के सांसद राहुल गांधी उड़नखटोले से बाहर आए। वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं से परिचय करने के बाद राहुल गांधी भारी सुरक्षा के बीच बने मंच पर आसीन हुए और हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन किया। अब सबकी निगाहें राहुल गांधी की हरकतों पर टिकी थी। साथ ही साथ सभी के दिलों में राहुल गांधी से जुड़ी आशाएं हिलोरे मार रही थी।  सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली के आदिवासियों समेत यहां के बाशिंदों के दिलों में ये आशाएं कुछ ज्यादा ही हिचकोले खा रही थीं, क्योंकि राहुल गांधी ने बीते साल गरीबी की हालत से बदहाल बुंदेलखंड की कलावती का दर्द लोकसभा में उठाकर पूरे विश्व का ध्यान बुंदेलखंड के पिछड़ेपन की ओर इंगित किया था। सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली की भी भौगोलिक स्थिति और समस्याएं बुंदेलखंड जैसी हैं। साथ ही ये तीनों जनपद उत्तरप्रदेश के सबसे नक्सल प्रभावित जनपदों में शुमार हैं।

करीब पांच बजे राहुल गांधी ने कांग्रेस के साथ खड़े होने और स्वागत के लिए लोगों को धन्यवाद देते हुए अपनी बात शुरू की। सबकी इंद्रियां राहुल गांधी के एक-एक शब्द को ध्यान से सुन रही थीं, लेकिन राहुल गांधी के सभी शब्दों को सुनने के बाद लोगों की सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली के लिए विशेष पैकेज की आशाएं धरी की धरी रह गयी। चिलचिलाती धूप में यहां के गरीबों और किसानों को राहुल गांधी से निराशा ही हाथ लगी। यदि राहुल गांधी के भाषण पर ध्यान दें तो उन्होंने पूरे भाषण के दौरान उत्तर प्रदेश में चल रही बहुजन समाज पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए खासतौर से युवाओं का आह्वान कर कांग्रेस के मिशन 2012 का जोरदार आगाज किया। राहुल गांधी ने देश की वर्तमान राजनीति की उकरते हुए कहा कि आज हिंदुस्तान में दो विचार धाराएं हैं। यहां दो तरीकों की सरकार चलती है। एक जो पूरे हिंदुस्तान को एक आग में झोकती है। एक गृहस्ती को अपना मानकर चलती है। चाहे वो गरीब हो, अमीर हो, पिछड़ा हो, दलित हो आदिवासी हो। कांग्रेस पार्टी की सरकारें सभी को साथ लेकर चलती हैं। 

साल 2004 में दिल्ली में आपने ऐसी ही सरकार बनाई। ‘‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को पूरी दुनिया का बेहतरीन प्रोग्राम करार देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैं राज्यों में गांव गांव में जाता हूं। लोग नरेगा को सबसे बेहतर प्रोग्राम करार देते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार इसे ठीक नहीं मानती है। बीते 20 सालों के दौरान उत्तर प्रदेशकी राजनीति की आलोचना करते हुए राहुल गांधी ने कहा’’ आपने पहले धर्म की राजनीति देखी। भाजपा की सरकार आयी। आपने उसे हटाया। फिर जाति की सरकार आयी। सपा की सरकार आयी। आपने उसे बदला। फिर बीएसपी आयी। उसने कहा दलितों की सरकार बनेगी। मुझे दलितों की सरकार दिखाई नहीं देती। बहुजन समाज पार्टी की सरकार प्रहार करते हुए राहुल गांधी ने अपने संस्मरण के माध्यम से उत्तर प्रदेश में सरकार नहीं होने की बात कही। कांग्रेस महासचिव ने आगामी विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को हराकर उत्तर प्रदेश को बदलने का आह्वान किया। उन्होंने सोनभद्र में खनीज इँडस्ट्री होने के बाद भी बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल पाने पर बीएसपी सरकार को दोषी ठहराया। साथ ही गांवों में पांच से छह घंटे बिजली आपूर्ति को लेकर बसपा को आड़े हाथों लिया। करीब बारह मिनट के अपने भाषण में राहुल गांधी ने सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली के आदिवासियों, वनवासियों और गरीबों की आशाओं के अनुरूप कोई भी ऐसी घोषणा नहीं की जिससे चिलचिलाती धूप में त्वचा झुलसाने का फल यहां के बाशिंदों को मिल सके। 

राहुल गांधी को आदिवासियों की व्यथा की हालत तब भी नहीं याद आयी जब भूखमरी से 18 बच्चों की मौत का गवाह बन चुकी घसिया बस्ती (सोनभद्र) निवासी गरीब आदिवासी कतवारू ने आदिवासियों की धरोहर धनुष-तीर और टोपी उन्हें भेंट की। कतवारू के माध्यम से आदिवासियों ने अपने प्रेम और आतिथ्य का संस्कार दिखाया लेकिन उन्हें एक बार फिर कांग्रेस के युवराज से निराशा ही हाथ लगी। इतना ही नहीं, राहुल की जनसभा में शामिल होने गए सोनभद्र के आदिवासी शिवधार और नन्दलाल को हवालात की हवा भी खानी पड़ी। परसोई निवासी आदिवासी शिवधार को कुछ घंटों की पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया, लेकिन ओबरा थाना क्षेत्र के पनारी गांव के खाड़र टोला निवासी नन्दलाल को 24 घंटे हवालात की हवा खानी पड़ी। वरिष्ठ कांग्रेसी राजेशपति त्रिपाठी और ललितेश त्रिपाठी के कहने के बाद भी नन्दलाल को नहीं छोड़ा गया। नन्दलाल को छुड़ाने के लिए इंटक के जिलाध्यक्ष हरदेव नारायण तिवारी और छात्र नेता विजय शंकर यादव अहरौरा थाने में देर रात तक लगे रहे, लेकिन पुलिस वालों ने एक न सुनी। आखिरकार 19 मई की शाम नन्दलाल को उप जिलाधिकारी चुनार सामने बांड भरना पड़ा। तब जाकर पुलिसवालों ने नन्दलाल को छोड़ा। राहुल को देखने की आशा से नन्दलाल अपनी धरोहर तीर-धनुष लेकर गया था और उसकी धरोहर ही उसके लिए सजा बन गई। यहां तक कि उसपर नक्सली होने तक का आरोप लगाया गया। 

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