शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

उर्जाचंल मे बेखौफ नकली दवा का चल रहा कारोबार

विगत काफी दिनो से उर्जाचंल परिक्षेत्र मे बडे पैमाने पर नकली दवाओं का कारोबार बेहिचक चल रहा हैै। जिसके लिये न कोई जनप्रतिनीधी या सरकारी अफसर को ही कोई सुध है। बिना मान्यता प्राप्त के ही अनगीनत पैथोलाजी सेन्टर चल रहे है कोई भी मरीज मर्ज से राहत न मिलने पर डाक्टर को ही दोषी ठहराता है। डाक्टर द्वारा लिखे रक्त जाचं पेषाब जाचं या मल जॅंाच को बिना मान्यता प्राप्त पैथोलाजी सेन्टर से मिले गलत रिपोर्ट के आधार पर डाक्टर द्वारा दवा लिखना और मेडिकल स्टोर से नकली दवा मीलना मरीज को सीधा मौत का रास्ता दिखा रहा है। किसी धायल व्यक्तिी को चोट लगने के बाद किए गये एक्सरे मे डाक्टरो द्वारा हड््डी मे हेयर कै्रक के नाम पर पन्द्रह दिन से एक महीने के लिए प्लास्टर चढा देना डाक्टरो के लिए आम बात हो गया है। 

अनपरा चिकित्सालय मे जो भी दवा र्कमचारीयो के लिए या ग्रामीणो के लिए आती है उसे बडी सफाई से वहां के र्कमचारी अस्पताल से निकाल कर नजदीकी मेडीकल स्टोरो पर कम दामो पर बडी सफाई से बेच देते है। समस्त डाक्टरो से प्रार्थना है कि मराीज के र्मज को अगर नही पकड पाते है तो उन्हे उचित समय पर अच्छे जगह पर ईलाज के लिए रेफर कर दें। न की उस पर रिर्सच कर मरीज को मौत की राह पर ले जाये इलाज के नाम पर चल रहे अवैध गोरख घन्धे पर कडाई से लगाम लगाने की जरुरत आ गयी है। जनता का खामोश रहना इस व्यवसाय को बढावा दे रहा है। प्रदूषण नियन्त्रण विभाग द्वारा जब भी किसी पावर प्लाटं को कारखाना बनाने की अनुमति प्रदान की जाती है। तब मुख्यतः पांच चीजो को नजदीकी ग्रामीण क्षेत्र को प्रदान करनी होती है। पानी, रोड, शिक्षा, चिकित्सा, और बिजली तभी कारखाना खोलने की अनुमति मिलती है। 

निजी संस्थानो द्वारा ग्रामीण क्षेत्र को यह सभी सुविधा मिल रहा है। अनपरा कारखाने द्वारा यह सुविधा मात्र डिबुलगंज को ही दिया जा रहा है। अनपरा कारखाने के खुलते समय अधिकृ््ृति की गयी जमीनो मे काफी हिस्सा औडी एवं अनपरा ग्राम सभा का सरकार द्वारा अधिकृत किया गया था। इसके बाद भी ये ग्राम सभा इन पॅाचो सुविधा से वंचित है। औडी ग्राम सभा के बच्चो को स्कूल जाने हेतू सडक मार्ग न देना, रोड की व्यवस्था इनकी स्वयं खराब है। इससे भी औडी वासी वंचित है, पानी एवं बिजली ये केवल डिबुलगंज को ही मुहैया करा रहे है। चिकित्सालय मे इनके कोई भी चिकित्सक इलाज हेतू बैठता ही नही है। सभी चिकित्सक अपने धरो पर परामर्श शुल्क 200 रु ले कर ही ग्रामीणो का इलाज करते हुए बडी आसानी से देखे जा सकते है। जनप्रतिनिघी केवल सडको पर प्रर्दशन कर अखबार मे फोटो खिचवा कर ही इसे हासील करने मे अपना बडप्पन समझते है, जबकी न्यायालय द्वारा इसे सहजता से हासिल कर सकते है। पहले के डाक्टर को जनता भगवान की नजर से देखते थे। अब के डाक्टर को धनवान की नजर से देखा जाता है।                                                                                                                                                                                         

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