शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

एक जमीन के लिए दो बार मुआवजा चाहते हैं प्रभावित लोग

दादा ने लिया मुआवजा, अब नाती लाइन में
नई भूमि अधिग्रहण नीति के तहत मुआवजे के लिए केस
ग्राम सभा की ओर से हाईकोर्ट पहुंचा अधिग्रहण का मामला

कनहर सिंचाई परियोजना अब भी मकड़जाल में फंसी हुई है। इसमें दादा ने मुआवजा ले लिया, अब उनके नाती मुआवजा की दावेदारी कर रहे हैं। इनकी मांग है कि पुनर्स्थापित के बाद ही उनकी जमीन ली जाए। कुछ मामले ऐसे भी हैं कि जो मुआवजा कम मिलने की दलील देकर कोर्ट चले गए हैं। ग्राम सभा की ओर से दायर मुकदमे में नई अधिग्रहण नीति के तहत मुआवजे की मांग की गई है।

कनहर सिंचाई परियोजना का उद्घाटन 1976 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने किया था। इस परियोजना से हजारों एकड़ जमीनों को खेती के लिए पानी देना था। इसमें 11 गांव के लोगों को विस्थापित होना है। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत जमीन अधिग्रहण में आती रही। कुछ लोग इसका विरोध भी करते रहे। दूसरे इस योजना को सियासत ने भी लटका दिया। सरकार बदलती गई लेकिन योजना शुरू नहीं हो सकी। 1979-81 के बीच कुछ लोगों को दो हजार रुपये बीघा के हिसाब से मुआवजा दिया गया। साथ में प्लाट देने का भी वादा किया था। सूत्रों के अनुसार उनकी जमीन का ट्रांसफर नहीं कराया गया। यानी रिकार्ड में अब भी जमीन इनकी है। इन लोगों ने दोबारा मुआवजे के लिए कोर्ट का सहारा ले लिया है। जिस जमीन का मुआवजा दिया जा चुका है। उसके परिवार के दूसरे दावेदार तैयार हो गए हैं। ग्राम सभा की ओर से दायर किए गए मुकदमे में नई अधिग्रहण नीति के तहत मुआवजा देने की बात की गई है।

इधर सात नवंबर को सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव ने कनहर परियोजना का शुभारंभ कराया। इसके साथ दस करोड़ रुपये दिए और पुनर्स्थापन और उचित मुआवजे की बात कही। इसके बाद कनहर परियोजना शुरू होनी उम्मीद जगी है, लेकिन अभी कई पेच फंस रहे हैं। कनहर बचाओ संघर्ष समिति अपना विरोध जता ही रही है। लोग कोर्ट भी चले गए हैं।

नई अधिग्रहण नीति के तहत विस्थापितों को मुआवजा मिलना चाहिए। मुआवजा देकर कनहर परियोजना को जल्द से जल्द बनाना चाहिए। जिससे हजारों एकड़ भूमि की पैदावार बढ़े और किसान खुशहाल हो सकें।
-प्रभु सिंह, सचिव कनहर बनाओ संघर्ष समिति

संविधान के 73 संशोधन के अनुसार ग्राम पंचायतों की सहमति के बाद ही विस्थापित किया जाए। इसके साथ ही विस्थापन के लिए स्पष्ट नीति बनाई जाए। उनके अधिकार से वंचित न किया जाए। इसके लिए हाईकोर्ट में रिट दायर किया गया है। हम लोग अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं।
-महेशानंद, कनहर बचाओ संघर्ष समिति

परियोजना में मुआवजे के लिए प्रशासक की नियुक्ति होनी है। प्रशासक बनने के बाद मुआवजा देने और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रयास है कि जल्द ही परियोजना शुरू हो सके।
-राम अभिलाष, एसडीएम दुद्धी

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