तकनिकी सुविधाओं ने कर दिया दफ्तरों को खाली।
नवीनीकरण एवं आधुनिकिकरण के कारण कार्यालय, वर्कशाप, कर्मचारी विकास केन्द्र कान्फ्ररेन्स हाल में कर्मचारियों की संख्या कम हो जाने एवं ज्यादातर कार्य इन्टरनेट, वाई-फाई, व विडियों का कान्फ्रेन्सींग से होने के कारण आफिस विल्डिंग का ज्यादातर हिस्सा खाली हो गया है। जो आफिस कुछ वर्ष पहले कर्मचारियों, अधिकारियों, ठेकेदारों, सप्लायरों एवं विजिटरो के चहल कदमी से गुलजार हुआ करता था आज उसी विल्डिंग में एक पिन भी गिर जाए तो सुनाई पड़ती है।
एनटीपीसी की मदर प्लान्ट सिंगरौली सुपर थर्मल पावर स्टेशन में पिछले एक दशक से जारी गुणांक सेवा निवृन्ति से परियोजना परिसर वीराना होता जा रहा है। एनटीपीसी का वर्ष उन्तीस सौ पचहत्तर में स्थापना के ठीक बाद सिंगरौली विधुत गृह की नीव रखी गयी थी। दो हजार मेगावाट के इस पावर स्टेशन में कर्मचारियों अधिकारियों की संख्या तीन हजार दो सौ से भी ज्यादा पहुच गयी थी। उस समय की तकनिकि के कारण हजारों लोग अस्थायी तौर पर परियोजना निमार्ण में कार्यरत थे। विधुत विहार कालौनी ज्वालामुखी कालौनी, कोटा बस्ती कालौनी सहित एक दर्जन से ज्यादा अस्थायी कालौनियां गुलजार हुआ करती थी। पिछले एक दशक से पहले इक्का- दुक्का रिटायरमेंट हुया करता था लेकिन वर्ष दो हजार में रिटायरमेंट जो जोर पकड़ा तो एक महिने में एक अलग महिने में दो एवं फिर तीन, चार, पाॅच लोग हर महिनें रिटायर होने लगें। वर्तमान में बत्तीस सौ कर्मचारियों, अधिकारियों की जगह ग्यारह सौ लोग ही बचे है और जो है वह भी ज्यादातर नर्ह भर्ती से है। सेवानिवृत्ति कर्मचारी अपने कार्यकाल के दौरान एनटभ्पीसी के जितने करीब थे आज उतना ही दूर एवं बेगाने होते जा रहे है। इस बात का पता तब चल जाता है जब उनके रिटायर होने के छः महिने बाद हो उनके घर का बिजली पानी काट दिये जाते है या काट देने की चेतावनी मिलने ललती है। अपने युवा अवस्था से बुढ़ापे तक का सफर कर इन कर्मचारियों ने पैतिस साल से भी ज्यादा रह कर इन्होने क्वार्टर को घर बनाया एवं रिटायर होते ही एक झटके से उसी घर को छोड़ना यकीनन भारी पड़ता होगा। पैतीस वर्षो से गुलजार वही आवास उनके जाते ही वीरान, परिन्दो का वसेरा बन कर रह जाता है। सेवानिवृन्ति कर्मचारियों द्वारा उनके आवास खाली करा लेना कंपनी की जरूरत नही सिर्फ कंपनी की निति है बत्तीस सौ कर्मचारीयों के लिए अड़तीस परिसर विधुत विहार कालौनी में कराये गये है जबकि हजारों आवास कोटा बस्ती एवं ज्वालामुखी कालौनी में पहले से मौजूद है जिसमें ज्यादातर अवैध कब्जा हो चुका है। सेवानिवृन्त इन कर्मचारियों को भला क्या पता था कि अपनी कंपनी के जो अवैध कब्जा के लिए कल वे सक्रिय थे एक दिन उन्हे भी अवैध करार देकर वेदखल कर दिया जायेगा। वर्तमान में अड़तीस सौ आवास के सापेंक्ष मात्र ग्यारह सौ कर्मचारी ही रह गये है जबकि लगभग एक हजार आवासो को ठेकेदार, दुकानदार, पोस्ट आफिस, बैक इश्युरेन्स एवं कुछ विद्यालयों को आवंटित है वावजूद इसके एक हजार से भी ज्यादा आवास खाली किसी वीरान खंडहर होते जा रहे है।
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