बुधवार, 13 जून 2012

अपने ही आवास में नहीं रहना चाहते रेनुसागर ताप विद्युत गृह के कर्मचारी।

सीएचपि के पास बने एस.एफ. आवास
अपने ही आवास में नहीं रहना चाहते रेनुसागर ताप विद्युत गृह के कर्मचारी। यह बात तो थोड़ा सा अटपटा सा लगता होगा, लेकिन सच्चाई यही है। दबें जुबान से लोग कहते नहीं चुकते? ज्ञात हो की रेनुसागर पावर डिवीजन के कोल हैण्डलिंग प्लांट के पास बने एस. एफ. आवास में सैकड़ों परिवार अपने बच्चों के साथ परियोजना के द्वारा आवंटित आवास पर रहते है। ये कर्मचारी फैक्ट्री में काम करके जब अपने घर जाते है तो न उन्हें शुद्ध पानी मिल पाती है, न हवा, न वातावरण क्योंकि उनके आवास के कुछ ही दूरी पर सी.एच.पी. कै्रसर, डोजर चलता है। जहाँ से कोयला का धुल उड़कर रहवासियों को घर में रहना हराम कर दिया है। ये धुल खाना, पानी एवं कपड़े में तो लगता ही है। जमीन पर कोयले की धुल की परत जम जाती है। कर्मचाररी हिम्मत नहीं जुटा पाता कि इस बात को कही उठा सके। इन कर्मचारियों की जिन्दगी पषुवत की तरह बीत रहा है। इस सम्बन्ध में गैर सरकारी संगठन ‘‘सहयोग’’ के सचिव एवं युवा कांग्रेस नेता पंकज मिश्रा ने बताया कागजी आकड़े पेष कर अवैध तरीके से पर्यावरण प्रदूशण का प्रमाण-पत्र हासिल कर परियोजना सरकार व जनता के आँख में धूँल झोक रही है। वर्तमान परिवेष में रेनुसागर परियोजना परिसर एवं आस-पास की सड़के जिनसे परियोजना के लिए कोयले एवे राख का अभिवहन होता है। उसकी स्थिति यह है मनुश्य तो मनुश्य पषु भी नारकीय जीवन जीने को बाध्य है। प्रबन्धन के गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली के कारण रेनुसागर परियोजना एवं आस-पास के क्षेत्र का पानी, हवा एवं वातावरण इतना प्रदुशित हो चुका हैं कि लाखो जनमानस इसकी पीड़ा झेल रहा है। एैसे में आई.एस.ओ.-14001 की सार्थकता पर ही प्रष्न चिन्ह खड़ा होता है, जिसे प्र्यावरण मित्र एवं पर्यावरण हितैसी कम्पनी को ही जारी किया जात है। भ्रश्टाचार के इस दौर में इससे आगे भी इससे बेहतर पर्यावरण मित्र एवं पर्यावरण हितैसी कम्पनी होने का प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं। उच्च स्तरीय समिति द्वारा इस पूरे प्रकरण की जाँच कर, पर्यावरण संरक्षण से सम्बघित प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्था एवं सम्बन्धित कम्पनी के विरूद्ध कार्यवाही कर प्रमाण पत्र निरस्त किया जाना चाहिए। इस सम्बन्ध में व्यापार मण्डल के अध्यक्ष गोपाल गुप्ता का ह? कहना है कि बारूद के ढेर पर बसा है यह नगर। राँख बाँध से जब कभी धुल उड़ता है चारो तरफ फैलकर पर्यावरण को पूरी तरह से दूशित कर रहा है। वही गरबन्धा के ग्राम प्रधान पति गंगाराम बैसवार ने हम लोगों की खेती-बाड़ी सब उजड़ते जा रही है। गाँव में बर्फबारी की तरह परियोजना की चिमनीयों से निकलता राख गिरकर लोगों का जीना हराम कर कर रहा है। सुविधा के नाम पर परियोजना द्वारा केवल इसके निवारण का आष्वासन दिया जाता है। यदि परियोजना इस पर कोई कार्यवाही नहीं करती है तो यह समस्या जल्द ही लोगो के आक्रोष को एक विकराल आन्दोलन का रूप धारण करने पर विवष कर देगी।

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