रविवार, 17 जून 2012

जहरीला तेल नाश्ते के साथ बीमारी को भी देता है दावत


सोनभद्र के होटलों, ठेले खोमचों पर स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ बीमारियां मुफ्त में मिल रही हैं। ठेलों और होटलों पर एक ही तेल और घी में पूड़ी, कचैड़ी, बाटी के अलावा जलेबी छन रही है। बार बार तेल गर्म कर उसे जहरीला बनाया जा रहा है, वहीं धूल की परत भी बीमारियों को न्योता दे रही है। एक तरफ तो जनपद मे लोग घातक बीमारियों के शिकार होकर काल के गाल में समा रहे हैं तो दूसरी तरफ बीमारियों को दावत दी जा रही है। प्रतिदिन लोग सुबह के नास्ते व खाने के लिये होटलों की शरण लेते हैं। यही नहीं औद्योगिक प्रतिष्ठानों की ओर जा रहे लोग नाश्ते के लिए छोटे मोटे होटलों और ठेलों की शरण लेते हैं। जनपद में हजारों ठेलों पर पूड़ी, जलेबी, बाटी, चोखा आदि बेची जाती है। जनपद में जगह-जगह कई स्थानों पर ठेले खोमचों पर नाश्ते के लिए भीड़ जुटती है। यहंा मानक के विपरीत बार बार एक ही तेल में पूड़ी, कचैड़ी, समोसा, पकौड़ी आदि तले जा रहे हैं। वैज्ञानिक परीक्षणों में यह साबित हो चुका है कि तेल को बार बार गर्म करने पर वह जहरीला हो जाता है तथा इसके प्रयोग से कैंसर का खतरा होता है, लेकिन आदिवासी इलाके में लोग इस बात से अंजान हैं। यही नहीं वाराणसी शक्तिनगर मार्ग, राबर्ट्सगंज मिर्जापुर मार्ग, घोरावल खलियारी मार्ग पर हमेशा धूल उड़ती रहती है। यह धूल खाने के सामान पर पड़ती है। इन सब के प्रयोग से लोगों के बीमार पड़ने का खतरा बना हुआ है लेकिन इस ओर स्वास्थ्य विभाग का ध्यान नहीं है। एक तरफ तो जिले में संक्रामक बीमारियों की वजह से लोगों की मौत हो रही है। वही बीमारियों को दावत दे रहे ठेले खोमचों और होटलों पर कार्रवाई नही की जा रही है। एक ही तेल में बार बार सामान छानने और उसका सेवन करने से पेट से संबंधित अनेक बीमारियां होती हैं। शरीर की अधिकांश बीमारियों की जड़ दूषित भोजन ही है। ऐसे में लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। 

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