देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में स्चच्छता अभियान चलाया जा रहा है। देश को स्वच्छ रखने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है वही अनपरा परिक्षेत्र में जगह-जगह कचरा खुले स्थान में फेंक दिया जाता है, जिससे संक्रमक बीमारिया फैलने की आशंका बनी रहती है। वही पालतु गाय एवं अन्य जानवर कचरायुक्त प्लास्टिक खाकर बीमार पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक साफ सफाई का कार्य कराये जाने हेतु अनपरा परिक्षेत्र के किसी भी ग्राम पंचायत द्वारा समुचित तरीके से नहीं कराया जाता है और परियोजनाओं के आवासीय परिसर के भी कचरे खेलु में फेक दिये जाते है जबकि आवासीय परिसर के लोगों के कचरे के निस्तारण के लिये लाखो रूप्ये की लागत से कांटेक्ट दिया गया है। कालोनी से उठाने के लिए परियोजना द्वारा वाहन भी उपलब्ध कराया गया है, इसके बावजूद भी ठेकेदार नियम कानून को ताक में रखकर मनमानी ढ़ग से कार्य करते रहते है और कचरे को खुले में फेकते रहते है। ज्यादातर लोगों और परियोजनाओं के कालोनियों से निकलने वाले कचरे में खाद्य सामग्री युक्त होने से उसे जानवर खाकर बीमार पड़ रहे है। जबकि कालोनी के ठेकेदार को उसे कचरे को एकत्रित कर एक उचित स्थान पर ले जाकर नष्ट करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वही कीटनाशक दवाओ का समय पर छिड़काव नही किये जाने से इन कचरों से मच्छरो का प्रकोप बढ़ रहा है। इस ब्लाग की के किसी भी लेख से कोई व्यवसायीक लेन-देन नहीं है। यह सारे लेख सोनभद्र की समस्याओं एवं सामाजिक पहलुओं से जुड़े है। हमारा मानना है की ज्ञान समाज के विकास के लिए होता है यदि कहीं से ली गयी किसी सामाग्री पर किसी कों आपत्ति है तो हमें सूचित करे हम उसे हटा देंगे। ---धन्यवाद!---- सम्पर्क करेः shakti.anpara@gmail.com Mob: 07398337266, PH: 05446-272012
रविवार, 12 जुलाई 2015
क्षेत्र में कचरे को खाकर मवेषी पड़ रहे बीमार
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में स्चच्छता अभियान चलाया जा रहा है। देश को स्वच्छ रखने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है वही अनपरा परिक्षेत्र में जगह-जगह कचरा खुले स्थान में फेंक दिया जाता है, जिससे संक्रमक बीमारिया फैलने की आशंका बनी रहती है। वही पालतु गाय एवं अन्य जानवर कचरायुक्त प्लास्टिक खाकर बीमार पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक साफ सफाई का कार्य कराये जाने हेतु अनपरा परिक्षेत्र के किसी भी ग्राम पंचायत द्वारा समुचित तरीके से नहीं कराया जाता है और परियोजनाओं के आवासीय परिसर के भी कचरे खेलु में फेक दिये जाते है जबकि आवासीय परिसर के लोगों के कचरे के निस्तारण के लिये लाखो रूप्ये की लागत से कांटेक्ट दिया गया है। कालोनी से उठाने के लिए परियोजना द्वारा वाहन भी उपलब्ध कराया गया है, इसके बावजूद भी ठेकेदार नियम कानून को ताक में रखकर मनमानी ढ़ग से कार्य करते रहते है और कचरे को खुले में फेकते रहते है। ज्यादातर लोगों और परियोजनाओं के कालोनियों से निकलने वाले कचरे में खाद्य सामग्री युक्त होने से उसे जानवर खाकर बीमार पड़ रहे है। जबकि कालोनी के ठेकेदार को उसे कचरे को एकत्रित कर एक उचित स्थान पर ले जाकर नष्ट करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वही कीटनाशक दवाओ का समय पर छिड़काव नही किये जाने से इन कचरों से मच्छरो का प्रकोप बढ़ रहा है।
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