समस्याओं के निदान के लिए दर-दर भटकर रहे ग्रामीण
अनपरा। केन्द्र व राज्य सरकार गांवों के विकास के लिए नित्य नयी योजनाएं तैयार कर बड़े पैमाने पर धनराशि उपलब्ध करा रही है। बावजूद इन योजनाओं को जनता तक पहुचाने के लिए नियुक्त अधिकारियों की शिथिलता के कारण योजनाओं का लाभ आम जनता तक नहीं पहुच पा रहा है। ग्राम विकास अधिकारियों के गैरहाजिर होने से गांवों का विकास भी अवरूद्ध पड़ा हुआ है। जिसको लेकर ग्रामीणों मे रोष व्याप्त है। योरपुर ब्लाक के अधिन ऊर्जांचल के दर्जनों गांव ग्राम विकास अधिकारी की बांट जोह रहे है। अधिकारियों की मनमानी किस कदर हाबी है इसका अंदजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक दो दिन नहीं वरन् महीनेकृमहीने तक अधिकारियों के दर्शन ग्रामीणों को दुर्लभ हो गये है। जिसके कारण ग्रामीणों को जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे आवश्यक कार्य भी अधर में लटके पड़े है विकास योजनाओं का क्या कहना। अधिकारियों के गैरहाजिर होने से ग्रामीण महीनों-महीनों पंचायत भवन का चक्कर काटने को मजबूर है। वहीं ग्राम सभाओं में अधुरे पड़े कार्य भी पूरे नहीं हो सकें है। योरपुर ब्लाक के अधिन ग्राम सभा अनपरा में तैनात ग्राम विकास अधिकारी होली से पूर्व से मोबाइल बंद कर गायब है। होली से पूर्व शुरू हुए विकास कार्य दो माह बाद भी अधुरे पड़े है। नालियों का पानी रास्तों पर बह रहा है। ग्रामीण गंदगी के बीच आवागमन करने को मजबूर है। साथ ही केन्द्र सरकार की स्वच्छता को लेकर चलाये जा रहे अभियान भी दमतोड़ता नजर आ रहा है। कुछ ऐसा ही हाल औड़ी ग्राम सभा, रणहोर ग्राम सभा, गरबंधा ग्राम सभा, जमशीला ग्राम सभा आदि का भी है। जहां कई माह से अधिकारियों के दर्शन दुलर्भ हो गये है। बिना सूचना के अधिकारियों के गायब होने से ग्राम प्रधान भी परेशान है लेकिन अपना दुखड़ा रोये भी तो किस के सामने। वहीं ग्राम सभाओं में कार्य कर चुके मजदूर बकाया भुगतान को लेकर दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही है। अधिकारी घर बैठे ही सरकारी आदेश के अनुसार कार्य कर शासन प्रशासन के पास रिर्पोंट भेज अपना पिछा छुड़ाने में लगे है। जिसका खामियाजा स्थानीय ग्रामीणों को भुगतनी पड़ रही है। वहीं सरकारी योजनाओं का लाभ किस आधार पर ग्रामीणों को प्रदान किया जा रहा इसके भी कोई मानक निर्धारित नहीं किया गया है। केन्द्र व राज्य की योजनाओं के प्रति बरती जा रही शिथिलता सरकारी योजनाओं को बट्टा लगा रही है। इस स बंध में एडीओं पंचायत प्रेमनाथ चैबे से बात की गयी तो उन्होनें बताया कि ग्राम विकास अधिकारियों को ग्राम सभाओं में रहने के कड़े निर्देंश दिये गये है। वावजूद अधिकारी शादीकृविवाह के अलावा अन्य कार्य का बहाना बनाकर ग्राम सभाओं में नहीं जा पा रहे है। जो कतई सही नहीं है। उन्होनें बताया कि सेक्रेट्री को पंचायत में सप्ताह में दो से तीन दिन रहकर ग्रामीणों की समस्या निपटाने का जि मा सौपा गया है। साथ ही उन्होनें बताय कि स बंधित ग्राम प्रधान सेक्रेट्री के अनुपस्थित रहने की शिकायत लिखित तौर पर करते है तो कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
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