गुरुवार, 1 सितंबर 2011

ग्रामीण पानी की किल्लत से दर-दर भटकते-भटकते !

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मन्त्रालय ने उत्तर-प्रदेश शासन के ग्रामीण विकास विभाग के कानो तक शायद जनपद सोनभद्र के म्योरपुर विकास खण्ड स्थित आदिवासी/बनवासी बाहुल्य ग्राम सभा रणहोर, कुलडोमरी, पाटी, बेलहत्थी, सिन्दूर, बेलवादह एवं औड़ी में अकाल/पेयजल के संकट से प्रभावित क्षेत्रों में 300 हैण्डपम्प लगाये जाने की बात अभी तक नहीं पहुँची है। 29 अप्रैल, 2010 को केन्द्रीय ग्रामीण विकास मन्त्री श्री सी.पी.जोशी को ग्रामीणों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा पत्र लिखकर अवगत कराते हुए आग्रह किया गया था कि जनपद सोनभद्र (उ.प्र) के दो विकास खण्डो में पड़ने वाले भाठ क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां काफी दुरूह हैं। भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर ऐसा अनुभव होता है कि यहां रहने वाले लगभग एक लाख आदिवासी ग्रामीण किसी दैवीय आपदा के कारण 18 वीं सदी का पशुवत जीवन जी रहे हैं। उपरोक्त क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां दुरूह होने के साथ-साथ पूरा क्षेत्र गम्भीर पेयजल संकट से विगत पांच वर्षों से जूझ रहा है। विगत पांच वर्षों में पूरा क्षेत्र सूखे के गम्भीर चपेट में है जिससे कृषि एवं अन्य अजीविका के साधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इस वर्ष मार्च माह से अब तक सैकड़ो पशु पानी-चारे के अभाव में काल कलवित हो चुके हैं।

भाठ क्षेत्र में पेयजल की समस्या गम्भीर होने के कारण मानवीय जीवन के समक्ष भी गम्भीर संकट खड़ा हो गया हैं। गर्मियों के मौसम में पशुओं एवं मानवीय जीवन को जीवन्त रखने के लिए भाठ क्षेत्र के लोग अपने परिवार एवं पशुओं के साथ खुले आसमान के नीचे रिहन्द सागर के किनारे अपना जीवन यापन करने को मजबूर होना पड़ता हैं। पेयजल की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण लोग कई किलोमीटर दूर से नालों एवं चोहड़ों से पानी लाकर पीने को मजबूर हैं गर्मियों में स्थिति भयावह हो जाती है तथा नालों एवं चोहड़ों में पानी सूख जाने के कारण जीवन दुरूह हो जाता है। विगत वर्षोें में सैकड़ों की संख्या में पशुओं ने पानी एवं चारे के अभाव में दम तोड़ दिया है। केन्द्र एवं राज्य सरकार के कार्यक्रमों के तहत वहां पेयजल के लिए हैण्डपम्प, बन्धी, कुओं आदि का निर्माण कराया गया है जो कि परिस्थितियों के हिसाब से नाकाफी है तथा राज्य सरकार द्वारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों की उपेक्षा से उन्हे अपेक्षित सहायता/विकास का भागीदार नहीं बनाया जा सका है। 

क्षेत्र में व्याप्त गम्भीर पेयजल संकट को देखते हुए अविलम्ब ग्रामीण विकासक मन्त्रालय की ओर से व्यापक सर्वे कराकर चिन्हित स्थानों पर 300 हैण्डपम्प लगवाने का कार्यक्रम प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए। उक्त प्रकरण पर विभाग द्वारा त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा है। अन्यथा यहा के ग्रामीण पानी की किल्लत से दर-दर भटकते-भटकते पानी के अभाव में काल कलवित ना हो जाये।

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