गुरुवार, 1 सितंबर 2011

भाठ क्षेत्र आजादी के छः दषक बाद भी सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा एवं चिकित्सा जैसी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।

जनपद सोनभद्र (उ.प्र) के दो विकास खण्डो में पड़ने वाले भाठ क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां काफी दुरूह हैं। भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर ऐसा अनुभव होता है कि यहां रहने वाले ग्रामीण किसी दैवीय आपदा के कारण १८ वीं सदी का पशुवत जीवन जी रहे हैं। भाठ क्षेत्र आजादी के छः दषक बाद भी सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा एवं चिकित्सा जैसी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। सड़क न होने के कारण लगभग 80 हजार से एक लाख की आबादी जिसमें मूलतः खरवार, गोड़, अगरिया, पनिका, बैगा (अनुसूचित जनजाति) तथा चमार, बियार, बैसवार एवं कोल (अनुसूचित जाति) के लोग विकास की मुख्य धारा से कटे हुए हैं। भाठ क्षेत्र में जो वर्तमान में कहीं-कहीं डब्ल्यु.बी.एम. सड़के हैं वह सम्बन्धित विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उसकी स्थिति यह है कि सामान्य पशु भी उस पर आसानी से नहीं चल सकता। 
सड़क न होने के कारण भाठ क्षेत्र का जीवन इतना दुरूह है कि उक्त क्षेत्र में लोगों के बीमार हो जाने पर उन्हे खटिये पर लादकर 30 से 40 किलोमीटर दूर पहाड़ों के टेढ़े-मेढ़े रास्तों से गुजरकर ही प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करायी जा सकती है। 30 से 40 किलोमीटर की यात्रा तय करने में दुरूह पहाड़ी परिस्थितियों के कारण सात से आठ घण्टे लगते हैं। गम्भीर रूप से बीमार सैकड़ों लोगों की जान इस 30 से 40 किलोमीटर की यात्रा करने में ही निकल गयी। गर्भवती महिलाओं की स्थिति गम्भीर होने पर उन्हे उपरोक्त परिस्थितियों में ही चिकित्सा उपलब्ध करायी जा सकती है तथा उन्हे खटिये पर लेटकर 30 से 40 किलोमीटर की यात्रा करनी होती है। ऐसी परिस्थितियों में गर्भवती महिलाओं एवं प्रसव के दौरान होने वाली मातृ मृत्यु दर सामान्य जगहों से लगभग दस गुना भाठ क्षेत्रों में ज्यादा है। सभ्य समाज के लिए उपरोक्त परिस्थितियां बड़ी गम्भीर चुनौती खड़ा करती हैं तथा उस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों का विकास केन्द्र एवं राज्य सरकार के मुख्य एजेण्डे में शामिल है। ऐसे में लगभग 40 किलोमीटर के विस्तार में फैले इस क्षेत्र में सड़क का न होना जनपद सोनभद्र के इस दुरूह भाठ क्षेत्र के विकास के पहिए की गति बयां करता है। आवागमन के लिए पर्याप्त सड़क न होने के कारण लगभग एक लाख की आबादी पिछड़ापन, अशिक्षा एवं अन्य विपदाएं झेल रही है। केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी नरेगा एवं अन्य योजनाएं उक्त क्षेत्रों में पर्याप्त सड़क न होने के कारण प्रभावित हो रही हैं तथा भ्रष्टाचार से घिरी हुई है। राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण ग्रामीणों में गहरा रोष व्याप्त है तथा इस नक्सल प्रभावित जनपद में ग्रामीण अपनी उपेक्षा के कारण धीरे-धीरे नक्सल गतिविधियों की तरफ बढ़ रहे हैं जिस पर समय रहते उपयुक्त समाधान न करने से इस औद्योगिक जनपद की विधि व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पडे़गा जिससे देष के औद्योगिक विकास के साथ-साथ अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत सड़क से जोड़कर सोनभद्र के आदिवासियों एवं वनवासियों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके तथा उनके जीवन स्तर में व्यापक सुधार लाया जा सके।

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