जनपद सोनभद्र (उ.प्र) के दो विकास खण्डो में पड़ने वाले भाठ क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां काफी दुरूह हैं। भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर ऐसा अनुभव होता है कि यहां रहने वाले ग्रामीण किसी दैवीय आपदा के कारण १८ वीं सदी का पशुवत जीवन जी रहे हैं। भाठ क्षेत्र आजादी के छः दषक बाद भी सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा एवं चिकित्सा जैसी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। सड़क न होने के कारण लगभग 80 हजार से एक लाख की आबादी जिसमें मूलतः खरवार, गोड़, अगरिया, पनिका, बैगा (अनुसूचित जनजाति) तथा चमार, बियार, बैसवार एवं कोल (अनुसूचित जाति) के लोग विकास की मुख्य धारा से कटे हुए हैं। भाठ क्षेत्र में जो वर्तमान में कहीं-कहीं डब्ल्यु.बी.एम. सड़के हैं वह सम्बन्धित विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उसकी स्थिति यह है कि सामान्य पशु भी उस पर आसानी से नहीं चल सकता। इस ब्लाग की के किसी भी लेख से कोई व्यवसायीक लेन-देन नहीं है। यह सारे लेख सोनभद्र की समस्याओं एवं सामाजिक पहलुओं से जुड़े है। हमारा मानना है की ज्ञान समाज के विकास के लिए होता है यदि कहीं से ली गयी किसी सामाग्री पर किसी कों आपत्ति है तो हमें सूचित करे हम उसे हटा देंगे। ---धन्यवाद!---- सम्पर्क करेः shakti.anpara@gmail.com Mob: 07398337266, PH: 05446-272012
गुरुवार, 1 सितंबर 2011
भाठ क्षेत्र आजादी के छः दषक बाद भी सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा एवं चिकित्सा जैसी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।
जनपद सोनभद्र (उ.प्र) के दो विकास खण्डो में पड़ने वाले भाठ क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां काफी दुरूह हैं। भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर ऐसा अनुभव होता है कि यहां रहने वाले ग्रामीण किसी दैवीय आपदा के कारण १८ वीं सदी का पशुवत जीवन जी रहे हैं। भाठ क्षेत्र आजादी के छः दषक बाद भी सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा एवं चिकित्सा जैसी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। सड़क न होने के कारण लगभग 80 हजार से एक लाख की आबादी जिसमें मूलतः खरवार, गोड़, अगरिया, पनिका, बैगा (अनुसूचित जनजाति) तथा चमार, बियार, बैसवार एवं कोल (अनुसूचित जाति) के लोग विकास की मुख्य धारा से कटे हुए हैं। भाठ क्षेत्र में जो वर्तमान में कहीं-कहीं डब्ल्यु.बी.एम. सड़के हैं वह सम्बन्धित विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उसकी स्थिति यह है कि सामान्य पशु भी उस पर आसानी से नहीं चल सकता।
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