सोनभद्र स्थित लगभग 300 खदानों में मृत्यु और दुर्घटनाओं का ताण्डव चल रहा है, परन्तु प्रषासन सिर्फ इसकी लीपापोती और सौदेबाजी में व्यस्त है। इस बात का पता इसी बात से चलता है कि जहाँ समाचार पत्र विगत तीन सालों में मृत्यु की संख्या दर्जनों में दर्षाते है वही आरटीआई द्वारा मांगे जाने पर शासन सिर्फ 3 ही मौत की पुष्टि करता है। सोनभद्र के खनन क्षेत्रों में जहाँ आधी अवैध खदानें है वही डीजीएमएस के नियमों की धज्जियाँ उड़ायी जा रही है। गैर कानूनी रूप से कृषि क्षेत्र में प्रयोग लाये जाने वाली ट्रैक्टर जो कि डीजीएमएस के वाहन चार्ट में नहीं आता और अमोनियम नाइट्रेट हजारों टनों में प्रयोग किया जा रहा है। विदित हो कि आमेनियम नाइट्रेट राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबन्धित बारूद है परन्तु यह टनों की मात्रा किसी भी क्रषर प्लोट पर देखा जा सकता है। जो गाहे-बगाहे नक्सलियों के हाथ भी लग जाता है। नियमों की यह अनदेखी नक्सलवाद और ज्यादातर मौत की वजह है।
इस ब्लाग की के किसी भी लेख से कोई व्यवसायीक लेन-देन नहीं है। यह सारे लेख सोनभद्र की समस्याओं एवं सामाजिक पहलुओं से जुड़े है। हमारा मानना है की ज्ञान समाज के विकास के लिए होता है यदि कहीं से ली गयी किसी सामाग्री पर किसी कों आपत्ति है तो हमें सूचित करे हम उसे हटा देंगे। ---धन्यवाद!---- सम्पर्क करेः shakti.anpara@gmail.com Mob: 07398337266, PH: 05446-272012
शुक्रवार, 25 जनवरी 2013
बिड़ला प्रबन्धतंत्र द्वारा षिक्षालयों पर सरकारी आदेष लागू नहीं होते।
बिड़ला प्रबन्धतंत्र अपने तानाषाही रवैये के लिए, वैसे ही जनमानस के बिच विख्यात है। जहाँ हिण्डालकों इण्डस्ट्रीज एवं उससे सम्बद्ध रेणुपावर कं. रेणुसागर वर्षो से कर्मचारियों की हितों की सदैव अनदेखी करती रही है। सूत्रों कि माने तो प्रतिष्ठान में कार्यरत कर्मचारी रोजी-रोटी छिन जाने के भय से ना कभी अपनी आवाज उठा पाये, और ना प्रबन्धतंत्र के तानाषाही रवैयें के खिलाफ अपने मूल अधिकार के प्रयोग करने का दुस्साहस जुटा पाये। जिसने भी कभी ऐसा कदम उठाया उसे कम्पनी के उत्पीड़न का षिकार होना पड़ा। दि पायनियर की कलम के सामने एक नजारा प्रस्तुत हुआ। जो बाल-हित में केन्द्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे महत्वाकांक्षी योजना मध्यान्ह भोजन (मिड-डे-मिल) जैसे अभियान को हिण्डालकों प्रबन्धन द्वारा खुले आम षिक्षा विभाग के आदेषों का उलंघन कर चुनौती दी है। बेसिक विद्यालयों के तर्ज पर सरकार द्वारा माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए विद्यालय में ही मध्यान्ह भोजन (मिड-डे-मिल) योजना का प्रवधान किया है। इस सम्बन्ध में आज से चार माह पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक, सोनभद्र द्वारा सोनभद्र के बारह राजकीय इण्टर कालेजों एवं तेरह वित्तपोषित इण्टर कालेजों के प्रधानाचार्यो को योजना का अक्षरषः पालन करने के लिए आदेषित किया गया था। जिला विद्यालय निरीक्षक, सोनभद्र के आदेष का पालन करते हुए सारे विद्यालयों ने बैंकों में मध्यान्ह भोजन (मिड-डे-मिल) के लिए खाता खोल दिया है। परन्तु अब तक आदित्या बिड़ला इण्टर कालेज, रेणुकूट एवं आदित्या बिड़ला इण्टर कालेज, रेणुसागर ने अपना खाता में मध्यान्ह भोजन (मिड-डे-मिल) के लिए अब तक नहीं खोला है, और ना ही षिक्षा विभाग के अधिकारी के आदेष पर भी इस अभियान में कोई दिलचस्पी दिखाई। एक बात का खुलासा और कर देना मुनासिब है कि दोनों विद्यालयों में आयोग द्वारा चयनित प्राधानाचार्य है, जो हिण्डालकों प्रबन्धतंत्र की उपेक्षा के षिकार है और जिनका वजूद रबर की मोहर तक ही सीमित है। कलम पकड़ी हुई कलाई प्रबन्धतंत्र की फौलादी उगंलियों में कैद है। क्या षिक्षा विभाग इन षिक्षालयों को प्रबन्धतंत्र के तानाषाही रवैयंें से कभी निजात दिला पायेगा ? आवम को इन्तजार है।
महिला सुलभ काम्पलेक्स की मांग तेज
उर्जान्चल के सबसे बड़े व्यस्ततम एवं भीड़-भाड़ वाले चैराहों में से एक ग्राम सभा-औड़ी के नेहरू चैक पर आज तक किसी भी प्रषासनिक संस्था द्वारा कोई भी सार्वजनिक महिला शौचालय/मुत्रालय के निर्माण न कराये जाने के सम्बन्ध में ग्राम पंचायत सदस्य औड़ी के शक्ति आनन्द ने उपरोक्त समस्या को दृष्टिगत रखते हुए, ग्रामीणों एवं क्षेत्रवासियों की हित के लिए श्रीमान जिलाधिकारी, सोनभद्र को पंजीकृत डाक द्वारा प्रेषित कर ग्राम सभा औड़ी में स्थित तिराहे (नेहरू चैक पर एक महिला शौचालय/मुत्रालय के निर्माण की आवष्यकता के लिए पाँच बिन्दूवार कारकों से अवगत कराया है।
शक्ति आनन्द ने बताया कि नेहरू चैक वाराणसी-षक्तिनगर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 75 ई पर स्थित है जहाँ प्रतिदिन सैकड़ों पैदल यात्रीयों रोडवेज बसों, सवारी वाहनों एवं स्कुल, महाविद्यालय के बच्चों के साथ-साथ स्थानीय निवासियों का आवागमन होता है। जिसमें महिलाओं बच्चों वृद्धों की संख्या अधिक होने के कारण उन्हें इस तिराहे पर शौचालय मुत्रालय न होने की स्थिति में काफी समस्या, असुविधा व परेषानी का सामना करना पड़ता है, साथ ही उपरोक्त चैराहे पर उर्जान्चल का सबसे बड़ा साप्ताहिक बाजार जो प्रत्येक सप्ताह के गुरूवार को लगता है उसमें हजारों क्षेत्रवासी व ग्रामीण अपने निज उपयोग की वस्तुएँ यहाँ खरीदारी करने आते है। जिसमें महिलाओं की संख्या अधिक होती है।
साथ-साथ प्रतिदिन इस तिराहे से क्षेत्र के दो महाविद्यालय व दो षिक्षण संस्थानों के आवागम का मुख्य मार्ग होने के कारण इस तिराहे से महाविद्यालय विद्यालय के छात्र-छात्राओं का आवागमन प्रतिदिन होता है। इस तिराहे पर ग्राम सभा औड़ी का मुख्य स्थायी बाजार मार्केट होने के कारण वयस्तता व लोगों की आवाजाही अधिक होती है जिसके लिए इस तिराहे पर एक महिला शौचालय/मुत्रालय के निर्माण आवष्यक है। अन्यथा कि स्थिति में किसी महिला/परूष को लघुषंका/दिर्घषंका की स्थिति में इस तिराहे पर कोई भी सर्वाजनिक शौचालय/स्थल की उचित व्यवस्था व साधन नहीं होने की स्थिति में बहुत असुविधा दिक्कत व परेषानी उठानी पड़ती है। पहले कभी उक्त के विषय में किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा कोई पहल नहीं की गई है। अतः इस पहल से शक्ति आनन्द युवा समाज सेवी पंकज मिश्रा सतीष दूबे प्रिन्स शर्मा एवं ग्रामीण क्षेत्रवासी जनता श्रीमान जिलाधिकारी, सोनभद्र से सहयोग के लिए अपेक्षित कार्यवाही की आषा कर रहे है।
साफ-सफाई न के बराबर, तहबाजारी वसूली जोरो पर
शक्ति आनन्द |
औड़ी मोड़ पर लगने वाले सप्ताहिक बाजार की साफ-सफाई एवं गन्दगी को लेकर लोग खासें नाराज है। ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत औड़ी के शक्ति आनन्द ने आरोप लगाया जिला पंचायत द्वारा तहबाजारी के नाम पर लाखों रूपये की राजस्व वसूली की जाती है। परन्तु साफ-सफाई के नाम पर वसूली करने वाला एवं विभाग को सांप सूंघ जाता है। बार-बार आग्रह करने पर भी उनके कान पर जूँ नहीं रेंग रहा है। आनन्द ने यह भी धमकी दिया कि समय रहते जिला पंचायत के द्वारा वैद्य या अवैद्य वसूली करने वाला नहीं चेता तो औड़ी बाजार से तहबजारी की वसूली नहीं करने दी जायेगी।
इस सम्बन्ध में शासन प्रषासन से लेकर तहबाजारी वसूलने वाले को कई बार लागो ने ध्यान आकर्षित कराया पर वह सूनने को तैयार नहीं। इतना ही नहीं जिला पंचायत द्वारा निर्धारित रेट पर न तो वसूली की जाती है ना ही बाजार में कही रेट के सम्बन्ध में बोर्ड लगाया गया है। जिसके कारण वसूलीकर्ता व्यापारियों से दबंगई के बदौलत मनमाना रेट से वसूली करते है। जबकि शासन का निर्देष है कि हर जिला पंचायत के बाजार में रेट-वसूली बोर्ड लगाया जाय।
बारह किमी की यात्रा के लिये लगते है एक घण्टे
औड़ी मोड़ से मध्य प्रदेष के सिंगरौली सीमा को जोड़ने वाली मार्ग पर इन दिनों चलना दुलर्भ हो गया हैं। पहले जहां लोगों को वाहन से सिंगरौली जाने में दस से पन्द्रह मिटन का समय लगता था वही आज एक घण्टे से ज्यादा समय लग रहा है। ज्ञात हो कि औड़ी से मध्य प्रदेष को जोड़ने वाला मार्ग जेा निमार्ण कार्य से पूर्व एक दम अच्छी हालत में था लेकिन सरकारी महकमें द्वारा एक निजी ठेकेदार को लाभ पहुचाने के उद्देष्य से इस मार्ग का कार्य सौप दिया गया जो अच्छे भले रोड को तोड़ कर उसे नया बनाने की जिम्मेदारी थी लेकिन सरकारी महकमें की उदासिनता के चलते इस मार्ग का कार्य पूरा नहीं हो पाया जिससे औड़ी से सिंगरौली जाने में जो समय 10 से 15 मिनट था आज बढ़कर एक घण्टे का हो गया है। जिस ठेकेदार के द्वारा इस मार्ग का कार्य कराया जा रहा था उसने एक किमी रोड का निर्माण भी कराया लेकिन जैसे-जैसे उसका कार्य आगे बढ़ा वैसे ही पिछे बनी रोड टुट कर बिखरने लगी तथा जगह-जगह बड़े-बड़े गढ्ढे बन गये जिस पर ठेकेदार के द्वारा मिट्टी तथा बालू डालकर इन गढ्ढों को भरा गया लेकिन बरसात आते ही ये गढ्ढे पुनः रोड से बाहर निकल कर झाकने लगे जिससे आये दिन लोग गिरकर चोटिल हो रहे है तथा बड़े वाहन जो सिंगरौली से कोयला आदि सामनों की आपूर्ति करते है इस मार्ग पर बने गढ्ढों की वजह से समय की देरी तो होती है साथ ही उनके कल-पूर्जे आये दिन खराब हो रहे है। यह मार्ग दो राज्यों की सीमाओं केा जोड़ता है साथ ही औद्यागिक राजधानी मुम्बई के साथ-साथ दक्षिण भारत को जोड़ने का काम करता है एक मात्र सिंगरौली स्टेषन ही ऐसा है जहां से मुम्बई, जबलपुर, भोपाल, अजमेर सहित वाराणसी जाने के लिए रेल की सुविधा उपलब्ध है ऐसे मेें इस मार्ग की दयनीय हालत यहां के नागरिकों के लिए एक बड़ी समस्या बन गयी है परन्तु ना ही काई जनप्रतिनिधि न ही विभाग इस ओर ध्यान दे रहा है। इस रास्ते से गुजर कर आने-जाने वाले लोगों की हालत ऐसी हो जाती है कि एक बार लोग उन्हे पहचान भी न पाये तथा षरीर की हालत इतनी खराब हो जाती है कि लोग रीढ़ की हड्डी के दर्द से ग्रसित होते जा रहे हैं वही इस मार्ग पर दो पहिया वाहन चालक जहां तहां अनियंत्रित होकर गिरते पड़ते नजर आते है वहीं गर्भवती महिलाआंे के लिए यह मार्ग अन्य पिड़ादायक सिद्ध हो रहा है जिससे इस मार्ग पर अब लोग चलने से भी कतराने लगे है। इस मार्ग को लगभग 10 किमी तक तोड़ा गया लेकिन निर्माण कार्य सिर्फ एक किमी तक ही हो पाया और जोे कार्य हुआ भी है उसकी हालत पुराने रोड से भी बदतर है जबकि सम्पूर्ण नौ किमी मार्ग वैसी ही पड़ा है जिससे लोगों को काफी परेषानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जिले के आस-पास के जंगल बना तस्करों का ठिकाना
ऽ रास्ते में पड़ने वाले गांवों के लोग तस्करों से करते हैं वसूली
सिंगरौली के सीमावर्ती प्रदेशों के जंगल पशु तस्कर गिरोहों के लिए मुफीद ठिकाना बनता जा रहा है। जंगलों के रास्ते हर माह कई सौ पशुओं को यूपी के रास्ते बिहार और झारखंड में प्रवेश कराया जा रहा है। इस धंधे में रास्ते में पड़ने वाले गांवों के चंद लोग भी तस्करों से उगाही करते हैं। मध्य प्रदेश के सीमांचल इलाके से पशुओं की तस्करी कोई नई बात नहीं है। कई बार जागरूक लोगों की सूचना पर पुलिस ने कई सौ पशुओं के साथ दर्जनों लोगों को पकड़ा लेकिन बाद में सब रफा दफा कर दिया गया। बताते हैं कि सिंगरौली का देवसर इलाका फिलहाल तस्करों के लिए सबसे मुफीद ठिकाना है। इलाके के गाय, बैल, भैंस, पड़वा व बछड़े एक सुरक्षित जगह पर इकट्ठा किए जाते हैं। इसके बाद पशुओं के झुंड को इलाके के डल्ला, पड़रियां, खोखवा होते हुए सिलफोरी के रास्ते सोन नदी पार करा उत्तर प्रदेष के सोनभद्र जिले में दाखिल करा दिया जाता है। इसके बाद पशुओं को बिहार व झारखंड के बार्डर में तय स्थान पर पहुंचा दिया जाता है जहां से बड़े कारोबारी तय रकम देकर ट्रकों से पशुओं को बंगाल (कोलकाता) के विभिन्न हिस्सों में पहुंचा देते हैं। इस तस्करी में पकड़े गए लोगों ने स्वीकार भी किया है कि वह पशुओं को बताए हुए स्थान पर इकठ्ठा करते हैं जबकि इनको जंगल के रास्ते ले जाने वाली टीम दूसरी है और उस टीम को जंगल के रास्ता की जानकारी है।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)