ऽ रास्ते में पड़ने वाले गांवों के लोग तस्करों से करते हैं वसूली
सिंगरौली के सीमावर्ती प्रदेशों के जंगल पशु तस्कर गिरोहों के लिए मुफीद ठिकाना बनता जा रहा है। जंगलों के रास्ते हर माह कई सौ पशुओं को यूपी के रास्ते बिहार और झारखंड में प्रवेश कराया जा रहा है। इस धंधे में रास्ते में पड़ने वाले गांवों के चंद लोग भी तस्करों से उगाही करते हैं। मध्य प्रदेश के सीमांचल इलाके से पशुओं की तस्करी कोई नई बात नहीं है। कई बार जागरूक लोगों की सूचना पर पुलिस ने कई सौ पशुओं के साथ दर्जनों लोगों को पकड़ा लेकिन बाद में सब रफा दफा कर दिया गया। बताते हैं कि सिंगरौली का देवसर इलाका फिलहाल तस्करों के लिए सबसे मुफीद ठिकाना है। इलाके के गाय, बैल, भैंस, पड़वा व बछड़े एक सुरक्षित जगह पर इकट्ठा किए जाते हैं। इसके बाद पशुओं के झुंड को इलाके के डल्ला, पड़रियां, खोखवा होते हुए सिलफोरी के रास्ते सोन नदी पार करा उत्तर प्रदेष के सोनभद्र जिले में दाखिल करा दिया जाता है। इसके बाद पशुओं को बिहार व झारखंड के बार्डर में तय स्थान पर पहुंचा दिया जाता है जहां से बड़े कारोबारी तय रकम देकर ट्रकों से पशुओं को बंगाल (कोलकाता) के विभिन्न हिस्सों में पहुंचा देते हैं। इस तस्करी में पकड़े गए लोगों ने स्वीकार भी किया है कि वह पशुओं को बताए हुए स्थान पर इकठ्ठा करते हैं जबकि इनको जंगल के रास्ते ले जाने वाली टीम दूसरी है और उस टीम को जंगल के रास्ता की जानकारी है।
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