शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

बिड़ला प्रबन्धतंत्र द्वारा षिक्षालयों पर सरकारी आदेष लागू नहीं होते।


बिड़ला प्रबन्धतंत्र अपने तानाषाही रवैये के लिए, वैसे ही जनमानस के बिच विख्यात है। जहाँ हिण्डालकों इण्डस्ट्रीज एवं उससे सम्बद्ध रेणुपावर कं. रेणुसागर वर्षो से कर्मचारियों की हितों की सदैव अनदेखी करती रही है। सूत्रों कि माने तो प्रतिष्ठान में कार्यरत कर्मचारी रोजी-रोटी छिन जाने के भय से ना कभी अपनी आवाज उठा पाये, और ना प्रबन्धतंत्र के तानाषाही रवैयें के खिलाफ अपने मूल अधिकार के प्रयोग करने का दुस्साहस जुटा पाये। जिसने भी कभी ऐसा कदम उठाया उसे कम्पनी के उत्पीड़न का षिकार होना पड़ा। दि पायनियर की कलम के सामने एक नजारा प्रस्तुत हुआ। जो बाल-हित में केन्द्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे महत्वाकांक्षी योजना मध्यान्ह भोजन (मिड-डे-मिल) जैसे अभियान को हिण्डालकों प्रबन्धन द्वारा  खुले आम षिक्षा विभाग के आदेषों का उलंघन कर चुनौती दी है। बेसिक विद्यालयों के तर्ज पर सरकार द्वारा माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए विद्यालय में ही मध्यान्ह भोजन (मिड-डे-मिल) योजना का प्रवधान किया है। इस सम्बन्ध में आज से चार माह पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक, सोनभद्र द्वारा सोनभद्र के बारह राजकीय इण्टर कालेजों एवं तेरह वित्तपोषित इण्टर कालेजों के प्रधानाचार्यो को योजना का अक्षरषः पालन करने के लिए आदेषित किया गया था। जिला विद्यालय निरीक्षक, सोनभद्र के आदेष का पालन करते हुए सारे विद्यालयों ने बैंकों में मध्यान्ह भोजन (मिड-डे-मिल) के लिए खाता खोल दिया है। परन्तु अब तक आदित्या बिड़ला इण्टर कालेज, रेणुकूट एवं आदित्या बिड़ला इण्टर कालेज, रेणुसागर ने अपना खाता में मध्यान्ह भोजन (मिड-डे-मिल) के लिए अब तक नहीं खोला है, और ना ही षिक्षा विभाग के अधिकारी के आदेष पर भी इस अभियान में कोई दिलचस्पी दिखाई। एक बात का खुलासा और कर देना मुनासिब है कि दोनों विद्यालयों में आयोग द्वारा चयनित प्राधानाचार्य है, जो हिण्डालकों प्रबन्धतंत्र की उपेक्षा के षिकार है और जिनका वजूद रबर की मोहर तक ही सीमित है। कलम पकड़ी हुई कलाई प्रबन्धतंत्र की फौलादी उगंलियों में कैद है। क्या षिक्षा विभाग इन षिक्षालयों को प्रबन्धतंत्र के तानाषाही रवैयंें से कभी निजात दिला पायेगा ? आवम को इन्तजार है। 

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