सोनभद्र स्थित लगभग 300 खदानों में मृत्यु और दुर्घटनाओं का ताण्डव चल रहा है, परन्तु प्रषासन सिर्फ इसकी लीपापोती और सौदेबाजी में व्यस्त है। इस बात का पता इसी बात से चलता है कि जहाँ समाचार पत्र विगत तीन सालों में मृत्यु की संख्या दर्जनों में दर्षाते है वही आरटीआई द्वारा मांगे जाने पर शासन सिर्फ 3 ही मौत की पुष्टि करता है। सोनभद्र के खनन क्षेत्रों में जहाँ आधी अवैध खदानें है वही डीजीएमएस के नियमों की धज्जियाँ उड़ायी जा रही है। गैर कानूनी रूप से कृषि क्षेत्र में प्रयोग लाये जाने वाली ट्रैक्टर जो कि डीजीएमएस के वाहन चार्ट में नहीं आता और अमोनियम नाइट्रेट हजारों टनों में प्रयोग किया जा रहा है। विदित हो कि आमेनियम नाइट्रेट राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबन्धित बारूद है परन्तु यह टनों की मात्रा किसी भी क्रषर प्लोट पर देखा जा सकता है। जो गाहे-बगाहे नक्सलियों के हाथ भी लग जाता है। नियमों की यह अनदेखी नक्सलवाद और ज्यादातर मौत की वजह है।
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