शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

बारह किमी की यात्रा के लिये लगते है एक घण्टे


औड़ी मोड़ से मध्य प्रदेष के सिंगरौली सीमा को जोड़ने वाली मार्ग पर इन दिनों चलना दुलर्भ हो गया हैं। पहले जहां लोगों को वाहन से सिंगरौली जाने में दस से पन्द्रह मिटन का समय लगता था वही आज एक घण्टे से ज्यादा समय लग रहा है। ज्ञात हो कि औड़ी से मध्य प्रदेष को जोड़ने वाला मार्ग जेा निमार्ण कार्य से पूर्व एक दम अच्छी हालत में था लेकिन सरकारी महकमें द्वारा एक निजी ठेकेदार को लाभ पहुचाने के उद्देष्य से इस मार्ग का कार्य सौप दिया गया जो अच्छे भले रोड को तोड़ कर उसे नया बनाने की जिम्मेदारी थी लेकिन सरकारी महकमें की  उदासिनता के चलते इस मार्ग का कार्य पूरा नहीं हो पाया जिससे औड़ी से सिंगरौली जाने में जो समय 10 से 15 मिनट था आज बढ़कर एक घण्टे का हो गया है। जिस ठेकेदार के द्वारा इस मार्ग का कार्य कराया जा रहा था उसने एक किमी रोड का निर्माण भी कराया लेकिन जैसे-जैसे उसका कार्य आगे बढ़ा वैसे ही पिछे बनी रोड टुट कर बिखरने लगी तथा जगह-जगह बड़े-बड़े गढ्ढे बन गये जिस पर ठेकेदार के द्वारा मिट्टी तथा बालू डालकर इन गढ्ढों को भरा गया लेकिन बरसात आते ही ये गढ्ढे पुनः रोड से बाहर निकल कर झाकने लगे जिससे आये दिन लोग गिरकर चोटिल हो रहे है तथा बड़े वाहन जो सिंगरौली से कोयला आदि सामनों की आपूर्ति करते है इस मार्ग पर बने गढ्ढों की वजह से समय की देरी तो होती है साथ ही उनके कल-पूर्जे आये दिन खराब हो रहे है। यह मार्ग दो राज्यों की सीमाओं केा जोड़ता है साथ ही औद्यागिक राजधानी मुम्बई के साथ-साथ दक्षिण भारत को जोड़ने का काम करता है एक मात्र सिंगरौली स्टेषन ही ऐसा है जहां से मुम्बई, जबलपुर, भोपाल, अजमेर सहित वाराणसी जाने के लिए रेल की सुविधा उपलब्ध है ऐसे मेें इस मार्ग की दयनीय हालत यहां के नागरिकों के लिए एक बड़ी समस्या बन गयी है परन्तु ना ही काई जनप्रतिनिधि न ही विभाग इस ओर ध्यान दे रहा है। इस रास्ते से गुजर कर आने-जाने वाले लोगों की हालत ऐसी हो जाती है कि एक बार लोग उन्हे पहचान भी न पाये तथा षरीर की हालत इतनी खराब हो जाती है कि लोग रीढ़ की हड्डी के दर्द से ग्रसित होते जा रहे हैं वही  इस मार्ग पर दो पहिया वाहन चालक जहां तहां अनियंत्रित होकर गिरते पड़ते नजर आते है वहीं गर्भवती महिलाआंे के लिए यह मार्ग अन्य पिड़ादायक सिद्ध हो रहा है जिससे इस मार्ग पर अब लोग चलने से भी कतराने लगे है। इस मार्ग को लगभग 10 किमी तक तोड़ा गया लेकिन निर्माण कार्य सिर्फ एक किमी तक ही हो पाया और जोे कार्य हुआ भी है उसकी हालत पुराने रोड से भी बदतर है जबकि सम्पूर्ण नौ किमी मार्ग वैसी ही पड़ा है जिससे लोगों को काफी परेषानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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