written by Shiv Das
(सोनभद्र में सालों से अवैध खनन का खूनी खेल चल रहा है, जिसकी परिणति बीते दिनों बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में एक पत्थर की अवैध खदान धंसने और करीब एक दर्जन लोगों की मौत से सामने आई। हालांकि जिला प्रशासन 10 लोगों की मौत की ही पुष्टि कर रहा है। लेकिन सवाल खड़ा होता है कि इस खूनी खेल के लिए जिम्मेदार कौन है? इस सवाल का जवाब बहुत ही साफ है, लेकिन लोकतंत्र के सभी स्तंभों के गैरजिम्मेदाराना रवैये की वजह से इस सवाल का जवाब अब भी अनुत्तरित है और भविष्य में भी अनुत्तरित रहने की संभावना है। द पब्लिक लीडर सोनभद्र में अवैध खनन के खूनी खेल की साजिश का एक-एककर पर्दाफाश करने जा रहा है जो पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित होगा। सबसे पहले मैं आपको सोनभद्र के अवैध खनन के खूनी खेल की एक तस्वीर पेश कर रहा हूं जो हाल ही में देखने को मिला....)
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पूरे इलाके की पत्थर की खदानों में संचालकों के इशारे पर दोपहर बाद एक-एककर विस्फोट किया गया, जो प्रायः 12 बजे से तीन बजे के बीच होता है। ऐसा ही एक विस्फोट बिल्ली स्थित शारदा मंदिर के पीछे स्थित एक पत्थर की खदान में भी पहाड़ी को तोड़ने के लिए किया गया। इससे पूरी पहाड़ी दहल उठी। चारों तरफ विस्फोटकों के धमाके से पूरे खनन क्षेत्र में कुहासा छा गया। चारों तरफ धूल ही धूल दिखाई देना लगा। धमाकों की आवाज थमने के बाद धीरे-धीरे धूल का यह कुहासा छंट गया। पत्थर की खदानों में लोग अपने-अपने काम में लीन हो गए। पत्थर और गिट्टी को क्रशर प्लांट और अन्य गंतव्य तक ले जाने के लिए ट्रैक्टरों और ट्रकों का काफिला मौत का कुआं बन चुकी पत्थर की खदानों में पहुंच गए। वाहनों पर लदाई करने वाले मजदूर भी अपने परिवार के साथ इन गहरी पत्थर की खदानों में पहुंच चुके थे। इनमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे। इन मजदूरों में आदिवासी और दलित समुदाय की संख्या हर दिन की तरह आज भी अधिक थी। लोग अपने कामों में लग गए।
कुछ ऐसा ही नजारा बिल्ली के शारदा मंदिर के पीछे स्थित पत्थर की एक खदान का भी था। करीब 50 फीट गहरी इस खदान में लोग अपने काम में मशगूल थे। शाम को करीब साढ़े पांच बजे अचानक इस खदान में काम कर रहे लोगों पर पहाड़ी का एक टीला गिर पड़ा, जिससे इस खदान में चीखें सुनाई देने लगीं। आस-पास की खदानों में काम कर रहे लोग चीखें सुनकर खदान की ओर दौड़े। यहां का मंजर देख लोगों के होस उड़ गए। किसी के समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें।
कुछ देर बाद लोग मलबे के नीचे दबे लोगों की चीख सुनकर उनकी ओर दौड़े और उन्हें बाहर निकालने की कोशिश करने लगे। इस बात की खबर जंगल में लगी आग की तरह पूरे खनन क्षेत्र में फैल गई। लोगों ने इस बात की सूचना जिला प्रशासन को दी। करीब दो घंटे बाद मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासन के नुमाइंदों ने मलबे के नीचे दबे शव को निकालना शुरू किया। एक-एक शव को निकलता देखकर लोगों की आंखे नम होने लगी। साथ ही इस आशंका के साथ उनके दिल की धड़कने भी बढ़ने लगी कि कहीं इस मलबे के नीचे मेरे परिवार का कोई सदस्य तो नहीं है।
फिलहाल 27 फरवरी को देर रात चले बचाव कार्य में छह शवों को मलबे से बाहर निकाला गया और कई घायल लोगों का उपचार किया गया। कुछ घायल लोगों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। किसी तरह ये काली रात कट गई। एक-एककर 4 मार्च तक 10 शव मलबे से बाहर निकाले जा चुके थे जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं। इस खदान के पास की खदानों में काम करने वाले लोगों की बातों पर विश्वास करें तो मरने वाले लोगों की संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि इस खदान में करीब दो दर्जन लोग काम कर रहे थे। फिलहाल जिला प्रशासन की ओर से 10 लोगों के मरने की पुष्टि की गई है जिनमें सोनभद्र के मारकुंडी निवासी सोमारू का 23 साल का बेटा राजकुमार भी शामिल है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश के सीधी जिले के पिहलहा गांव निवासी शिव प्रसाद साकेत पुत्र बाबू लाल, दरिया गांव निवासी राम सुमिरन साकेत पुत्र बैठाले, धर्मदास साकेत पुत्र राम सुमिरन, राजू साकेत पुत्र बब्बन साकेत, पप्पू साकेत पुत्र बब्बन साकेत, उमरिया गांव निवासी राम प्रकाश गोंड़ पुत्र तेजभान, शिवनाथ गोंड़ पुत्र श्यामलाल गोंड़, सियावती पत्नी शिवनाथ गोंड़, मानसिंह पुत्र जगन्नाथ गोंड़ आदि भी मरने वालों में शामिल हैं। गंभीर रूप से घायल दो व्यक्तियों को वाराणसी स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनमें से एक का नाम कैस पुत्र मंधारी है जो मध्य प्रदेश के सीधी जिले के सिपामहा का निवासी है।
जिला प्रशासन ने मामले में 16 लोगों के खिलाफ विभिन्न कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज किया है, जिसमें से दो की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है उनमें राजा राम यादव, राज बहादुर, धीरज जायसवाल, शिव शरण, पप्पू पानी, फौजदार सिंह, टम्पू गुप्ता, रोहित मेहरोत्रा, पीके सिंह, राम नारायण यादव, सुंदर मिश्रा, पिंटू पटेल, सरोज चौधरी, मनोज चौधरी, सच्चिदानंद तिवारी, अनिल मौर्या आदि का नाम शामिल है। इनमें से करीब आधा दर्जन लोग अपने वाहनों पर प्रेस लिखवाकर सफर करते थे। इसके अलावा पुलिस प्रशासन ने ओबरा के थाना प्रभारी समेत तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। साथ ही जिला अधिकारी विजय विश्वास पंत ने खान विभाग के दो सर्वेयरों को भी निलंबित कर दिया है और जिला खान अधिकारी एके सेन के निलंबन के लिए शासन को सिफारिश भेज दी है। इसके अलावा जिला प्रशासन ने मामले की जांच अपर जिलाधिकारी वेदपति मिश्र सौंप दी है। उधर, वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए इलाके के डिप्टी रेंजर सीताराम और वनकर्मी टीपी सिंह को निलंबित कर दिया है। प्रशासन की ओर से मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है।
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मूल लेख स्त्रोत:-
द पब्लिक लीडर मीडिया ग्रुप,
राबर्ट्सगंज, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश
ई-मेल:thepublicleader@gmail.com,
मोबाइल-09910410365
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