1. अवैध नषीले पदार्थ की बिक्री पर पुलिस नहीं लगा पा रही है रोक।
2. नषे की पूर्ति करने के लिए युवा करते है चोरी।
3. चिन्हीत नषीले पदार्थ बेचने वालों से करती वसूली।
4. 60 आबकारी एक्ट में चिन्हीत आरोपियों को ही पुलिस द्वारा दिखाया जाता है चालान।
‘‘तुझे सूरज कहू या चन्दा, तुझे दीप कहू या तारा मेरा नाम करेगा रौषन, जग में मेरा राज दुलारा’’
यें पक्तियाँ एक फूल दो माली फिल्म की है। जिसमें हर पिता के उन सपनों का माखौल उड़ा रही है जब पहली बार पुत्र रत्न की प्राप्ति होने पर हर पिता इस सपने को संजोये रखता है। पर उसे क्या मालूम की इस भ्रष्ट समाज एवं प्रषासन के गैर जिम्मेदारी के चलते उसके सपने वक्त अनुसार चकनाचूर हो जायेंगे। आज समाज में जिवकोपार्जन चलाने के नाम पर अवैध सामग्रीयों के धन्धा करने वाले लोग उस सच को झूठला दे रहे है कि सामने खड़े जिस युवक को मैं मौत की सामग्री बेंचकर अपनी जिवीका चला रहा हूँ, उसी के समान उनका अपना भी पुत्र है। वही दूसरी तरफ भ्रष्ट प्रषासन को जानकारी होने के बावजूद इसीके रोकथाम के लिए, कोई उचित कदम नही उठ रहा है। नषे की लत की गिरफ्त में पड़ा हर नवयुवक आज मुजरिम बनने के कगार खड़ा हो चुका है। इन सबके पिछे क्या कारण है ? इन कारणों के सुधार बजाय पुलिस इन्हें पकड़कर लाती है और उनके ऊपर धारा लगाकर जेल भेज देती है। चोरी, छिनैती, डाका, हत्या जैसे जघन्य अपराध में पड़े इन युवकों के ऊपर कानून की धारा लगाकर बड़े मुजरिम बनने का प्रमाण पत्र दे देती है। हर माह आबकारी विभाग द्वारा दौरा किया जाता है। जाँच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता अदा कर दी जाती है।
आज भी उर्जान्चल में सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के नाम पर स्टेषनरी, मेडिकल स्टोर, सरकारी भांग की दुकान एवं पान बेचने की आड़ में नषे की बिक्री तेजी से फलफूल रहा है। उल्लेखनीय है कि जरूरी नहीं की जो चिन्हीत है, उन्हीं के ऊपर कार्यवाही हो। आज स्टेषनरी से वाईटनर, मेडिकल स्टोर से कोरेक्स (खांसी की दवा) सरकारी भांग की दुकान एवं पान बेचने वाले के यहाँ से गांजा जैसे सामानों कों इन युवको को परोसा जा रहा है। नषे का सेवन करते-करते इसके आदि बन चुके नवयुवक आर्थिक कमजोरी के कारण चोरी, छिनैती उसके बाद बड़े से बड़े अपराध करना शुरू कर देते है। पुलिसिया कार्यवाही के आदि बन जाने के बाद शुरू हो जाता है। कुछ महिनों पूर्व क्षेत्र में हुए दर्जनों चोरियों में चोरों ने पत्रकार के घर में हाथ साफ किया। इसके बाद दौरे पर आये पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार एवं जिलाधिकारी पनधारी यादव की मौजूदगी में रेनुसागर बाजार में लगभग आधा दर्जन दुकानों का ताला तोड़कर चोरों ने सलामी ठोकी थी। इन दर्जनों चारियों में दो चोरी का खुलासा हो पाया। चोरी में लिप्त युवकों को आज भी गन्तव्य स्थानों पर गांजा, शराब एवं वाईटनर का प्रयोग करते आज भी देखा जा सकता है।
आज कानून व्यवस्था में इस जुर्म को रोकने के लिए तरह-तरह की व्यवस्थाये प्रदान की जा रही है। लेकिन देष का संविधान इस बात को भूल चुकी है कि जुर्म करने वाले के साथ, उसे जुर्म की ओर भेजने वाला भी उतना ही बड़ा आरोपी होता है। लेकिन कानून व्यवस्था अपनी गैर जिम्मेदारी के चलते वक्त का इन्तजार करती है। समयानुसार देष का भविष्य कहे जाने वाले युवक जब इस गर्त में घुस कर अपना जीवन बर्बाद कर देते है तो कानून उसको सिर्फ संविधान की धाराओं से अवगत कराती है। उनको इस गर्त में धकेलने वाले लोग अपने धन्धे में मषगुल रहते है। अवैध तरीके से की जा रही बिक्री के ऊपर कानून को षिकंजा कसना चाहिए।
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