शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

ऊर्जांचल की ऐश प्लांटों की राख बन रही जहरीली


  • वल्कर राख सड़क पर उड़ेलकर वातावरण कर रहे है प्रदूषित।
  • क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ही इनकी नकेल कसने के लिए कुछ करती।
  • कई बीमारियों के होने का बन रही वजह।


ऊर्जांचल की ऐश प्लांटों से वल्करों में इतना अधिक राख भर दिया जा रहा है वे इसे ले जाने में असहज महसूस करते है तथा ऊर्जांचल की सड़कों पर उड़ेलकर यहां के फिजा को जहरीला बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इनसे जब आम लोग राख को बीच सड़क पर गिराने का वजह पूछते है तो ये रटी-रटाई एक ही बात कहते है कि ओवरलोड हो गया है। गौरतलब है कि ऊर्जांचल के तापीय परियोजनाओं में जलने वाले कोयले की राख सीमेंट आदि उद्योगों में प्रयुक्त होने के लिए एमपी, बिहार सहित अन्य प्रदेशों में भी जाती है। कई परियोजनाएं अपने यहां ऐश रिफाइन कर ट्रकों में लोड करा कर बाहर भेजती है। अनपरा सहित पूरे ऊर्जांचल में इसे ढोने वाले वल्करों में न जाने किस अनुपात में राख भर दिया जाता है कि कुछ दूर जाने के बाद चालकों द्वारा इसमें से कुछ भाग को खुले सड़क पर नीचे उड़ेल दिया जाता है। सड़क पर गिरने के बाद ये राख के बारीक कण पूरे क्षेत्र में कुहरे की तरह हवा छा जाते है। प्रदूषण के मामले में गंभीर चल रहा ऊर्जांचल इन राख के कणों पर से गाडि़यों के गुजरने से उड़ने वाली धूल से और प्रदूषित हो जाता है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इसपर नकेल कसने के लिए कुछ नही करती है। मनमाने तरीके से राख का ढेर लगाना इनके आदतों में शुमार हो गया है। विदित हो कि सिंगरौली-अनपरा मार्ग पूर्व में ही इस राखड़ के ढेर से पट गया है लेकिन अब बिहार तथा यूपी के अन्य भागों में राख ढोने वाले वल्कर वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर राख का ढेर गाज कर इस मार्ग पर भी दुश्वारियों का ढेर लगा रहे है।

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