रविवार, 5 फ़रवरी 2012

विष्ठापितो को अब देरी बर्दाश्त नहीं!


21 सितम्बर 2011 को उ.प्र.रा.वि.उ.नि.लि. को मुख्यालय द्वारा अनपरा तापीय परियोजना के निर्माण लिये किये गये भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों के लम्बित पुर्नवास एवं पुर्नस्थापन के सन्दर्भ में लिये गये निर्णय के अनुरूप उ.प्र. सरकार की नई भुमि अधिग्रहण नीति-2011 के अनुरूप पुर्नवास एवं पुर्नस्थापन लाभ तथा भारतीय वन अधिनियम की धारा-4, वर्ग-4 एवं वनाधिकार अधिनियम-2006 के तहत बेलवादह के जनजाति परिवारों को दिये गये भूमि आदि पर मुआवजा, पुर्नवास एवं पुर्नस्थापन लाभ दिये जाने हेतु जिलाधिकारी, सोनभद्र द्वारा 22.09.2011 को बनाई गई त्रीस्तरीय समिति द्वारा दावेधारको के दावों का निस्तारण अभी तक नहीं होने से परियोजना प्रभावित हजारों परिवारों में गम्भीर रोष व्याप्त है। समयबद्ध पुर्नवास एवं पुर्नस्थापन लाभ के साथ-साथ मुआवजे का भुगतान ना होने तथा पिछली बार सितम्बर के माह में हुए विस्थापितों के आन्दोलन के उपरान्त अनपरा पुलिस द्वारा बसपा नेताओं के दबाव में फर्जी रूप से डिबुलगंज के लोग जिनकी आन्दोलन में सक्रिय भूमिका थी। उन पर सड़क जाम का फजी मुकदमा दर्ज कराया है तथा विगत एक वर्ष में सत्ताधारी दल के दबाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर दर्ज कराये गये फर्जी मुकदमों को सरकार द्वारा वापस ना लिये जाने की स्थिति में परियोजना प्रभावित परिवारों तथा समस्त उर्जान्चलवासियों द्वारा हजारों की संख्या में सामुहिक भुख हड़ताल करने की चेतावनी दी गई। 

इसके अलावा एनसीएल एवं एनटीपीसी के लिये भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को भी आन्दोलन से जोड़ने का निर्णय लिया गया। विस्थापितों द्वारा अपने आन्दोलन में सहयोग हेतु सभी राजनीतिक दलों के मुखिया को हजारों किसानों के हस्ताक्षर युक्त पत्र भेजकर उनसे सहयोग भी मांगा गया। इसके अलावा देष में कार्यरत प्रमुख समाज सेवी संगठनों से भी इस आन्दोलन में सहयोग करने के लिये आग्रह किया गया है। इसी क्रम में प्रस्तावित आन्दोलन के बिन्दूओं पर दिल्ली एवं लखनऊ में प्रेस कांफ्रेन्स कर इस आन्दोलन को व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ-साथ विषाल रूप देने का निर्णय लिया गया है। पिछले तीन दषक से विस्थापन की पीड़ा झेल रहे दलित-आदिवासी किसानों का धैर्य अब जवाब दे रहा है तथा वह किसी भी हद तक अपने अधिकारों के लिये सघर्ष करने को तैयार है। 

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