सोनांचल में काफी प्रयास के बाद भी शीतलन केंद्र (कोल्ड स्टोरेज) की स्थापना नहीं हो सकी है। इससे बंपर पैदावार के बाद भी किसानों को आलू सुरक्षित रखने का ठिकाना नहीं है। इसी तरह अत्यधिक टमाटर उत्पादन के बाद भी इसके केचअप आदि बनाने के लिए इकाई की स्थापना नहीं हो सकी। इसके लिए जिले में योजना तैयार की गई लेकिन न तो शीतलन केंद्र के लिए और न ही फल संरक्षण केंद्र के लिए कोई आगे आया। सोनांचल की पथरीली जमीन पर पारंपरिक खेती उतनी मात्रा में नहीं हो पाती है। हां यहां गैर परंपरागत सब्जी, फूल और फलों की खेती की असीम संभावनाएं हैं। यहां के किसान फल और सब्जियों की खेती कर भी रहे हैं। करमा इलाका तो टमाटरों के लिए प्रसिद्ध है, वहीं मधुपुर केकराही आदि सब्जियों के उत्पादन में आगे है। यही नहीं उर्जांचल फलों की खेती के लिए इलाके भर में जाना जाता है। बावजूद इसके किसानों को उचित प्रशिक्षण और फलों के संरक्षण का केंद्र न होने की वजह से किसानों को उतना लाभ नहीं हो पाता है। फूड प्रोसेसिंग प्लांट न होने से आलू की बंपर पैदावार के बावजूद उसे रखने के लिए कोल्ड स्टोर नहीं है। लोगों की मांग पर इस वर्ष शासन द्वारा कोल्ड स्टोरेज खोलने की योजना बनाई गई। मई माह में एक कोल्ड स्टोरेज खोलने के लिए आवेदन मांगे गए। तीन करोड़ की लागत से बनने वाले कोल्ड स्टोर के लिए एक करोड़ बीस लाख रुपये अनुदान की घोषणा उद्यान विभाग द्वारा की गई। बावजूद इसके कोल्ड स्टोरेज खोलने के लिए कोई आगे नहीं आया। अब तो पैसा वापस होने की नौबत आ गई है। इसी तरह शासन की घोषणा के बाद फूड प्रोसेसिंग प्लांट की राह ही ताक रहे हैं। जनपद में फूड प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के लिए इच्छुक लोगों से आवेदन मांगे गए थे। प्लांट की स्थापना करने वाले को एक लाख बीस हजार रुपये अनुदान की घोषणा की गई। इसके लिए तीन लोगों ने आवेदन किए, जिसमें एक अक्टूबर को विभाग द्वारा एक नाम चयनित कर लखनऊ भेजा गया है। अब देखना है कि कब तक इसका निर्माण होता है।
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