रविवार, 1 जून 2014

धारा-20 के पेच में फसे विद्यालय

वन विभाग नहीं बनने दे रहा अतिरिक्त कक्ष और बाउन्ड्री

धारा बीस के पेच में तमाम विद्यालयों का विकास कार्य प्रभावित है। विद्यालयों में बनने वाले अतिरिक्त कक्ष, किचन शेड और बाउन्ड्री के निर्माण के लिए आया धन जस का तस खाते में पड़ा है। वन विभाग के लोग काम शुरू होने के बाद रोक दे रहे है। उनका कहना है कि वे वन क्षेत्र में निर्माण नहीं होने देंगे। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि वनाधिकार कानून के तहत सार्वजनिक दावे के रूप में जमीनों का दावा दाखिल हो चुका है। वनाधिकार कानून लागू होने के बावजूद धारा बीस की जमीन से वन कर्मियों का मोह भंग नहीं हो सका है। ग्रामीणों के कब्जे की भूमि के अलावा सार्वजनिक कार्यों के लिए किये गये दावे भी उनके गले नहीं उतर रहा है। धारा बीस की जमीनों में बने विद्यालयों को जहां वन कर्मियों द्वारा गिराने तक की धमकी दी जा रही है, वहीं निर्माण की सूचना पर पहुंचे वनकर्मी कार्य को भी रोक रहे है। वनाधिकार कानून के तहत समितियों के पास पड़े सार्वजनिक दावों को भी वन कर्मी नहीं मान रहे है। इस तरह के विद्यालयों पर ध्यान दे ंतो प्राथमिक विद्यालय छुरछुरिया, नकटू, लीलासी और पूर्व माध्यमिक विद्यालय लीलासी का भी काम धारा बीस की जमीन होने के कारण ठप हो गया है। इन विद्यालयों में किचन शेड, बाडन्ड्री नकटू, अतिरिक्त कक्षाकक्ष का निर्माण प्रभावित हुआ है। काचन ग्राम पंचायत के छुरछुरिया विद्यालय के निर्माण के बाद इसे गिराने के लिए भी वन कर्मियों द्वारा कहा जा रहा है।

इसी विद्यालय की बाउन्ड्रीवाल का निर्माण आधा अधूरा होकर पूरा होने का इंतजार कर रहा है। विद्यालय की बाउन्ड्री न होने के कारण यहां तैनात अध्यापिका एवं बच्चे असुरक्षित महसूस कर रहे है। कुक्ड मिल का भोजन करते मसय जहां कुत्ते और अन्य जीव जंतु पहुंच जा रहे है, वही अतिरिक्त कक्ष न बन पाने के कारण बच्चें बाहर पढ़ने के लिए मजबूर है। रविवार को विकास खण्ड मुख्यालय पर पहुंचे विन्ध्याचल मण्डल के आगमन पर ग्रामीणों ने इसकी षिकायत उनसे की है। इस सम्बन्ध में म्योरपुर षिक्षा क्षेत्र के खण्ड षिक्षा अधिकारी राजीव यादव ने कहा कि वन विभाग सरकारी प्रक्रिया के तहत ही जमीनों के हस्तान्तरण की बात कह रहा है, ऐसे में जब तक प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक कुछ भी नहीं किया जा सकता है। 

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