रविवार, 1 जून 2014

फाइलों में कैद है जयन्त हादसे का सबूत

कोल इण्डिया की प्रमुख सहयोगी कंपनी नार्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड की जयन्त कोयला परियोजना में ओबी/कोयला फेस खिसकने से पांच कामगारों के मौत की वजहों की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हो पायी है। दिल दहला देने वाले हादसे के लिए कौन लोग जिम्मेदार रहे और किस तरह की लापरवाही के वजह से घटना हुई, यह आज भी पहेली बनी हुई है। जानकारो ंकी माने तो हादसे की जांच के लिए एनसीएल व डायरेक्टर जनरल आफ माइंस सेफ्टी स्तर से दो टीमों का गठन किया था और डीजीएमएस की टीम ने हादसे की वजहों की गहन पड़ताल भी की, लेकिन इसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक क्यों नहीं की गयी, इस बाबत कोई जिम्मेदार अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं है। वर्ष 2008  में एनसीएल के जयन्त कोयला खदान में हुए एक हादसे में पांच कंपनी कर्मियों की मौत हो गयी थी। फेस के बीच दबे कर्मियों के शवों को निकालने में हुई देरी की वजह से कंपनी के मजदूरों ने बवाल भी काटा था। आक्रोषित मजदूरों और इलाके के लोगों का कहना था कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को चिन्हित कर सजा दिलायी जाय। समय के साथ इस मामले को बिसार दिया गया और मृतक श्रमिकों के परिजन व कंपनी के मजदूरों के साथ इलाके के लोग आज तक यह नहीं जान पाये कि आखिर वह कौन सी वजह थी, जिससे पांच लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। 

आई जी का निर्देष भी नहीं आया काम:- कोयला खदान में हुए हादसे के गरीब दो साल बाद सिंगरौली आये रीवां रेंज के आईजी गाजीराम मीणा के जनता दरबार में हादसे में हुई मौतों का मामला गूंजा। इस पर श्री मीणा ने मोरवा थाने के टीआई अनिल उपाध्याय को जांच करने और डीजीएमएस की रिपोर्ट प्राप्त कर चालान पेश करने का निर्देश देने के साथ यह भी माना था कि मामले में 304 ए और 304 बी के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन आईजी के निर्देश पर नतीजा भी सिफर है।

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