सिंगरौली परिक्षेत्र जो ऊर्जा उत्पादन में विश्व में जहाँ अद्वितीय स्थान रखता है, वहीं दूसरी ओर नीजि व सरकारी औद्योगिक ईकाईयों की पर्यावरण के प्रति असंवेदनशीलता ने सिंगरोली परिक्षेत्र को दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बना दिया है। जिन जिम्मेदार संस्थाओं व अधिकारियों के जिम्मे पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय जीवन को संरक्षित रखने की जिम्मेवारी थी, उनके हुक्मरानों ने लाखों लोगों को प्रदूषण रूपी मौत के अन्धे खांयी में धकेल कर अपने व अपने परिवारजनों को इन नीजि संस्थाओं में अच्छे ओहदों पर नौकरियाँ दिलावायी है और करोड़ों रूपये अर्जित किये गये है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिकारिक रूप से यह आकड़े जारी किये गये है कि सिंगरौली परिक्षेत्र की हवा व पानी में देश का सर्वाधिक जहरीलस तत्व मौजूद होने के कारण यहाँ के रहवासियों में अनेकों प्रकार की गम्भीर बिमारियाँ पैदा हो रही है व आने वाली पीढ़ियों पर इसके गम्भीर दुष्परिणाम दिखायी देंगे।
नीजि विद्युत परियोजनाओं के लिये अन्धा-धुन्ध तरीके से लाभ अर्जित करने की परम्परा से खुले मालवाहकों पर कोयले व राख के अभिवहन ने पूरे सिंगरोली परिक्षेत्र को मौत की काल-कोठरी बनाकर रख दिया है। प्रदूषण की धूल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिला प्रशासन व परिवहन विभाग के अधिकारियों के आँखों पर भ्रष्टाचार की मोटी परत चढ़ा दी है। जिससे उन्हें सिंगरोली परिक्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण के कारण लाखों लोगों की धीमी मौत दिखायी नहीं पड़ रही है।
महत्वपूर्ण है कि विश्व की कई जानी-मानी संस्थाओं ने सिंगरौली परिक्षेत्र के पर्यावरण की स्थिति पर अपनी रिर्पोट में स्पष्ट किया है कि वह दिन दूर नहीं जब सिंगरोली परिक्षेत्र के लोग व्यापक प्रदूषण के कारण बे-मौत मरेंगे, जो अन्य कारणों से होने वाली मौतों से ज्यादा की संख्या में हांेगी। खैर सत्ता के शिखर पर बैठे सत्ताधीश और हुक्मरानों के पास इन सबके विषय पर सोचने का वक्त कहां है। क्योंकि उन्हें लगता है कि अकुत धन से कृत्रिम सांसे खरीदकर अपनी जिन्दगी जी ही लेंगे।
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