ऊर्जान्चल परिक्षेत्र जो ऊर्जा उत्पादन में विश्व में अपना अद्वितीय स्थान रखता है, यहाँ कि उत्पादित बिजली से चहुँओर उजाला एवं विकास हो रहा है, परन्तु ऊर्जान्चल के रहवासियों और यहां के विस्थापितों जिनकी कई पीढ़ीयों ने विस्थापन का दंश झेला है और अपना सर्वश्व राष्ट्रहित में ऊर्जा उत्पादन के लिये समर्पित कर दिया, उन्हीं के साथ बिजली विभाग ऐतिहासिक अन्याय कर रहा है।
जहाँ एक ओर ऊर्जान्चल के धरती से पैदा हुई बिजली से रौशन जनपद इटावा, कन्नौज व मैनपूरी और बुन्देलखण्ड क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में 18 से 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति की जा रही है और बिजली बिल मात्र 445 से 517 रूपये उपभोक्ताओं से लिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर ऊर्जान्चल के सभी गांव में बिजली भी मयस्सर नहीं है और जिन ग्राम पंचायतों में 16 से 18 घण्टे बिजली आपूर्ति की भी जा रही है, वहां पिछले तीन सालों से ग्रामीण उपभोक्ताओं से बिजली बिल के नाम पर लूट का नया किर्तिमान बनाकर वर्तमान में 1718 रूपये बिजली बिल के नाम पर लूटा जा रहा है।
जबकि ऊर्जान्चल के 95 प्रतिशत किसान विद्युत उत्पादन हेतु विभिन्न परियोजनाओं की स्थापना के लिये किये गये भूमि अधिग्रहण से भूमिहीन है एवं पीढ़ियों के विस्थापन के दंश के बावजूद भी उन्हें आज तक न तो बिजली की समुचित सुविधा मिल पायी है, दूसरी ओर बिजली बिल के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों से चार से पाँच गुना अधिक बिजली बिल वसूली जा रही है।
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