आईबीएन-7 | Nov 07, 2008 at 05:22pm
सोनभद्र। हरि किशन सोनभद्र जिले के नगवा गांव के रहने वाले हैं। उनकी मेहनत से एक वीरान जंगल दस साल की मेहनत के बाद अब हरा भरा हो गया है।
गांव के लोगों के लिए लकड़ी एक बुनियादी जरूरत है। चाहे वो घर के लिए हो, खाना बनाने के लिए, दाह संस्कार के लिए या फिर दूसरी जरूरतों के लिए। इन्हीं जरूरतों को पूरा करने के लिए आज से दस साल पहले एक जंगल की कटाई शुरू हुई। भारी संख्या में पेड़ काटे जाने लगे और जंगल वीरान हो गए।
हरि किशन इस जंगल को दोबारा जीवित करने के लिए कुछ करना चाहते थे लेकिन पैसे की कमी के कारण वो नए पेड़ नहीं लगा सकते थे। पर फिर भी उन्होंने इन पेड़ों को बचाने के लिए कुछ करना चाहा। पूर्वजों से विरासत में मिली मरहम लगाने की तरकीब ने कटे पेड़ों को हरा भरा बनाने में उनका साथ दिया। और दस सालों की मेहनत का नतीजा है कि इस जंगल में करीब दस लाख पेड़ जीवित हो गए हैं।
जिस लेप को किशन इन पेड़ों के घावों में लगाते हैं वो नीम, गोबर, हठ जोड़, गोमूत्र, मदर का पत्ता और मुलतानी मिट्टी का लेप होता है। उन्होंने इस जंगल का नाम ‘जनता जंगल’ रखा क्योंकि इस जंगल को बचाने में गांव वालों ने उनका पूरा साथ दिया। इस जंगल में एक भी पेड़ बाहर से नहीं लगाया गया है। कटे हुए तने से पेड़ों को दोबारा जीवित किया गया है।
जंगल बसने के बाद समस्या थी उसकी रखवाली की। सबने जंगल को चार भागों में बांटा और चार समितियां बनायीं जो कि जंगल की देख-रेख करती हैं। पेड़ काटने वालों को सामाजिक और आर्थिक सजा दी जाती है। आज एकबार फिर जंगल में वो जड़ी बूटियां मौजूद हैं जो आदिवासियों के जीवन का अहम हिस्सा हैं।
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