आईबीएन-7 | Jan 10, 2013 at 07:01pm
सोनभद्र। किसानों को राहत पहुंचाने की नीयत से लागू की गई चकबंदी योजना ने सैकड़ों किसानों जिंदगी बर्बाद कर दी है। सोनभद्र रहने वाले शांति प्रकाश बता रहे हैं कि किस तरह उनके इलाके में चकबंदी के नाम पर सैकड़ों किसानों का वो हाल कर दिया गया कि किसान दर-दर भटक रहे हैं।
दरअसल सोनभद्र के परसौना गांव के सैकड़ों किसानों के सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। सरकारी रिकार्ड में इन्हें मरा हुआ दिखाकर इनकी जमीन इनसे छीनी जा रही है। सिटिजन जर्नलिस्ट शांति प्रकाश इन लोगों को हक दिलाने के लिए लड़ रहे हैं। सरकार ने 1995 में परसौना गांव में चकबंदी की प्रक्रिया शुरू की थी। मकसद था गांव की जमीन को पुनर्नियोजित करना जिससे किसानों की टुकड़ों में बंटी जमीन को एक चक के रूप में उपलब्ध कराया जा सके। लेकिन परसौना गांव में चकबंदी प्रक्रिया के दौरान काफी गड़बड़िया हुई।
विभागीय साठ-गांठ के चलते गांव के कुछ दबंग और प्रभावशाली लोगों ने मनमाने ढंग से अच्छे चक अपने नाम करा लिए हैं और मूल काश्तकार को जंगल में बेकार जमीन दे दी गई है। चकबंदी के बाद कई किसानों की भूमि घट रही है तो कुछ लोगों ने भूमि बढ़ाकर पैमाइश करा ली है। गांव के कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें रिकार्ड में मृत दर्शाकर उनकी जमीन दूसरे लोगों के नाम दर्ज कर दी गई है। चकबंदी में हुई गड़बड़ियों को ठीक करवाने के लिए परसौना गांव के किसान लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
किसानों के लिए आवाज उठाने पर सिटिजन जर्नलिस्ट को गड़बड़ी करने वालों की तरफ से धमकियां मिलने लगी। दो बार जानलेवा हमले भी हुए जिसकी प्राथमिकी दर्ज कराई गई। यहीं नहीं, झूठे केस में फंसाने की कोशिश भी चल रही है। लगातार संघर्ष का नतीजा ये रहा कि इस पूरे मामले की जांच पूर्व जिलाधिकारी ने करवाई जिसमें गड़बड़ी सामने आई। उन्होंने चकबंदी निरस्त किए जाने की संस्तुती भी की। लेकिन काफी वक्त बीत जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। उन जिलाधिकारी का तबादला हो जाने के बाद आए जिलाधिकारी ने भी न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है।
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