गुरुवार, 31 जुलाई 2014

ऊर्जांचल में डीजल व कबाड़ चोरी का बढ़ता ग्राफ क्षेत्र से सुरक्षा व्यवस्था खतरे में

:— निजी सुरक्षा गार्ड व पुलिस की भूमिका संदिग्ध

ऊर्जांचल में वृहद रूप से पाव जमा चुके कबाड़ व डीजल चोरी का कारोबार क्षेत्र में लगातार अपराध को बढ़ावा दे रहा है। कबाड़ के इस कारोबार में सक्रिय अपराधियों को प्रशासन से मिलता संरक्षण इनके मनसूबो को लगातार मजबूत करने के साथ ही सुरक्षित भूमि उपलब्ध करा रहा है। प्रशासन के कार्यवाही से खत्म होता भय कबाडिय़ों कोसंगठित अपराध के लिए रोलमाडल की भूमिका निभा रहा है। जिसके कारण क्षेत्र में संचालित औद्योगिक प्रतिष्ठान लगातार लुटने को मजबूर है और प्रशासन कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर मामले को रफा—दफा कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ ले रहे है। जिससे ऊर्जांचल में लगातार अपराध में वृद्धि हो रही है। 

विदित हो कि ऊर्जांचल में स्थापित दर्जनों औद्योगिक प्रतिष्ठानों से कबाडिय़ो द्वारा नित्य लाखों के किमनी स्पेयर पार्ट व बिजली के केबिलों की चोरी व डीजल चोरी से भारी राजस्व को क्षति पहुच रही है। करोड़ो की सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी आये दिन हो रहे कबाड़ चोरी से परियोजनाएं सत्ते में है, जिस पर लागम की सारी कोशिशें आज तक सिफर ही सिद्ध हुई है। हौसला बुलंद कबाडिय़ों के कारण जहां परियोजनाएं असुरक्षित हो चली है वहीं सुरक्षा का जिम्मा सम्भाल रहे सुरक्षा कर्मियों भी इनसे सीधा मुकाबला करने से कतराते है। जिन सुरक्षा कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारियों का पूर्ण रूपेण पालन करने का प्रयास किया। उनका जीवन ही खतरे में पड़ गया। आये दिन सुरक्षा कर्मियों से कबाडिय़ों को होता सामना क्षेत्र में अशांति का कारण बनने लगा है। कुछ सप्ताह पूर्व में औड़ी के आदर्श नगर में मासुम की हुई हत्या भी कबाडिय़ों की कारस्तानी का नतिजा है। जिस पर कार्यवाही करते हुए भले ही प्रशासन ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकि न इस कबाड़ कारोबार पर पहले ही अंकुश लग गया होता तो सम्भव था कि विराट नाम मासुम की जान बच गयी होती। स्थानीय लोगों की माने तो प्रशासन के संरक्षण में हो रहे कबाड़ करोबार के कारण क्षेत्र में हमेशा ही अशांति का माहौल बना रहता है। प्रारम्भिक दौर में ही इन कबाड़ करोबारियों पर अंकुश लगा दिया गया होता तो क्षेत्र में अमन—चैन कायम के साथ—साथ अपराध में भी तेजी से गिरावट आती। 

सूत्रों की माने तो कबाड़ कारोबारियों से प्रशासन को मिलता भारी सुविधा शुक्ल कबाड़ कारोबार को फलने—फुलने में मदद कर रहा है। जिससे प्रशासन द्वारा कार्यवाही का भय कबाडिय़ों से खत्म होने लगा है। रात के अंधेरे में कबाड़ व डीजल चोरी को अंजाम दे रहे कारोबारियों के गुर्गें इस दौरान पुलिस, सुरक्षा कर्मी व सीआईएसएफ से मुटभेड़ करने से भी नहीं कतराते। कुछ वर्ष पूर्व में सुरक्षा का जिम्मा सम्भाल रहे सीआईएसएफ के जवान ने जब कबाडिय़ों को चोरी करने से रोका तो कबाडिय़ों ने हमला कर दिया। जिसके बाद जवान की मौत हो गयी थी, लेकिन इन सब के बावजूद भी प्रशासन ने कबाड़ व डीजल करोबार पर गम्भीरता से अंकुश नहीं लगा सका। जबकि एनसीएल के खदानों में नित्य प्रतिदिन सुरक्षा कर्मियों व कबाडिय़ों के बीच मुटभेड़ की घटनाएं आम हो चली है। कई बार एेसे मामले भी प्रकाश में आये जब हौसला बुलंद चोरों ने सुरक्षा कर्मियों की पिटाई करने के बाद उनके असलहें तक साथ ले गये। एेसे में सुरक्षा में तैनात जवान भी कबाड़ चोरों को चोरी के दौरान रोकने—टोकने से कतराने लगे है। अगर समय रहते इन पर लगाम नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब कबाडिय़ों के कारण क्षेत्र की शांति व्यवस्था खतरे में पड़ जायेगी और अपराध में दिन—दूना रात चौगुना वृद्धि सम्भव है। इस बाबत स्थानीय परियोजनाआें ने प्रशासन को कई बार मामले की गम्भीरता से अवगत कराया लेकिन कार्यवाही न होने से अधिकारियों का टुटता मनोबल प्रशासन से अपना भरोषा खोने लगा है। वहीं इस मामले पर अनपरा, शक्तिनगर व बीजपुर पुलिस का कहना है एनसीएल, एनटीपीसी, उत्पादन निगम के अलावा नीजि कम्पनियां जांच के नाम पर प्राथमिकी दर्ज कराने से कतराते है। जिसके कारण कबाड़ व डीजल चोरों पर दमदारी से कार्यवाही सम्भव नहीं हो पाती। नतिजा इससे चोरों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। फिर भी पुलिस को जानकारी होने पर पुरी शक्ति से निपटने का कार्य किया जाता है। 

कबाडिय़ों ने हनुमान मंदिर का पानी आपूर्ति किया ठप 
ऊर्जांचल के प्रतिष्ठीत व दो प्रदेशों की सीमाआें पर स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर पर कबाडिय़ों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व में कबाडिय़ों के कारस्तानी के कारण जहां मंदिर परिसर में पानी की उपलब्धता के लिए लगाई गयी पाईन लाईन काट ली गयी थी। लगभग एक वर्ष तक पानी व बिजली के लिए जुझ रही मंदिर समिति के अनुरोध व मांग पर मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान व एनसीएल के सीएमडी ने पुन: पाईन लाईन का कार्य पूरा कराया लेकिन चोरों ने सोमवार की रात्री एक बार फिर पानी के लिए लगी हुई पाईप को काट ले गये। जिससे दूर-दराज से आये दर्शन करने वाले भक्त पानी के लिए मोहताज हो रहे है। इस मामले पर मंदिर प्रशासन का कहना है कि कबाडिय़ों के आतंक के कारण जहां भक्तों का श्रद्घा केन्द्र रहे झिमुरदह मंदिर पर भक्तों की संख्या लगातार कम हो रही है। वहीं चोरों द्वारा आये दिन बिजली तार व पाईप लाईन काट लिये जाने से मंदिर को शुचारू रूप से चलाने में अनको समस्याएं उत्पन्न हो रही है। इन पर गम्भीरता से कार्यवाही नहीं की गयी तो कबाडिय़ों का आतंक और भी बढ़ जायेगा। जिसक ा असर भक्तों के मनोबल पर भी पड़ रहा है। एेसे में दोनों प्रदेशों की पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि भक्तों के साथ—साथ मंदिर के मूलभूत सुविधाआें की सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता की जाय।

ऊर्जांचल में कबाड़ चोरों के निशाने पर औद्योगिक संस्थान

:— करोड़ो के माल को कौड़िओ के दाम बेच रहा गिरोह
:— अनपरा तापीय परियोजना व एनसीएल बना कबाड़ चोरो का मुफिद स्थान

ऊर्जांचल में सक्रिय संगठित कबाड़ चोरों के निशाने पर औद्योगिक इकाईयां सदैव से रही है। सक्रिय कबाड़ चोरों के कारण औद्योगिक संस्थानों में चोरी की घटनाएं आम हो चली है। गिरोह चोरी के दौरान किसी भी हद तक पहुच कबाड़ चोरी की घटनाआें को अंजाम देते रहे है। बावजूद प्रशासन की आेर से कबाड़ चोरी पर लगाम लगाने के लिए कभी कठोर कदम नहीं उठाये गये। जिसके कारण कबाड़ चोरो का मनोबल निरंतर बढ़ता जा रहा है। अब तो स्थिति बद से बद्तर हो चली है, जहां कबाड़ चोरों के आतंक से सुरक्षा में तैनात जवान भी खौफ खाता है। एेसे में परियोजनाआें की सुरक्षा भी राम भरोषे चल रही है।

ऊर्जांचल में स्थित लगभग एक दर्जन एनसीएल की खुली खदाने चोरों के लिए महेशा से मुफिद स्थान रही है। जहां खदानों में घुसने व निकलने पर किसी प्रकार की रोक टोक नहीं है, साथ ही दो राज्यों की सीमा पर स्थित ये खदाने चोरों के छुपने व चोरी किये गये माल को ठिकाने लगाने का अवसर प्रदान करती है। एनसीएल के लगभग सभी खदानों में कबाड़ चोरी की घटनाएं होती ही रहती है। कबाड़ चोरी के दौरान जिन सुरक्षा कर्मियों ने विरोध किया इसका खामियाजा उनको अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। सुरक्षा कर्मियों पर हमले की घटनाएं तो अनगिनत बार हो चली है। इसी खौफ के कारण सुरक्षा कर्मी भी कबाड़ चोरी के दौरान बोलने व विरोध करने से कतराते है। दर्जनों की संख्या में असलहों व अन्य धारदार हथियारों के साथ कबाड़ चोरी करने पहुच रहे चोर बिना किसी की परवाह किये अपने कर्तुतों को नित्य अंजाम दे रहे है। साल दर साल खुखार होते कबाड़ चोर क्षेत्र की प्रमुख समस्याआें में सुमार हो चले है। जिनके खौफ से शासन—प्रशासन भी टकराने की हिम्मत नहीं रखता। प्रशासन की आेर से गिरोह को नेस्तनाबूद करने के लिए कभी कठोर कदम नहीं उठाये गये। जिसका निताजा रहा कि क्षेत्र में संगठित कबाड़ चोर दिन दूना रात चौगुना गति से सक्रिय हुए, और परियोजनाआें के महंगे कलपूर्जों को चोरी कर कौडिय़ों के दाम बेच रहे है। जिसका असर कहीं न कहीं उत्पादन पर पड़ता रहा है। वहीं अनपरा तापीय परियोजना के चावल मंडी के पास कबाडिय़ों को परियोजना में आने—जाने की खुली छुट दे रखी है। कबाड़ चोर परियोजना में आसानी से प्रवेश कर किमती सामानों पर हाथसाफ कर रहे है। बाजार में स्थित परियोजना की दिवार के रास्ते खुले होने के कारण पावर हाऊस में आसानी से घुस बड़ी वारदात को अंजाम दे सक ते है। 

दूसरी आेर प्रशासन दो प्रदेश की सीमा का हवाला देकर कार्यवाही से बचता रहा है। कबाड़ चोरों पर कार्यवाही के लिए परियोजना की सुरक्षा विभाग थाने चौकियों में प्रार्थना पत्र पर मोहर लगवाकर अक्सर अपना काम निकाल लेते है, ताकि विभागीय कार्यवाही से बचा सकें। वहीं बीजपुर, शक्तिनगर, अनपरा, जयंत, मोरवा, बैढऩ, विन्ध्यनगर आदि थानों में कबाड़ चोरी की दर्जनों घटनाएं हुई परन्तु मामले पर इक्का—दुक्का ही प्राथमिकी दर्ज प्रशासन द्वारा की जा सकी। दूसरी आेर ककरी, बीना, कृष्णशीला, खडिय़ा, झिगुरदह, निगाही, गोरबी, जयंत, दुद्धीचुआं, रेनुपावर, अनपरा तापीय परियोजना व एनटीपीसी परियोजना में घुस कर कई बार कबाडिय़ों ने चोरी को अंजाम दिया पर मामला दर्ज कराने के सवाल पर परियोजना प्रबंधन भी चुप्पी साध लेते है। जब इस बाबत जब सवाल पुछे गये कि कबाड़ चोरी के मामले में परियोजना स्तर से कितने मामले दर्ज कराये गये तो उनका जबाब था, इस मामले में प्रशासन ही बता पायेगी कि कितने मामले दर्ज किये गये। वहीं टेलिफोन व बिजली विभाग की चोरी गये केबल के मामले दजर्नों मुकदमा दर्ज कराया गया। परन्तु मामले पर आज तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हो सकी। जिससे कबाड़ चोरों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। 
टेलिफोन केबल काट ले गये कबाड़ चोर, कार्य रहे बाधित
स्थानीय थाना क्षेत्र के अनपरा बाजार स्थित रेलवे पुलिया के पास से कबाड़ चोरों ने लगभग 25 मीटर टेलिफोन का तार काट ले गये। जिससे अनपरा बाजार के सैकड़ो टेलिफोन व ब्रांड बैन डब्बा बन कर रहे गये। गुरूवार की देर रात्री रेनूसागर दूरभाष केन्द्र से अनपरा बाजार को जाने वाली केबल को चोरों ने काट लिया। जिससे जिला सहकारी बैक, त्रिवेणी ग्रामीण बैक, एलआईसी आफिस के अलावा व्यवसायीक कार्य पूरी तरह ठप रहे। टेलिफोन विभाग के एसडीआे डीके उपाध्याय ने बताया केबल चोरी होने से लगभग 15 टेलिफोन व ब्रांड बैंड पुरी तरह प्रभावित रहे। केबल चोरी होने की जानकारी स्थानीय थाने को दी गयी व कर्मचारियों को मरम्मत कार्य में लगा दिया गया है। उन्होनें बताया टेलिफोन केबिल में नाम मात्र ही कॉपर होता है। फिर भी कबाड़ चोर कॉपर केबल समझकर काट ले गये।

आल टाईम मनी की हवा निकालते ऊर्जांचल के एटीएम

:— बंद एटीएम बढ़ा रहे बैंको की शोभा
:— आधा दर्जन से अधिक एटीएम के बावजूद भी लोग लगा रहे चक्कर

अनपरा आवासीय परिसर में बंद पड़ा एटीएम घर।
बैंक उपभोक्ताआें को लाभ के उद्देश्य से बनाये गये एटीएम में पैसा का अभाव व बंद पड़े एटीएम उपभोक्ताआें के लिए जी का जंजाल बनने लगे है। बैंक एटीएम पर आश्रित उपभोक्ता पैसे की आवश्यकता पड़े ही एटीएम पहुचता है लेकिन एटीएम में पैसे नहीं होते या एटीएम बंद मिलता है, बैंको द्वारा एटीएम के प्रति बरती जा रही उदासीनता के कारण उपभोक्ता अन्य एटीएमआें की आेर बढ़ते है लेकिन उनका भी हाल कुछ एेसा ही होता है। ऊर्जांचल में एटीएम का चक्कर काट रहे उपभोक्ता अब एेसे बैंको से पीछा छुड़ाने का मन बनाने लगे है, जिनका एटीएम कार्ड रखने के बाद भी एटीएम किसी न किसी कारणों से बाधित रहता है। ऊर्जांचल में मौजूद औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों व संविदा श्रमिकों के अलावा व्यापार में जुटे लोग बैंक के जरिये अपना लेनदेन पूरा किया करते है, साथ ही आये दिन हो रही चोरियों के कारण लोग घरों से अधिक बैंको में अपने पैसे को सुरक्षित मानते है। इन्हीं सब कारणों से बैंक पर आश्रित उपभोक्ताआें को जब पैसे समय पर नहीं मिलते तो एटीएम व बैंक पर अपनी खीझ निकालते है। उपभोक्ताआें ने बताया कि अनपरा में मौजूद लगभग आधा दर्जन एटीएम बैंकों द्वारा सिर्फ दिखावे के लिए लगाये गये है, इनका उपयोग तो दूर ये महेशा किसी न किसी कारणों से बंद रहे है, अनपरा कालोनी में मौजूद सिंडिकेट बैंक व आईसीआईसीआई बैंक, यूकों बैंक औड़ी, पंजाब नेशनल बैंक औड़ी, बैंक आफ बड़ोदा काशीमोड़, जैसे बैंको के एटीएम तो कभी कभार ही खुलते है, खुले मिले भी तो पैसे ही नहीं होते। 

एेसे में इक्का—दुक्का एटीएम ही बचते है जिनमें पैसे होते है लेकिन उपभोक्ताआें की भीड़ के आगें वह भी दम तोड़ देते है। उपभोक्ताआें ने बताया कि बैंको द्वारा एटीएम कार्ड धड़ल्ले से बाट तो दिया जाता है लेकिन एटीएम की सेवा अन्य बैंको की लेनी पड़ती है। जिस बैंक का एटीएम है उसका अन्य बैंक के एटीएम में उपयोग करने पर हर बार ट्रान्जेक्सन के रूप में 2 रूपये काट लिये जाते है। साथ ही पैसे निकालने के चक्कर में गाड़ी से कई किलोमीटर तक चलना पड़ है। उसका भी खर्च जोड़ लिया जा तो बैंक से पैसे निकालने मे उपभोक्ताआें को ही नुकसान उठाना पड़ रहा है। उपभोक्ताआें ने बताया कि बैंक द्वारा उपलब्ध सेवा आल टाईम मनी की हवा ऊर्जांचल के एटीएम निकाल रहे है। रिर्जव बैंक आफ इंण्डिया के प्रावधान के अनुसार एटीएम बंद होने पर प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाने का आदेश है लेकिन रिजर्व बैंक के आदेशों का खुला उलंघन करते बैंक अपनी मननानी के हिसाब से एटीएमआें का संचालन कर रहे है। इसका लाभ उपभोक्ता को मिले या ना मिले बैंक को लाभ मिलने पर आधारित है। इन उद्देश्यों के साथ ऊर्जांचल के बैंक अपनी सेवा दे रहे है। जिसका लाभ उपभोक्ता कम बैंकों द्वारा ज्यादा उठाया जा रहा है।

आदिवासी अंचलों में सरकारी धन की जारी है बंदरबांट

:— अधिकांश सडक़ मानक के विरूद्ध

ऊर्जांचल के सूदूर भाठ क्षेत्र में अभी तक विकास की किरण नहीं पहुंच सकी है, जो पहुंची भी है वह सरकारी कारिंदों तथा ठेकेदार की मिलीभगत के चलते ग्रामीणों को समुचित लाभ देने में असफल साबित हुई है। आलम यह है कि पीडब्ूलडी से लेकर, ग्रामीण अभियांत्रिकी विभाग, जिला पंचपायत आदि द्वारा बनाये गये सडक़ मियाद से बहुत पहले ही धराशाई हो चुके है। आलम यह है कि बेनादह, बरहिया, महलायन सत, खजुरा, मेरडदह, हरीपुर, लोझरा, सिदहवा, पडऱवा, बडहरा, धनबहवा, में बनाये गये मार्ग खण्डे में तब्दील हो चुके है। परिक्षेत्र में बिजली नहीं है, हालांकि कई जगह पर विद्युत पोल तथा तार लगाये गये थे वे अब नदारत है। ग्राम प्रधान बेलवादह हरदेव सिंह तथा समाजसेवी सत्यप्रकाश जायसवाल ने जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कुलडोमरी में जन कल्याण शिविर लगाकर इस आदिवासी अंचल के विकास का जायजा लेने का अनुरोध किया है, ताकि जरूरतमंदों को राज्य तथा केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाआें से लाभवांवित किया जा सके।

असंवेदनशीलता के कारण ऊर्जांचल को भारत का सबसे ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र बना दिया।

:— व्यक्तिगत लाभ के कारण अधिकारी पडे है सुस्त।
:— 27 जनवरी से सत्याग्रह का द्वितीय चरण होगा शुरू। 

उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र व मघ्य प्रदेश के जनपद सिंगरौली परिक्षेत्र जो ऊर्जा उत्पादन मे विश्व में जहॉ अद्वितीय स्थान रखता है वही दुसरी आेर नीजी व सरकारी औद्योगिक ईकाईयों की पर्यावरण के प्रति असंवेदनशीलता ने इस परिक्षेत्र को भारत का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बना दिया है। बताते है जिन जिम्मेदार संस्थाआें व अधिकारियों के जिम्मे पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय जीवन को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी, उनके हुक्मरानो ने लाखो लोगो को प्रदूषण रूपी मौत के अंधे खायी मे धकेल कर खुद व अपने परिवारजनों कों इन नीजी संस्थाआें मे अच्छे आेहदों पर नौकरियां दिलवायी है, और करोडो रूपयें अर्जित किये गये है।

केंद्रिय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिकारिक रूप से यह आकडे जारी किये गयें है कि सोनभद्र, सिंगरौली परिक्षेत्र की हवा व पानी मे देश का सर्वाधिक जहरीले तत्व मोैजूद होने के कारण यहॉ के रहवासियों मे अनेको प्रकार की गम्भीर विमारियॉं पैदा हो रही हैंै । नीजी विद्युत परियोंजनाआें के लिए अन्धा धुन्ध तरीके से लाभ अर्जित करने की परम्परा से खुले मालवाहको पर कोयले व राख के अभिवहन ने पूरे सिंगरौली व सोनभद्र को परिक्षेत्र को मौत की काल कोठरी बनाकर रख दिया है। बताते चले कि विश्व की कई जानी मानी संस्थाआें ने सोनभद्र व सिंगरौली परिक्षेत्र के पर्यावरण की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट मे स्पष्ट किया है कि वह दिन दूर नही जब तब इस परिक्षेत्र के लोग व्यापक प्रदूषण के कारण बे मौत मरेंगे। 

अनपरा रेलवे स्टेशन मार्ग ताल-तलैया में तब्दील

:— हल्की बारिश में ये दशा तो आगे क्या होगा
:— अनपरा रेलवे की आय प्रतिवर्ष तीन करोड़ से अधिक 

ताल-तलैया में तब्दील रेलवे स्टेशन मार्ग।
रेलवे के तीन करोड़ से अधिक आय देने वाली छह सौ से अधिक यात्रियों को रोजाना की हमसफर अनपरा रेलवे स्टेशन मार्ग खंदक में तब्दील हो गया है। स्थानीय लोगों ने इस मार्ग के निर्माण के लिए रेलवे के अधिकारियों से लेकर शक्तिनगर विकास प्राधिकरण तथा अन्य संविदा एजेंसियों के यहा भी प्रस्ताव भेजा लेकिन यह मार्ग शासन की घोर उपेक्षा का शिकार है। जिसके चलते हल्की सी बारिश में भी यहा का खंदकनुमा सडक़ ताल-तलैया में तब्दील हो गया। एेसे में लोगों को स्टेशन आने—आने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

बताते चले कि अनपरा रेलवे स्टेशन से अनपरा तापीय परियोजना, हिंडाल्को रेणुसागर तथा एनसीएल ककरी के अलावा औड़ी, कुलडोमरी आदि के छह सौ से अधिक यात्री प्रतिदिन इंटरसिटी, पैसेंजर तथा त्रिवेणी एक्सप्रेस से यात्रा करते है। जिससे यहा प्रतिवर्ष तीन करोड़ से अधिक का रेलवे को आय होती है। इन सबके बावजूद रेलवे स्टेशन जाने वाला मार्ग खस्ताहाल है। आलम यह है कि यह पहली बारिश को भी नहीं झेल सका। मुख्य मार्ग से रेलवे स्टेशन जाने वाला मार्ग महज सात सौ मीटर है। पिछले साल रेलवे ने 15 मीटर सडक़ बनाकर छोड़ दिया। अब शेष 5५0 मीटर सडक़ के मध्य से अधिक खंदक हो गया है। लोगों ने साडा सहित जिला के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए अनपरा रेलवे स्टेशन संपर्क मार्ग का बेहतर निर्माण कराने की मांग की है।

ऊर्जांचल में डीजल व कबाड़ चोरी का बढ़ता ग्राफ क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था खतरे में

:— नीजि सुरक्षा गार्ड व पुलिस की भूमिका संदिग्ध



ऊर्जांचल में वृहद रूप से पाव जमा चुके कबाड़ व डीजल चोरी का कारोबार क्षेत्र में लगातार अपराध को बढ़ावा दे रहा है। कबाड़ के इस कारोबार में सक्रिय अपराधियों को प्रशासन से मिलता संरक्षण इनके मनसूबो को लगातार मजबूत करने के साथ ही सुरक्षित भूमि उपलध करा रहा है। प्रशासन के कार्यवाही से खत्म होता भय कबाडिय़ों कोसंगठित अपराध के लिए रोलमाडल की भूमिका निभा रहा है। जिसके कारण क्षेत्र में संचालित औद्योगिक प्रतिष्ठान लगातार लुटने को मजबूर है और प्रशासन कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर मामले को रफा—दफा कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ ले रहे है। जिससे ऊर्जांचल में लगातार अपराध में वृद्धि हो रही है। 

विदित हो कि ऊर्जांचल में स्थापित दर्जनों औद्योगिक प्रतिष्ठानों से कबाडिय़ो द्वारा नित्य लाखों के किमनी स्पेयर पार्ट व बिजली के केबिलों की चोरी व डीजल चोरी से भारी राजस्व को क्षति पहुच रही है। करोड़ो की सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी आये दिन हो रहे कबाड़ चोरी से परियोजनाएं सत्ते में है, जिस पर लागम की सारी कोशिशें आज तक सिफर ही सिद्ध हुई है। हौसला बुलंद कबाडिय़ों के कारण जहां परियोजनाएं असुरक्षित हो चली है वहीं सुरक्षा का जिम्मा सम्भाल रहे सुरक्षा कर्मियों भी इनसे सीधा मुकाबला करने से कतराते है। जिन सुरक्षा कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारियों का पूर्ण रूपेण पालन करने का प्रयास किया। उनका जीवन ही खतरे में पड़ गया। आये दिन सुरक्षा कर्मियों से कबाडिय़ों को होता सामना क्षेत्र में अशांति का कारण बनने लगा है। कुछ सप्ताह पूर्व में औड़ी के आदर्श नगर में मासुम की हुई हत्या भी कबाडिय़ों की कारस्तानी का नतिजा है। जिस पर कार्यवाही करते हुए भले ही प्रशासन ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकि न इस कबाड़ कारोबार पर पहले ही अंकुश लग गया होता तो सम्भव था कि विराट नाम मासुम की जान बच गयी होती। स्थानीय लोगों की माने तो प्रशासन के संरक्षण में हो रहे कबाड़ करोबार के कारण क्षेत्र में हमेशा ही अशांति का माहौल बना रहता है। प्रारम्भिक दौर में ही इन कबाड़ करोबारियों पर अंकुश लगा दिया गया होता तो क्षेत्र में अमन कायम के साथ—साथ अपराध में भी तेजी से गिरावट आती। 

सूत्रों की माने तो कबाड़ कारोबारियों से प्रशासन को मिलता भारी सुविधा शुक्ल कबाड़ कारोबार को फलने - फुलने में मदद कर रहा है। जिससे प्रशासन द्वारा कार्यवाही का भय कबाडिय़ों से खत्म होने लगा है। रात के अंधेरे में कबाड़ व डीजल चोरी को अंजाम दे रहे कारोबारियों के गुर्गें इस दौरान पुलिस, सुरक्षा कर्मी व सीआईएसएफ से मुटभेड़ करने से भी नहीं कतराते। कुछ वर्ष पूर्व में सुरक्षा का जिम्मा सम्भाल रहे सीआईएसएफ के जवान ने जब कबाडिय़ों को चोरी करने से रोका तो कबाडिय़ों ने हमला कर दिया। जिसके बाद जवान की मौत हो गयी थी, लेकिन इन सब के बावजूद भी प्रशासन ने कबाड़ व डीजल करोबार पर गम्भीरता से अंकुश नहीं लगा सका। जबकि एनसीएल के खदानों में नित्य प्रतिदिन सुरक्षा कर्मियों व कबाडिय़ों के बीच मुटभेड़ की घटनाएं आम हो चली है। कई बार एेसे मामले भी प्रकाश में आये जब हौसला बुलंद चोरों ने सुरक्षा कर्मियों की पिटाई करने के बाद उनके असलहें तक साथ ले गये। एेसे में सुरक्षा में तैनात जवान भी कबाड़ चोरों को चोरी के दौरान रोकने—टोकने से कतराने लगे है। अगर समय रहते इन पर लगाम नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब कबाडिय़ों के कारण क्षेत्र की शांति व्यवस्था खतरे में पड़ जायेगी और अपराध में दिन—दूना रात चौगुना वृद्धि सम्भव है। इस बाबत स्थानीय परियोजनाआ प्रशासन को कई बार मामले की गम्भीरता से अवगत कराया लेकिन कार्यवाही न होने से अधिकारियों का टुटता मनोबल प्रशासन से अपना भरोषा खोने लगा है। वहीं इस मामले पर अनपरा, शक्तिनगर व बीजपुर पुलिस का कहना है एनसीएल, एनटीपीसी, उत्पादन निगम के अलावा नीजि कम्पनियां जांच के नाम पर प्राथमिकी दर्ज कराने से कतराते है। जिसके कारण कबाड़ व डीजल चोरों पर दमदारी से कार्यवाही सम्भव नहीं हो पाती। नतिजा इससे चोरों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। फिर भी पुलिस को जानकारी होने पर पुरी शक्ति से निपटने का कार्य किया जाता है।

ऊर्जांचल के लाल ने संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा में अर्जीत की सफलता

ऋृत्विक पाण्डेय 
देश के सर्वाधिक सम्मानजनक प्रतियोगिता परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग में सफलता प्राप्त कर ऋृत्विक पाण्डेय ने शक्तिनगर के साथ सोनभद्र का नाम रौशन किया है। एनटीपीसी सिगरौली में अपर महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत आरएन पाण्डेय एवं गृहणी जया पाण्डेय के सुपुत्र ऋृत्विक पाण्डेय ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित 2१३ की मुख्य परीक्षा मे 5२९ वॉ रैंक लाकर शतिनगर के साथ-साथ सोनभद्र का नाम भी रौशन कर दिया है। जबकि श्री पाण्डेय का मूल निवासी स्थान सासाराम बिहार है। शतिनगर में जन्में ऋृत्विक ने अपनी प्रारंम्भिक शिक्षा सेंट जोसेफ विद्यालय से प्राप्त की तथा 12वीं डीपीएस विन्ध्यनगर से करने के बाद एमआईटी पुणे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद देश के महारत्न कम्पनी बीएचईएल हरिद्वार में वर्ष 2१1 में इंजीनियर के पद पर कार्य प्रारम्भ किया। अपने विद्यार्थी जीवन से ही देश सेवा के जुनून ने ऋृत्विक को को पढ़ाई के साथ गाना सुनना, बैडमिंटन खेलना, फोटोग्राफी एवं लेखन का भी शौक है। श्री पाण्डेय ने यह सफलता अपने स्वाध्याय के बल पर प्राप्त किया है। उन्होनें इसके लिए कोई कोचिंग की सहायता नहीं ली थी।

मंगलवार, 29 जुलाई 2014

प्रदूषण की समस्या से अनपरा के ग्रामीणो का जीना हुआ दुसवार

  • बार-बार आग्रह के बावजूद भी लैको प्रबंधन एवं प्रशासन नहीं दे रहे ध्यान
  • प्रदूषण पर रोकथाक के नहीं किये गये उपाय तो होगा आर-पार का आन्दोलन
  • एसडीएम व प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी भी पहले आकर कर चुके है मुआयना
अनपरा गाँव में ग्रामीणों द्वारा प्रदूषण की समस्या को लेकर एक बैठक का आयोजन पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय पर आयोजित किया गया। जिसमें प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए रणनीति तैयार की गयी। बैठक को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि लैको प्रबंधन द्वारा भारी मात्रा कोयला का चूर्ण उड़ाया जा रहा। जिससे आस-पास के गाँवो के घरों में हवा के द्वारा उड़कर उनके घरों में खाने-पीने, सोने व सास के द्वारा शरीर में प्रवेश कर रहा। प्रदूषण का आलम यह है कि परियोजना में कोल परिवहन में लगी रेल गाडि़यों का खाली किया जाता है तब कोयला धूल के रूप में उड़कर लोगों के अलावा खेतीबारी को चैपट करने पर तुला है। बार-बार परियोजना प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराने के बावजूद भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। जिससे ग्रामीणों के जीवन संकट में पड़ गये है। गाँव के लोग तमात तरह की बिमारियों से ग्रसित हो रहे है। एक वर्ष से लगातार इस मामले को उपजिलाधिकारी व प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी के अलावा लैंको प्रबंधन से कई चर्क की वार्ता हुई जिसमें आश्वस्त किया गया था कि प्रदूषण की समस्या का निराकरण कर लिया जायेगा। परन्तु आज भी प्रदूषण की समस्या जस का तस पड़ा है। ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए इस समस्या से निजाद दिलाने की मांग की है। वरना ग्रामीण आन्दोलन के लिए बाध्य होगें। जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होनी की बात कहीं। 
कालिका सिंह, जिला प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी ने बताया ग्रामीणों की प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाने के लिए हर सम्भव प्रयास किया जायेगा।

अनपरा जीआईसी की दुव्र्यवस्था को लेकर एमडी को सौपा पत्रक

जर्जर बिल्डिंग 
एक जनप्रतिनिधि मण्डल नागेन्द्र यादव की अगुवाई मे ‘‘राजकीय इण्टर कालेज अनपरा’’ में व्याप्त दुव्र्यवस्था को लेकर प्रबंध निदेषक उ.प्र.रा. विद्युत उत्पादन निगम से मिलकर वार्ता किया और बताया कि पूरे ऊर्जांचल में एकमात्र राजकीय इण्टर कालेज अनपरा ही कालेज है। जहाँ गरीबांे व मध्यम वर्ग के लोगों को पढ़ने का सहारा है। नागेन्द्र यादव ने आरोप लगाया कि अनपरा परियोजना द्वारा शुरू से विद्यालय की उपेक्षा किया जाता रहा है। आलम है कि छात्र-छात्राओं को दरी पर बैठकर पढ़ना पड़ रहा है। विद्यालय में मूल-भूत सूविधाओं का टोटा है जिससे विद्यार्थियों को पठन-पाठन कार्य भी प्रभावित हो रहा है। 

पानी टंकी में गन्दगी 
जुल्फिकार अली एवं आषीष मिश्रा ने बताया कि साइकिल स्टैण्ड तथा ठंडा पानी पीने तक की व्यवस्था नहीं। वार्ता के बाद एमडी ने अधीक्षण अभियन्ता सिविल को निर्देषित कर कहा कि एक महीने में राजकीय इण्टर कालेज की सभी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द पूरा किया जाय। 

मन्दिर में पेयजल की व्यवस्था न होने से नहीं हो पा रहे है धार्मिक अनुष्ठान

बजरंग नगर श्री हनुमान मन्दिर में पेयजल की कोई व्यवस्था न होने के कारण मन्दिर प्रागढ़ में आने वाले भक्तों व लोगों को काफी परेषानी उत्पन्न होती है तथा धार्मिक अनुष्ठान कराने में पेयजल की समस्या एक बड़ी परेषानी खड़ी कर देती है जिससे मन्दिर मे पुजा आदि प्रभावित होती है। उक्त समस्या अजीज होकर ग्रामीणों ने स्ािानीय जनप्रतिनिधयों व क्षेत्र में स्थित परियोजनाओं से उक्त समस्या के निराकरण हेतु आवष्यक कार्यवाही करने का आग्रह किया है। मन्दिर समिति के सदस्य अषोक बैसवार का कहना है कि वर्षो से मन्दिर में पेयजल व समुचित रख-रखाव न होने से मन्दिर की अवस्था जर्जर होती जा रही है। जिससे यहाँ किसी भी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान कराने में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यदि यहाँ पेयजल व्यवस्था हो जाय तो उक्त कार्यो को सम्पादित कराने में बड़ा सहयोग मिलेगा। 

डिबुलगंज पुर्नवास क्षेत्र में एनसीएल करायेगी जनहित का कार्य।

ग्राम पंचायत कुलडोमरी के आग्रह पर नार्दन कोल फिल्ड्स की ककरी परियोजना द्वारा नैगमिय सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत पुर्नवास क्षेत्र डिबुलगंज में मन्दिर परिसर हेतु आवंटित 5000 वर्ग मीटर भूमि पर प्रस्तावित सामुदायिक केन्द्र, कम्प्युटर प्रषिक्षण केन्द्र, सिलाई प्रषिक्षण केन्द्र तथा खेल का मैदान निर्माण में अनपरा तापीय परियोजना के अनापत्ति प्रमाण पत्र दिये जाने हेतु ग्रामीणों व ग्राम प्रधान द्वारा निगम व परियोजना से आग्रह किया गया है। ग्राम प्रधान किरन देवी ने बताया कि ग्राम सभा में सामुदायिक केन्द्र, कम्प्युटर प्रषिक्षण केन्द्र, सिलाई प्रषिक्षण केन्द्र तथा खेल का मैदान निर्माण से परियोजना प्रभावित परिवारों को लाभ होगा व उक्त कार्य जनहित में होगा। जिससे बड़ी संख्या में परियोजना प्रभावित परिवारों के सदस्य लाभान्वित होंगे। ज्ञात हो की एनसीएल द्वारा वर्ष 2013-14 के कार्य योजना में उक्त कार्यो को स्वीकृति प्रदान की गई है, निर्माण से पहले भू-स्वामि (अनपरा तापीय परियोजना) की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने का निर्देष एनसीएल द्वारा ग्राम प्रधान को दिया गया है। 

गुरुवार, 24 जुलाई 2014

नए परिसीमन से बढे़ंगे पंचायतों के वार्ड

उत्तर प्रदेश शासन ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। इस संबंध में प्रमुख सचिव चंचल तिवारी ने नए सिरे से वार्डों का परिसीमन आबादी के आधार पर करने का निर्देश दिया है। नए परिसीमन में ग्राम से लेकर जिला पंचायत तक के वार्डों में बढ़ोतरी होगी। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी 1502995 थी। उस जनगणना के आधार पर पिछले पंचायत चुनाव के पूर्व हुए परिसीमन में ग्राम पंचायत के 6775 वार्ड, क्षेत्र पंचायत के 656 वार्ड और जिला पंचायत के 26 वार्ड थे। अब वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर एक बार फिर वार्डों का परिसीमन होगा। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी 1548217 है। जबकि पूरे जिले की आबादी 18 लाख 62 हजार 559 है। पंचायती राज विभाग के प्रमुख सचिव चंचल कुमार तिवारी ने जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा है कि अब ग्राम पंचायत के वार्डों के लिए दो हजार तक की आबादी पर नौ वार्ड, तीन हजार तक 11 और पांच हजार तक की आबादी पर 13 वार्ड बनेंगे। इससे ऊपर की आबादी पर 15 वार्डों का गठन होगा। इसी तरह दो हजार की आबादी पर क्षेत्र पंचायत का एक वार्ड और पचास हजार की आबादी पर जिला पंचायत का एक वार्ड गठित होगा। ऐसे में यदि 2011 की जनगणना के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायत के वार्डों का गठन हुआ तो ग्राम पंचायत के वार्डों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में बढ़कर 6966, क्षेत्र पंचायत की 774 और जिला पंचायत के वार्डों की संख्या 30 हो सकती है। इस बाबत जिला पंचायत राज अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने बताया कि फिलहाल वार्डों की संख्या की गणना नहीं हुई है। 31 जुलाई तक ग्राम पंचायतों की संख्या का अवधारण होगा। एक अगस्त से 15 अगस्त तक सूची तैयार कर उसका प्रकाशन होगा। 16 से 22 अगस्त तक इस सूची पर आपत्ति ली जाएगी और इसका निस्तारण 23 से 30 अगस्त तक होगा। अंतिम सूची का प्रकाशन एक सितंबर से 15 सितंबर के बीच होगा।

सोमवार, 21 जुलाई 2014

ओवरलोडिंग से घट सकती है बड़ी दुर्घटना

ओवरलोडिंग के कारण मार्ग पर
गिरा इस प्रकार से कोयला
वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर ओवर लोड वाहन(हाईवा) से कोयला परिवहन कर स्पीड ब्रेकर के पास कोयला गिरने एवं कोयले की धूल से राहगीरों का चलना दुश्वार हो गया है। बताते है कि इस रोड पर विगत कई महीनों से मोरवा से रेनूसागर कोयला परिवहन में लगे वाहन से ओवर लोड बंद पड़ा था, पिछले सप्ताह कोल ट्रांसपोटर द्वारा पुनः ओवर लोड चालू किया गया इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। मोरवा से औड़ी अनपरा रेनूसागर तक सुरक्षा के हर्बट से नागरिकों के अनुरोध पर गति अवरोधक का निर्माण कराया था, किन्तु जगह-जगह पर ब्रेकरों पर कोयला गिरने एवं कोयले की धूल से उड़ रहे राख के कारण रेगिस्तान का धूल गुब्बारा बनकर क्षेत्र को प्रदूषित करने के साथ राहगिरों का सड़क पर चलना दुश्वार कर दिया है। साथ ही ओवरलोडिंग का खतरा मार्ग पर चलने वाले नागरिकों पर भी पड़ रहा है। चलते गाडि़यों से कोयला गिरने की घटनाए नई नहीं है। मार्ग में जा रहे नागरिकों के उपर ओवर लिंग कोयला गिरने का डर हमेशा ही बना रहा है। जिसकी चपेट में आकर किसी नागरिक के साथ बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है। मार्ग में गिरे कोयले के कारण आये दिन मोटर साइकिल व साइकिल चालक के साथ दुर्घटनाएं हो रही है। कई स्वयं सेवी संस्था सहित पार्टी के लोगों ने जिलाधिकारी व पुलिस अधिक्षक सोनभद्र से इस ओवर लोड पर तत्काल रोक लगाते हुए संबंधित ट्रांसपोर्टर संस्थानों पर उचित कारवाई करने की मांग की है एवं सड़क पर गिर रहे कोयले का सफाई करने की बात कही जा रही है। 

ओवर लोडिंग से राजमार्ग पर चलना हुआ दुष्वार

ऊर्जांचल की लाईफ लाईन कहे जाने वाले राजमार्ग पर लोगों का ओवर लोडिंग से चलना दुश्वार हो गया है। परियोजनाओं में कोयला परिवहन या राख परिवहन में लगे वाहनों से जहाँ ओवर लोडिंग बड़े पैमाने पर जारी है। वहीं परिहवन में लगे मालवाहकों द्वारा शासन के निर्देंशों का खुला उलंघन किया जा रहा। कोयला से लदे वाहनों से ढ़क कर चलने के बजाय खुला परिवहन किया जा रहा है। वाहनों पर लदे ओवर लोड कोयला के कारण जहाँ कोयला मार्ग पर गिरकर गाडि़यों के पहिए के नीचे आ कोयला धूल बनकर राहगिरों के लिए मुसीबत साबित हो रहा है। वहीं प्रदूषण का आलम यह है कि दो पहिया वाहन एवं पैदल सवार व्यक्ति द्वारा एक किलोमीटर का सफर भी इस रोड पर करना दुश्वार हो गया है। कोयला रूपी धूल कपड़ों के साथ-साथ फेफड़ो को भी प्रभावित कर रहा है। जिसकी चपेट में आकर लोग असमय ही मौत के मुँह मे समा रहे है। प्रदूषण पर रोकथाम के लिए चलाए गये सारे अभियान आज तक असफल ही सिद्ध हुए है। जबकि कोयला परिवहन में लगे वाहन परियोजनाओं में कोयला ढुलाई के कार्य मेें युद्ध स्तर पर लगे हैै। जिसका खामियाजा ऊर्जांचल की जनता को भुगतना पड़ रहा है। 

धीरे-धीेरे फैल रहा है उर्जान्चल की वादियों में मीठा जहर

  • विकास की किमत चुकानी पड़ रही पेड़ पौधो व वन्य जीवों कों
  • कई वन्य जीव व पेड़़ो की प्रजातिया अब है सोनान्चल की भूमि से विलुप्ति के कगार पर
प्राकृतिक वादियों के गोद में स्थित ऊर्जांचल आने वाले दषकों में भारत का सबसे बड़ा ऊर्जां हब बनेगा। जिससे देष के विकास में बढ़ोत्तरी की उम्मीद तो की जा सकती है और रोजगार के नये अवसर का सृजन भी बड़े पैमाने पर होने की उम्मीद को नकारा नहीं जा सकता। परन्तु विकास की रफ्तार में सरपट दौड़ती मानव जिन्दगी आज सुख सूविधा से परिपूर्ण तो है लेकिन विकास की रफ्तार के बीच प्रदूषण की समस्या धीरे-धीरे ही सही अपने पाँव पसारना प्रारम्भ कर चुकी है। जो गाहे -बगाहे आम जनजीवन को धीरे-धीरे प्रभावित कर रही है।

उर्जानगरी के नाम से विख्यात ऊर्जांचल जो प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच स्थित किसी द्विप से कम नहीं जहाँ प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता प्रदेश में ही नहीं वरन् सम्पूर्ण देश में अलग दर्जा दिलाने से नकारा नहीं जा सकता है। इन प्राकृतिक सम्पदाओं के दशकों से हो रहे अन्धा-धुन्ध दोहन करने में राज्य एवं केन्द्र सरकार की नीतियाँ दिन-प्रतिदिन तेज होती जा रही है। वहीं लापरवाही से किये जा रहे प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से होने वाले प्रदूषण पर सरकारों की ओर से जारी उदासीन रवैया, रोकथाम के अभाव में प्राकृति की अमूल्य सम्पदा को भारी नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रिय मानव जीवन को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा। वनो से अच्छादित इन क्षेत्रों में कभी शांति एवं वन्य जीवों का वास हुआ करता था, लेकिन जैसे-जैसे विकास की गाड़ी ने रफ्तार पकड़ी जंगलों मंे निवासरत पषु-पक्षियों ने भी स्थान बदल कर पलायन करने के साथ-साथ विलुप्ति के कगार पर ला खड़ा किया। आलम यह है कि लोगों के साथ जलीय जीव जन्तु का भी अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। प्रदूषण के इस शान्त ज्वालामुखी ने धीरे -धीरे ही सही अपना रूप दिखाना प्रारम्भ कर दिया है। जिसकी चपेट में आकर लोग आये दिन तरह-तरह के सक्रमित बिमारियो के चलते मौत के मुहँ मे समा रहें। 

जबकि ऊर्जांचल मे जहाँ नई परियोजनाओं का निर्माण जोरों पर है। वहीं पुरानी पड़ चुकी परियोजनाओं का जिर्णोंधार जोरों पर जारी है। ऐसे में प्रदूषण पर लगाम लगाया जा सकता है यह टेढ़ी खीर है। खदानों का बढ़ता क्षेत्र प्राकृति के सौन्दर्य को समाप्ति की ओर धकेल रहा है। जबकि नई परियोजनाओं का निमार्ण हो रहा है, उन्हें चलाने के लिए कोयले की और अधिक मात्रा की जरूरत पड़ेगी। जिसे पूरा करने के लिए नई खदानों का शुभारम्भ होगा और प्रदूषण में कई गुना का इजाफा होगा। जिसका खामियाजा प्रकृति के गोद में रहने वाले स्थानीय नागरिको को अपनी जिन्दगी देकर ही पूरी होगी। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए स्थानीय नागरिकों द्वारा ऊर्जांचल जनकल्याण समिति का गठन कर रोक-थाम के लिए आवाज उठायी गयी। प्रारम्भिक प्रयास काफी सफल भी रहे कुछ समय बितने के बाद जनकल्याण समिति का अस्तित्व ही समाप्त हो गया। प्रदूषण पर लगी रोक-थाम बेअसर हो अपने पुराने ढर्रें पर आ गयी। जिससे न केवल लोग प्रभावित है बल्कि काफी हद तक उनकी चपेट में है। जो नये-नये बिमारियों का कारण बन रही। समय रहते प्रदूषण रूपी इस ज्वालामुखी पर काबू पाने के प्रयास नहीं किये गये तो वह दिन दूर नही जब आदमी के साथ प्रकृति के गोद में स्थित वनपस्तियों एवं जीवों का अस्तित्व का अन्त हो जायेगा। जिसे बचाने की जिम्मेदारी ऊर्जांचल की जनता का है।  

आँखों देखी सोनेभद्र की तस्वीर ! कुछ हाल बुरा सा है, कुछ हालात भी बुरे है

सोनभद्र में सबसे ज्यादा ऊर्जा के संसाधन है। भारत के पहले प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू जी की सपना था कि इसे विकास की मुख्य धारा के साथ जोड़कर एक विकसीत क्षेत्र बनाया जाय। सोनभद्र में पूरे हिन्दूस्तान में सबसे ज्यादा भूमि का अधिग्रहण आधारभूत सुविधा एवं औद्यागिक विकास के लिये किया गया। सोनभद्र की 40 प्रतिषत आबादी विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण के लिये दो से तीन बार अपनी जमीनों से विस्थापित होना पड़ा है। पिछले 22-23 सालों से प्रदेष में जितनी भी सरकारे रही, उन्होंनेे प्रभावित किसानों के साथ न्याय नहीं किया है। तत्समय समय भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को पुर्नवास एवं पुर्नस्थापन लाभ (Rehablitation & Resettlement) देने के लिये जो कानून बनाये थे, परन्तु सत्ताधारी लोगों ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के अधिकारों को छिनकर कार्पोरेट को लाभ देने वाली नितियाँ बनाई। 

(अनपरा तापीय परियोजना के प्रभावित किसानों को न्याय दिलाने की लड़ाई 2008 से पंकज मिश्रा गैर सरकारी संगठन ‘सहयोग’ के माध्यम से मा. उच्च न्यायलय एवं सर्वोच्च न्यायलय में लड़ी है।)
(17 मार्च 2010 से उत्तर प्रदेष युवा कांग्रेस (पूर्वी जोन) के नेतृत्व में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानो न्याय दिलाने के लिये 15 दिवसीय सत्याग्रह किया गया। जिसमे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को प्रदेष सरकार ने जबरन जेल भेजा)।
(06 सितम्बर 2011 को प्रदेष सरकार की पुलिस द्वारा भूमि अधिग्रहण से प्रभावित दलित-आदिवासी किसानो पर अपनी आवाज उठाने पर लाठिया बरसाकर उनके आवाज को दबाने का प्रयास किया गया)।
(06 सितम्बर 2011 से अनपरा तापीय परियोजना के भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों ने पंकज मिश्रा के नेतृत्व में ऐतिहासिक सामुहिक भुख हड़ताल कर प्रदेष सरकार को कड़ी चुनौती दी)।
(16 सितम्बर 2011 को प्रदेष सरकार ने आन्दोलनकारियो के सामने घुटने टेक दिये, 21 सितम्बर, 2011 को प्रदेष सरकार ने अनपरा तापीय परियोजना के प्रभावितों को नई भूमि अधिग्रहण नीति 2011 के अन्तर्गत आवासीय प्लाट, मुआवजा एवं वार्षिकी देने की घोषणा की, परन्तु नई भूमि अधिग्रहण नीति के अन्तर्गत समस्त लाभ ना देकर आधी-अधूरे लाभ की घोषणा प्रदेष सरकार की नीति से ज्यादा नियम में खोट दर्षाता है)।

यहाँ के हालात कालाहाण्डी से भी ज्यादा बद्तर है। प्रदेष सरकार किसानों के साथ धोखा और गुण्डागर्दी कर रही है व गुंगी-बहरी बनी बैठी है। हक मांगने वालों को गोलियाँ और लाठियाँ मिल रही है। प्रदेष सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति चुनावी घोषणा पत्रों तक सिमित है। क्योंकि अगर सरकार की नियत में खोट नहीं होता तो चालिसों हजार अनपरा के दलित-आदिवासी किसानों को आज न्याय मिल गया होता।  अधिक जानकारी के लिए क्लिक करे - विष्ठापितो की दयनीय हालात 

केन्द्र सरकार ने आदिवासी-दलित-किसान एवं बेरोजगारों को मनरेगा कानून बनाकर हर परिवार को 100 दिनों का गारण्टी रोजगार देने का कानून बनाया। सोनभद्र को मनरेगा के कार्यक्रम को लागू करने के लिये प्रथम चरण के महत्पूर्ण जिलों के रूप में सम्मिलित किया गया था। परन्तु प्रदेष की सरकारों ने आम आदमी, जरूरतमन्दों को रोजगार देने के इस कानून को गलत तरीके से पैसा बनाने की मषीन बना लिया। सोनभद्र में 322169 परिवार आज मनरेगा जाॅब कार्डधारी है। जिसमें एक लाख से ज्यादा अनुसूचित जाति एवं 75 हजार अनुसूचित जनजाति के जाॅबकार्ड धारी है। वित्तिय वर्ष 2011-2012 समाप्त होने में केवल 40 दिन ही बचे है, पर सरकारी आकड़े बताते है कि अब तक सिर्फ 3296 परिवारों को ही 100 दिनों का रोजगार मिल सका है। हमारी योजना जो तीन लाख से ज्यादा परिवारों के घरों में चुल्हे जला सकती थी, उनकी भूख मिटा सकती थी, उनके बच्चों को बेहतर भविष्य दे सकती थी परन्तु प्रदेष में हमारी सरकार ना होने के कारण सिर्फ 1 प्रतिषत (3296) परिवार ही 100 दिनों का रोजगार पा सका। प्रदेष की मुख्मंत्री कहती है कि मनरेगा से किसी को फायदा नहीं पहुँचता। यह बात यहाँ तो 100 प्रतिषत लागू है, क्योंकि यहा मनरेगा 1 प्रतिषत लागू है। सोनभद्र को पूरे हिन्दूस्तान में मनरेगा में हुए भ्रष्टाचार एवं मजदूरी के लूट के लिये जाना जाता है। यहाँ मनरेगा में भ्रष्टाचार एवं बकाया मजदूरी की बात उठाने पर लोगो को गोलिया मारी जा रही है। 
(अमरनाथ देव पाण्डेय, आरटीआई कार्यकर्ता पर जनवरी 2011 में हुआ जानलेवा हमला) जब हमारे युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मनरेगा के भ्रष्टाचार और लाखों दलित-आदिवासी मनरेगा मजदूरों की बकाया मजदूरी की आवाज उठानी चाही तो उनपर लाठियाँ बरसाई गई।) पूरी जानकारी के लिए वीडियो देखे 

(31 मार्च 2011 को राबर्टसगंज में युवा कांग्रेस द्वारा आयोजित दलित-आदिवासी अधिकार रैली में युवा कांग्रेस कार्यकताओं के साथ-साथ हजारों दलित-आदिवासियों पर लाठियाँ चलाई गई और पूरे जिले को पुलिस छावनी में बदलकर लोगों को गिरफ्तार किया गया)। 
देष के अन्य प्रदेषों में जहाँ हमारी सरकार है वहाँ मनरेगा लोगो के जीवन में खुषहाली ला रहा है। उनका विकास हो रहा है तथा अपने घर में उन्हें रोजगार के साथ-साथ एक मजबूत बुनियादी सुविधाओं के विकास का कानून मिल गया है। जिससे वहाँ सड़क, सिंचाई के साधन विकसित किये जा रहे है। जो रोजगार के साथ-साथ लोगों को बेहतर भविष्य भी दे रहे है। वही दूसरी ओर सोनभद्र पिछड़ा जिला होने के बाद भी मनरेगा में मजदूर काम करने से घबड़ा रहा है। पूरा धन बसपा सरकार के मंत्री एवं कार्यकर्ता अपनी निजी सम्पति की तरह इस्तमाल कर रहे है। पूरे हिन्दूस्तान मे अगर मनरेगा की सबसे बड़ी जरूरत किसी क्षेत्र को है तो उसमें सोनभद्र सबसे आगे होना चाहिए। 

केन्द्र में यूपीए की सरकार ने अदिवासियों को एवं अन्य परम्परागत वन पर आश्रित परिवारों को न्याय देने के लिये वनाधिकार कानून-2006 में बनाया ताकि हम आदिवासियों को विकास की मुख्य धारा से जोड़कर उन्हें बेहतर भविष्य के साथ-साथ आजिविका के संसाधन से सीधे जोड़े, पर प्रदेष में हमारी सरकार ना होने के कारण जहाँ तीस हजार से ज्यादा अनुसूचित जनजाति के परिवार जो वनाधिकार पा सकते थे, उसमे से सिर्फ 10069 परिवार ही इसका लाभ पा सके है। आदिवासियों को दिये गये वनाधिकार में भी पद्रेष सरकार ने अपनी नियत दिखाई है। आज 80 प्रतिषत आदिवासियों को उनके कब्जे की जमीन पर सिर्फ 10 से 20 प्रतिषत भूमि का ही वनाधिकार दिया गया है। अगर यह ही लाभ किसी निजी कार्पोरेट को देना होता तो प्रदेष सरकार उसे 200 प्रतिषत लाभ देती। सोनभद्र में भी इसके कई ऐसे उदाहरण देखे जा सकते है। जहाँ प्रदेष की सरकार ने आदिवासियों को हित एवं कानूनों का ताक पर रखकर हजारों हेक्टेयेर वन भूमि निजी कार्पोरेट को भेट की है। 
(जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड, को डाला एवं चुर्क में आदिवासियों के कब्जे की भूमि पर आदिवासियों के वनाधिकार देने की बजाय जबरन प्रदेष सरकार द्वारा जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड, को डाला एवं चुर्क में दिया गया है)
(प्रदेष सरकार द्वारा अनपरा के बेलवादह ग्राम में रहने वाले आदिवासी जिन्हे वनाधिकार कानून के तहत वनाधिकार दिया गया है। उनकी भूमियों पर आज प्रदेष सरकार जबरन अतिक्रमण कर रही है और उन्हें न्याय देने की बजाय यह फरमान जारी कर रही है कि उन्हें ऐसे भूमियों पर प्रतिकर एवं पुर्नवास/पुर्नस्थापन लाभ पाने का अधिकार भी नहीं है)।
सोनभद्र में किसानों के टमाटर सड़को पर बिखरे पड़े है किसानों के धानों को प्रदेष सरकार नहीं खरीद रही है। किसानों के हालात सबसे ज्यादा दयनीय है। हमने किसानों को सीधे बाजार एवं आधार भूत सुविधाओं से जोड़ने के लिये एफडीआई सदन में लाया। परन्तु एनडीए एवं बसपा ने इसका विरोध किया। आज जब सोनभद्र को किसान अपनी फसल सड़कों पर फेंक रहा है। उसके धानों का कोई खरीदार नहीं है, तो विपक्ष क्यों ? मौन है। 

सोनभद्र में सड़क के हालात ऐसे है कि यहा की सडक को किलर रोडऋ कहा जाता है। यहाँ कि सड़कों की हालात ऐसी है कि विकास का पहियाँ थम गया है। इसे गति देने की जरूरत है। प्रदेष की आर्थिक व्यवस्था महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाला यह जिला अपने लिये एक अच्छी सड़क के लिये तरस रहा है। आप हमें अवसर दे ताकि उत्तर प्रदेष के विकास का पहियाँ अच्छी सड़को पर घूमें। 

लैंको पावर के स्थानीय प्रबंधन द्वारा किये जा रहे विस्थापितो के साथ खिलवाड

लैंको अनपरा पावर परियोजना द्वारा विस्थापितो के साथ हुये समझौते का अनुपालन न किये जाने से रोष व्याप्त है। कार्यकर्ताओ ने लैंको को चेतावनी देते हुए कहा अगर स्थानीय विस्थापितो के साथ वादा खिलाफी की गयी तो परिणाम गम्भीर होगें। बुधवार केा समाजवादी पार्टी के महासचिव सईद कुरैषी ने बताया अनपरा के विस्थापित प्रतिनिधि के नेतृत्व मे मुख्यमंत्री अखिलेष यादव से मिलकर स्थानिय विस्थापितो के समस्या से लैंको पावर के स्थानीय प्रबंधन द्वारा किये जा रहे खिलवाड के बारे मे बताया। पत्र मे उन्होने 9 फरवरी 2009 के समझौता के अनुपालन के अलावे जिलाधिकारी के पत्र 3 दिसम्बर 2012 के आदेष का पालन नही करने का जिक्र किया है। कुरैषी ने मुख्यमंत्री को जनपद सोनभद्र के नक्सल प्रभावित जिले मंे युवको को लैंको द्वारा रोजगार न दिये जाने का जिक्र करते हुये असहयोग की बात कही है। वही सपा नेता पंकज जायसवाल ने मुख्यमंत्री से लैंको की कई खामियां के बारे मे विस्तृत जानकारी दी। उन्होने कहा लैंको जान बूझकर परियोजना को नही चलाना चाह रही है। 1200 मेगावाट क्षमता के विद्युत गृह से 500 मेगावाट से ज्यादा कभी उत्पादन नही हो पा रहा है। लैंको के अधिकारी को रैक से कोयला चोरी करवाने व कीमती सामान को कबाडि़यो के हाथ बेचे जाने का भी आरोप लगाया। 

ऊर्जांचल में प्रदूषण की समस्या हुई बेकाबू

मुख्य हाइवे पर क¨यले की मोटी पर्त जमा 
उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित परियोजनाए प्रदूषण से निपटने में फ्लाप 
प्रदूषण के चलते ल¨ग गंभीर बीमारिय¨ की चपेट में 
मजबूरी में लोग फांक रहे है धूल 

केंद्रीय पर्यावण एवं वन मंत्रालय तथा प्रदूषण नियंत्रण ब¨र्ड की दिशा-निर्देश की धज्जिया उ़ाते हुए क्ष्¨त्र में प्रदूषण लगातार विकराल रूप धारण करता जा रहा है। आलम यह है कि वाराणसी-शक्तिनगर मुख्य हाइवे सहित एनएच 75 ई पर कोयले तथा  राख की मोटी परत जम गई है। सड़क पर लगातार चल रहे वाहनों से निकल रहे धूल एवं धुए की धुंध-कोहरे की मानिंद वातावरण क¨ जहरीला बना रहे है। जिसके लते सड़क किनारे रहने वाले लोगो को कई तरह की गंभीर बीमारियां चपेट में ले रही है। विकराल प्रदूषण के चलते कई ल¨ग त¨ चिकित्सको की सलाह पर महफूज स्थानों की अ¨र पलायन तक कर चुेे

उत्तर प्रदेश की लगातार बिगड़ती जा रही कानून-व्यवस्था-शक्ति आनन्द

शक्ति आनन्द
उत्तर प्रदेश की लगातार बिगड़ती जा रही कानून-व्यवस्था और बेकाबू होते अपराध के सवाल पर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर गैर जिम्मेदराना और विवादित बयान जारी किया है। लखनऊ में हुए निर्भया कांड जैसे दुर्ष्कम पर मुलायम सिंह यादव कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी 21 करोड़ है। इतने बड़े प्रदेश में हर अपराध रोका नहीं जा सकता है। युवा कांग्रेसी व समाजसेवी शक्ति आनन्द ने इस बयान की कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके में 30 साल की महिला से दुष्कर्म और हत्या की दिल दहला देने वाली घटना सामने आने के 60 घंटों बाद भी पुलिस खोखले दावे कर रही है, लेकिन आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। श्री आनन्द ने कहा कि पिछले दो वर्षो से यूपी में अपराध व महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनायें ज्यादा हो रही है। अब तो इस सरकार से क्राइम पर नियंत्रण की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। जिसके सन्दर्भ में शनिवार को युवा कांग्रेस ने अपनी एक सप्ताहिक बैठक में यह योजना बनाई है कि सोनभद्र युवा कांग्रेस के पदाधिकारी जल्द ही महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों पर उत्तर प्रदेष में प्रभावी कानून व्यवस्था बनाये जाने हेतु वृहद पैमाने पर आन्दोलन किये जाने हेतु अपने प्रदेष कार्यकारिणी समिति से आग्रह करेगी। बैठक में ओम प्रकाष दूबे, उपाध्यक्ष, ओबरा विधान सभा, हरिनाथ खरवार, लक्ष्मीकान्त दूबे, मुकेष पाण्डेय, मोहम्मद सद्दाम, अंकुर मेहता आदि उपस्थित रहे। 

बुधवार, 16 जुलाई 2014

आश्चर्य का विषय बनी 160 वर्षीय बुटली देवी

ः- बन सकता था सबसे लम्बी उम्र तक जीवित रहने का रिकार्ड 

बुटली देवी
क्या आज के युग में ऐसा सम्भव है कि कोई 160 वर्ष की अवधी तक जीवित रह सकता है। जानकारी के आधार पर अनपरा के कुलडोमरी ग्राम पंचायत के मुहल्ला मनरहवाँ निवासी बुटली देवी उम्र लगभग 160 वर्ष एक मिट्टी के घर में जिन्दगी का आखिरी समय काटती मिली। बुटली देवी से मिलने के बाद भी इस बात को जानकर काफी हैरानी हुई कि आज भी लोग इनती लम्बी आयु तक जीवित रह सकते है। ढ़लती उम्र के कारण जहाँ बुटली देवी की आखों की रौषनी चली गयी वहीं कानों ने जबाब दे दिया। उपेक्षा की शिकार बुटली देवी को सरकार की ओर से कोई मदद आज तक नहीं मिल सकी। 

बुटली देवी के साथ सत्तन राम 
आश्चर्य का सबब बनी बुटली देवी के बारे में जानने की उत्सुक्ता भी थी लेकिन काफी वृद्ध हो चुकी बुटली देवी के कान और आँख अब जबाब दे चुके है। बुजूर्ग महिला की अवस्था के बारे मे पूछने पर स्थानीय लोगों अलग-अगल राय देते हुए उन्हें एक सदी से उपर का बताया। काफी संसय के बाद गाँव के सबसे बुजूर्ग वृद्ध सतन्न राम (85) को इस बाबत बुलाया गया कि स्थिति साफ हो सके और बुटली देवी की आयु का कुछ अनुमान लगाया जा सकें। उन्होनंे बताया कि बुटली देवी एक ऐसा नाम है जिसे सुनने के बाद कुलडोमरी का हर नागरिक का सर श्रद्धा से झुक जाता है। 

अखबारों में छपि खबर 
आज के युग में आष्चर्य माने जाने वाली उम्र सबके आकर्षण का केन्द्र बनी है। उन्होनें कहा कि अपने प्रौढ़ अवस्था में डाॅक्टर की भूमिका निभाने वाली बुटली देवी को पेट रोग विषेषज्ञ की ख्याति प्राप्त थी। उन्होनें बताया कि बुटली देवी की उम्र लगभग 160 वर्ष के आस-पास होगी। अपने जीवन के 160 बसंत देख चुकी बुटली देवी आज सरकारी उदासिनता के कारण अपने अस्तित्व से संघर्ष कर रही है। नाती, पनाती और सनाती को देख चुकी है। बयोवृद्ध अपने अवस्था में गर्भवती महिला को प्रसव कराने में भीं महारत हासिल थी, इस लिए गाँव के सभी परिवारों में इनकी अच्छी पूछ थी और प्रसव के दौरान सिर्फ बुटली देवी को याद किया जाता था। समय बितने के साथ ही ढ़लती उम्र ने उसे लाचार बना दिया। अब तो आखों भी साथ छोड़ चुकी। अब आलम यह है कि इस वृद्धा को दो जून की रोटी के लिए परिवार के सदस्यों पर आश्रित होना पड़ता है। सरकार की तरफ से जारी सरकारी योजनाओं का लाभ आज तक नहीं प्राप्त हो सका। 160 साल जीने की ख्याति प्राप्त बुटली देवी डाॅक्टरों के साथ लोगों के लिए आश्चर्य का विषय है। जबकि बुटली देवी के पुत्र और पुत्रियों की संख्या मिलाकर 9 है।  पुत्रों एवं पुत्रियों की उम्र लगभग 100 से 80 वर्ष से अधिक है। 

अखबारों में छपि खबर 
गाँव के बुजूर्गों ने बताया कि रिहन्द जलाशय के निर्माण से पूर्व क्षेत्र में प्रदूषण न के बराबर था और आज जहाँ डी परियोजना के निर्माण हो रहा वहाँ सात दषकों पूर्व तक राजाओं द्वारा बाघों के षिकार के लिए मचान बनाये जाते एवं भैसों को बाधा जाता था। बाघों के आते ही  षिकारियों द्वारा उनका षिकार कर लिया जाता। रिहन्द जलाषय के निर्माण के बाद आयी औद्योगिक क्रांति ने पूरे क्षेत्र को प्रदूषण से भर दिया। जिससे क्षेत्र की लोगो की उम्र लगातार कम हो रहा। बुटली देवी आज तक प्रदूषण के प्रभाव से बची रही। उनकी लम्बी उम्र का राज भी यही। सरकारी उदासिनता का षिकार बुटली देवी को सरकार की तरफ से जारी वृद्धा पेंषन की धनराषि आज तक नहीं प्राप्त हो सकी। समय की मार से प्रभावित बुटली देवी को शासन प्रषासन से मदद की उम्मीद है। जिससे उनकी जिन्दगी का आखिरी समय सुकून से बीत सके। राष्ट्रीय सहारा भी ऐसी महिला के सहयोग के लिए लोगों से मदद की गुहार करता है। 

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कभी गुमनामी की जिन्दगी बसर कर रही बुटुली देवी आज ऊर्जांचल के जन-जन में चर्चा की विषय बन गयी है। गुमनाम बुटुली देवी को खोज के बाद जहाँ लोगों में उत्सुक्ता का विषय बनी वृद्धा हर दिल अजीज बन चुकी है। कुछ स्थानीय लोगों ने तो उन्हें ऊर्जांचल की माँ के नाम से सम्बोधित करना प्रारम्भ कर दिया है। वहीं उनके जानने वाले गाँव व पास-पड़ोष के लोगों ने तो उन्हें रहस्य की पोटली कहा है। 

पंकज मिश्रा
"कांग्रेसी नेता पंकज मिश्रा ने बुटुली देवी की अवस्था पर कहा कि हम केन्द्र सरकार से इस सम्बंध में अनुरोध करेगें की बयोवृद्ध बुटुली देवी को हर सम्भवद मदद एवं सुविधा मुहैया करायी जाय। जिससे अपेक्षा की शिकार वृद्धा का जीवनकाल और लम्बा हो सकें और सोनभद्र की धरती का नाम इतिहास के पन्नों में हमेषा-हमेषा के लिए दर्ज हो जाये और किसी परिचय के लिए मोहताज न होना पडे़े।" 
शक्ति आनन्द
"बुटली देवी की समाज के नजरों तक लाने में अहम भूमिका निभाने वाले शक्ति आनन्द और संजय कुमार ने मांग की है कि सोनभद्र सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में 100 बसंत देख चुके कई ऐसे वृद्ध है जो अच्छे स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में लम्बी उम्र नहीं जी पाते है। जिसकी जीता जागता सबुत बुटुली देवी है। जिनकी अवस्था 135 वर्ष है यदि उन्हें अच्छी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल जाये तो वे 150 वर्ष से अधिक जी सकती है। उन्होनंे मांग किया कि जिला प्रषासन उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं निःषुल्क उपलब्ध करायें एवं सोनभद्र में ग्रामीण क्षेत्रों ऐसे जितने भी वृद्ध हो 100 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हो उन्हें चिंहित कर सूची बद्ध किया जाय। जबकि स्वास्थ्य विभाग के ऊर्जांचल परिक्षेत्र में उदासीन रवैये के कारण कई लोग बगैर अपनी पूरी उम्र जिये ही चल बसते है। जिसके कारण आज कल 100 वर्ष की उम्र के व्यक्तियोें का मिलना लगभग नहीं सा लगता है। बुटुली देवी एक चमत्कार के रूप में ऊर्जांचल में सामने आयी है।" 
शिवशंकर तिवारी
भाठ क्षेत्र निवासी शिवशंकर तिवारी का कहना है कि भाठ क्षेत्रों में चिकित्सा के नाम विभाग द्वारा केवल कोरम पूर्ति की जाती है। जगह-जगह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तो खुले है परन्तु वहाँ मामली सी बुखार की दवाएं भी मिलना टेढ़ी खीर हो जाती है। जिसके चलते लम्बा उम्र सपना हो गयी। बुटुली देवी भाठ क्षेत्र की रहने वाली है। उनकी इतनी लम्बी अवस्था इतने दिनों तक जीवन के साथ उनके संघर्ष को बयान करता है। 
रामचन्द्र जायसवाल
ग्राम पंचायत कुलडोमरी के प्रधान पति रामचन्द्र जायसवाल का कहना कि सोनभद्र में उद्योगों के कारण प्रदूषण के बढ़ते विकराल रूप के कारण लम्बी बिमारियों की एक श्रृखला बन गयी है। जिसके चलते लोग कम उम्र में ही घातक बिमारियों के षिकार हो जा रहे है। उन्होनें मांग किया कि बुटुली देवी को शासन की ओर निःषुल्क स्वास्थ्य सेवाएं एवं हर सम्भव मदद देनी चाहिए।

जगदीष वैसवार
विश्राम वैसवार
पूर्व जिला पंचायत सदस्य जगदीष वैसवार व विश्राम वैसवार ग्राम प्रधान परासी का कहना है कि नारी दुर्गा का रूप है और सोनभद्र में बुटुली देवी इस लम्बी अवस्था में आज भी जीवन से लड़ती चली आ रही है। हम सभी क्षेत्रवासी उनकी स्वस्थ्य रहने एवं विश्व में सबसे ज्यादा उम्र जीने की कामना करते है। साथ ही क्षेत्रवासियों ने मांग किया कि शासन को सर्वें करा कर बुटुली देवी का नाम वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज कराया जाय। 

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बुटुली को देखने के लिये दिन भर लगा रहता लोगो का ताता 
बुटुली को देखने के लिये लगी लोगो  भीड़ 
अखबार में छपी खबर के बाद गुमनाम बुटुली देवी को रोज उर्जान्चल के बड़े राजनितिक दलों के नेता व सामाजिक संस्थाओं व अन्य स्थानीय जनों द्वारा देखने के लिये उनके घर पर भीड़ लगाई जाती है। वहीं दूसरी तरफ समाजसेवीयों द्वारा वृद्धा को आर्थिक सहायता दिलाने व जिला प्रशासन से उसकी जाँच कराकर राष्ट्रीय सम्मान दिलाने की मांग की जा रही है। एक तरफ जहाँ लोगों में इस वृद्ध महिला को देखने व जानने उत्सुक्ता बनी हुई है। वहीं वृद्धा हर दिल अजीज बन चुकी है। कुछ स्थानीय लोगों ने तो उन्हें ऊर्जांचल की माँ के नाम से सम्बोधित करना प्रारम्भ कर दिया है। वहीं उनके जानने वाले गाँव व पास-पड़ोस के लोगों में उनका सम्मान और भी बढ़ गया है। लोगो की मांग है कि बुटुली देवी की अवस्था पर केन्द्र सरकार से इस सम्बंध में अनुरोध करेगें की उन्हें चिकित्सा सुविधा मुहैया करायी जाय। जिससे अपेक्षा की षिकार वृद्धा का जीवनकाल और लम्बा हो सकें और सोनभद्र की धरती का नाम इतिहास के पन्नों में हमेषा-हमेषा के लिए दर्ज हो जाये और किसी परिचय के लिए मोहताज न होना पडे़े। 
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135 की उम्र में भी बुटुली खाती है कठोर खाद्य पदार्थ
गुमनामी का वनवास काट रही बुटुली देवी की लम्बी उम्र की चर्चा जन-जन में व्याप्त है। बुटुली की उम्र की प्रमाणिकता के लिए वास्तविक रूप में प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने की जरूरत है। जिससे कुलडोमरी की बुटुली का नाम पूरे विष्व में अपनी पहचान बना सके। वहीं पिपरी सोनवानी के प्रधान अर्जून भारती ने भी हर सम्भव मदद देने की बात कहीं। मूल निवासी संविदा श्रमिक के नेता राम दुलारे पनिका ने भी जानकारी के बाद मौके पर पहँुचकर हर तरह का सहयोग देने की बात कही। अखबार की खबर से प्रकाष में आयी बुटुली देवी को देखने वालों का ताता लगा है वहीं उनकी लम्बी उम्र का राज जानने की दिलचस्पी लोगों के सर चढ़ बोल रही है। लोगों के बुटुली के लम्बे उम्र का राज अपने-अपने तर्क से दे रहे कुछ ने उनकी लम्बी उम्र का राज आज तक प्रदूषण से दूर रहने को दिया जबकि कुछ इसे भगवान का वरदान मान रहें। उपस्थित भीड़ ने जब उनके दातों को सुरक्षित देखा तो उन्हें विष्वास नहीं हो रहा था कि 135 वर्षीय वृद्धा के दात आज भी सही सलामत एवं सुरक्षित है। परिवार के सदस्यों ने बताया कि बुटुली देवी चना और अन्य कठोर सामग्रियाँ खाने में सक्षम है। कुछ ने उनकी लम्बी उम्र का राज उनके दातों को दे डाला। और कहा कि जबतक लोगों के दात सुरक्षित होते है उन्हें खाने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होती है। और उनकी उम्र लम्बी होती है। 

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"ऊपर लिखे गये सभी लेख दिसम्बर, 2013 के समय के है, जब बुटली देवी के जीवित होने की दशा में यह प्रकरण ऊर्जान्चल में चर्चा का विषय बन गया था। "
नोटः-
" बुटली देवी को सर्वप्रथम ढुढ़ने व अखबार में प्रकाषित कर लोगों के सामने लाने वाले संजय कुमार व शक्ति आनन्द की जानकारी के अनुषार वर्ष 2014 में बुटली देवी की मुत्यु हो गई है और बुटली देवी का नाम इतिहास के पन्नों में कही गुम हो गया। उनका कहना है कि सरकारी उपेक्षा की षिकार होने व सही समय पर उन्हें समाज के सामने न लाने की वजह से उन्हें सबसे ज्यादा उम्र की जीवित महिला होने का सम्मान नहीं मिल सका और उनकी मुत्यु के बाद उनके लम्बे जीवन का अध्याय समाप्त हो गया है। "

सूचना का अधिकार कानून की अभी भी समझ नही है जिले के अधिकारी को

सोनभद्र जिले में सूचना का अधिकार कानून के लागू हुए छः वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद जिले के आलाधिकारी इस कानून से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। यही कारण है कि अति महत्वपूर्ण माना जाने वाला यह कानून अभी भी सही मायने में असली जामा नहीं पहन पाया है। जब जिले के आला अधिकारी को इस कानून का ज्ञान नहीं है तो अन्य के बारे में कुछ कहना लफ्फाजी होगा.बात साफ है सरकार कहती है कि सूचना का अधिकार विकास का आधार है,पर जब अधिकारी ही इसके बारे में नहीं जानेंगे तो फिर कैसे हो जिले का विकास?

हिण्डालको प्रबंधन के उत्पीड़न का शिकार संविदा श्रमिकों ने काम ठप कराने की दी चेतावनी

एशिया की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी हिंडाल्को का कहर संविदा श्रमिकों पर निरंतर जारी है। कंपनी के जुर्म से आजीज आकर रेणकूट इकाई के हजारों मजदूर आए दिन धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। बीती चार अक्टूबर को कंपनी प्रवंधन के उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन कर मजदूरों पर कंपनी के सुरक्षाकर्मियों समेत जिला प्रशासन ने लाठी चार्ज किया। साथ ही जिला प्रशासन ने कंपनी प्रबंधन और कुछ तथाकथित पत्रकारों की सह पर मजदूर नेताओं पर फर्जी मुकदमा लादकर लोकतंत्र का आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। हिण्डालको प्रबंधन और जिला प्रशासन की इस कार्रवाई से जनपद की राजनीति गरमा गई है। जन संघर्ष मोर्चा समेत कई मजदूर संगठनों एवं राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनीधियों ने औद्योगिक क्षेत्र में काम को ठप कराने की चेतावनी जिला प्रशासन एवं कंपनी प्रबंधन को दिया है।

गौरतलब है कि हिण्डालको कंपनी प्रबंधन के उत्पीड़न एवं शोषण के खिलाफ बीते दिनों संविदा मजदूर रेणुकूट में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। जिलाधिकारी पनधारी यादव की अपील पर बीती चार अक्टूबर को हिण्डालको के संविदा मजदूरों ने अपने आन्दोलन को स्थगित कर दिया था। मजदूरों के साथ वार्ता में जिलाधिकारी पनधारी यादव ने आश्वासन दिया था कि दो दिन के अन्दर उपश्रमायुक्त पिपरी के साथ वार्ता कर संविदा मजदूरों की लम्बित समस्याओं का समाधान करा दिया  जायेगा। साथ ही उन्होंने किसी भी मजदूर का उत्पीड़न, छंटनी, मजदूरों पर लादे गये फर्जी मुकदमों को वापस लेने, बीती चार अक्टूबर को हुयी घटना की जांच पुलिस से कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि वर्तमान समय में जारी पंचायत चुनाव को देखते हुए हम लोग आन्दोलन को स्थगित कर दें। आगे उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के बाद वह पूरे औद्योगिक क्षेत्र के संविदा श्रमिकों की समस्याओं के निस्तारण के लिए विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के प्रबन्ध तंत्र व संविदा मजदूरों के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता की पहल करेंगे। जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद राष्ट्रहित, प्रदेशहित एवं  औद्योगिकहित को देखते हुए मजदूरों ने आन्दोलन को  स्थगित कर दिया। लेकिन आन्दोलन समाप्ति के बाद प्रबन्ध तंत्र ने संविदा मजदूरों का जबरदस्त उत्पीड़न करना शुरु कर दिया है। लगभग 200 से भी ज्यादा मजदूरों को काम से निकाल दिया गया। संचार क्रांति के इस युग में संविदा मजदूरों के मोबाइल को फैक्ट्री के अन्दर ले जाने पर रोक लगा दी गयी। मजदूरों से हिण्डालको सुरक्षा कर्मियों द्वारा जबरन गेट पास छीना जा रहा है। मजदूर नेताओं और उनके प्रतिनिधियों की घेराबंदी शुरु कर दी गयी है। जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने आरोप लगाया है कि हिण्डालको के इशारे पर कुछ तथाकथित पत्रकारों ने प्रशासन व पुलिस से मिलकर संविदा श्रमिकों के नेताओं पर मुकदमा कायम कराया है। उन्होंने आगे कहा कि मोर्चा ने प्रशासन एवं प्रबन्ध तंत्र को घटना की स्थिति से बार-बार अवगत कराया, लेकिन  मजदूरों के उत्पीड़न को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कोई विधिक कार्रवाई नहीं की। प्रशासन का इस गैरजिम्मेदाराना एवं लापरवाही भरे रुख से मजदूरों में गहरा आक्रोश है, जो रेणुकूट में बहुत बड़ी विषम स्थित को जन्म दे सकता है। जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर, श्रम संविदा संघर्ष समिति के अध्यक्ष व नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल सिंह, प्रगतिशील  मजदूर सभा के अध्यक्ष द्वारिका सिंह, मजदूर मोर्चा के संयोजक राजेष सचान, कांग्रेस पीसीसी सदस्य बिन्दू गिरि, ठेका मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाल ने जिला प्रशासन एवं कंपनी के प्रबंधन तंत्र को चेतावनी दी है कि वे मजदूरों का उत्पीड़न बंद करे नहीं तो पूरे औद्योगिक क्षेत्र में काम को ठप करा दिया जाएगा।


मजदूर नेताओं ने कहा कि हिण्डालको से लेकर अनपरा, ओबरा, रेनूसागर, लैंको, सीमेन्ट, कोयला व बिजली की औद्योगिक इकाईयों में हजारों की संख्या में काम कर रहे संविदा श्रमिक निर्मम शोषण के शिकार एक ही कार्यस्थल पर बीस-पचीस वर्षों से कार्यरत रहने के बावजूद उन्हें नियमित नहीं किया जाता है। उन्हें न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दी जाती है। कानूनी प्रावधान होने के बाद भी हाजरी कार्ड, वेतन पर्ची, रोजगार कार्ड, बोनस, डबल ओवर टाइम, सार्वजनिक अवकाश नहीं दिया जाता है। यहां तक कि इपीएफ की कटौती के बावजूद उसकी कोई रसीद नहीं दी जाती है। यदि कोई मजदूर अपनी जायज मांग को उठाता है तो उसे बिना किसी नियम कानून के काम से ही निकाल दिया जाता है। इसके बाद भी हिण्डालको प्रबंधन कहता है कि हम उन्हे सुविधाएं दे रहे हैं। कंपनी के झुठे आश्वासनों और उत्पीड़न ने मजदूरों को आंदोलन करने पर मजबूर कर दिया है। मजदूर नेताओं की मानें तो जिला प्रशासन की वादाखिलाफी, गैर जबाबदेही के विरुद्ध मजदूरों ने हढ़ताल पर जाने की नोटिस जिलाधिकारी एवं उप श्रमायुक्त को दी हैं। आंदोलनकारीगण मेहंदी हसन, अजीम खाँ, चन्दन, नसीम, प्रदीप, मारी (सभासद गण), नौशाद, राजेश कुमार राय, राम अभिलाख, सुमन झा, रामजी वर्मा, धर्मेन्द्र, महेन्द्र सिंह ने भी प्राथमिकता के तौर पर कंपनी प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कही।