बुधवार, 16 जुलाई 2014

आश्चर्य का विषय बनी 160 वर्षीय बुटली देवी

ः- बन सकता था सबसे लम्बी उम्र तक जीवित रहने का रिकार्ड 

बुटली देवी
क्या आज के युग में ऐसा सम्भव है कि कोई 160 वर्ष की अवधी तक जीवित रह सकता है। जानकारी के आधार पर अनपरा के कुलडोमरी ग्राम पंचायत के मुहल्ला मनरहवाँ निवासी बुटली देवी उम्र लगभग 160 वर्ष एक मिट्टी के घर में जिन्दगी का आखिरी समय काटती मिली। बुटली देवी से मिलने के बाद भी इस बात को जानकर काफी हैरानी हुई कि आज भी लोग इनती लम्बी आयु तक जीवित रह सकते है। ढ़लती उम्र के कारण जहाँ बुटली देवी की आखों की रौषनी चली गयी वहीं कानों ने जबाब दे दिया। उपेक्षा की शिकार बुटली देवी को सरकार की ओर से कोई मदद आज तक नहीं मिल सकी। 

बुटली देवी के साथ सत्तन राम 
आश्चर्य का सबब बनी बुटली देवी के बारे में जानने की उत्सुक्ता भी थी लेकिन काफी वृद्ध हो चुकी बुटली देवी के कान और आँख अब जबाब दे चुके है। बुजूर्ग महिला की अवस्था के बारे मे पूछने पर स्थानीय लोगों अलग-अगल राय देते हुए उन्हें एक सदी से उपर का बताया। काफी संसय के बाद गाँव के सबसे बुजूर्ग वृद्ध सतन्न राम (85) को इस बाबत बुलाया गया कि स्थिति साफ हो सके और बुटली देवी की आयु का कुछ अनुमान लगाया जा सकें। उन्होनंे बताया कि बुटली देवी एक ऐसा नाम है जिसे सुनने के बाद कुलडोमरी का हर नागरिक का सर श्रद्धा से झुक जाता है। 

अखबारों में छपि खबर 
आज के युग में आष्चर्य माने जाने वाली उम्र सबके आकर्षण का केन्द्र बनी है। उन्होनें कहा कि अपने प्रौढ़ अवस्था में डाॅक्टर की भूमिका निभाने वाली बुटली देवी को पेट रोग विषेषज्ञ की ख्याति प्राप्त थी। उन्होनें बताया कि बुटली देवी की उम्र लगभग 160 वर्ष के आस-पास होगी। अपने जीवन के 160 बसंत देख चुकी बुटली देवी आज सरकारी उदासिनता के कारण अपने अस्तित्व से संघर्ष कर रही है। नाती, पनाती और सनाती को देख चुकी है। बयोवृद्ध अपने अवस्था में गर्भवती महिला को प्रसव कराने में भीं महारत हासिल थी, इस लिए गाँव के सभी परिवारों में इनकी अच्छी पूछ थी और प्रसव के दौरान सिर्फ बुटली देवी को याद किया जाता था। समय बितने के साथ ही ढ़लती उम्र ने उसे लाचार बना दिया। अब तो आखों भी साथ छोड़ चुकी। अब आलम यह है कि इस वृद्धा को दो जून की रोटी के लिए परिवार के सदस्यों पर आश्रित होना पड़ता है। सरकार की तरफ से जारी सरकारी योजनाओं का लाभ आज तक नहीं प्राप्त हो सका। 160 साल जीने की ख्याति प्राप्त बुटली देवी डाॅक्टरों के साथ लोगों के लिए आश्चर्य का विषय है। जबकि बुटली देवी के पुत्र और पुत्रियों की संख्या मिलाकर 9 है।  पुत्रों एवं पुत्रियों की उम्र लगभग 100 से 80 वर्ष से अधिक है। 

अखबारों में छपि खबर 
गाँव के बुजूर्गों ने बताया कि रिहन्द जलाशय के निर्माण से पूर्व क्षेत्र में प्रदूषण न के बराबर था और आज जहाँ डी परियोजना के निर्माण हो रहा वहाँ सात दषकों पूर्व तक राजाओं द्वारा बाघों के षिकार के लिए मचान बनाये जाते एवं भैसों को बाधा जाता था। बाघों के आते ही  षिकारियों द्वारा उनका षिकार कर लिया जाता। रिहन्द जलाषय के निर्माण के बाद आयी औद्योगिक क्रांति ने पूरे क्षेत्र को प्रदूषण से भर दिया। जिससे क्षेत्र की लोगो की उम्र लगातार कम हो रहा। बुटली देवी आज तक प्रदूषण के प्रभाव से बची रही। उनकी लम्बी उम्र का राज भी यही। सरकारी उदासिनता का षिकार बुटली देवी को सरकार की तरफ से जारी वृद्धा पेंषन की धनराषि आज तक नहीं प्राप्त हो सकी। समय की मार से प्रभावित बुटली देवी को शासन प्रषासन से मदद की उम्मीद है। जिससे उनकी जिन्दगी का आखिरी समय सुकून से बीत सके। राष्ट्रीय सहारा भी ऐसी महिला के सहयोग के लिए लोगों से मदद की गुहार करता है। 

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कभी गुमनामी की जिन्दगी बसर कर रही बुटुली देवी आज ऊर्जांचल के जन-जन में चर्चा की विषय बन गयी है। गुमनाम बुटुली देवी को खोज के बाद जहाँ लोगों में उत्सुक्ता का विषय बनी वृद्धा हर दिल अजीज बन चुकी है। कुछ स्थानीय लोगों ने तो उन्हें ऊर्जांचल की माँ के नाम से सम्बोधित करना प्रारम्भ कर दिया है। वहीं उनके जानने वाले गाँव व पास-पड़ोष के लोगों ने तो उन्हें रहस्य की पोटली कहा है। 

पंकज मिश्रा
"कांग्रेसी नेता पंकज मिश्रा ने बुटुली देवी की अवस्था पर कहा कि हम केन्द्र सरकार से इस सम्बंध में अनुरोध करेगें की बयोवृद्ध बुटुली देवी को हर सम्भवद मदद एवं सुविधा मुहैया करायी जाय। जिससे अपेक्षा की शिकार वृद्धा का जीवनकाल और लम्बा हो सकें और सोनभद्र की धरती का नाम इतिहास के पन्नों में हमेषा-हमेषा के लिए दर्ज हो जाये और किसी परिचय के लिए मोहताज न होना पडे़े।" 
शक्ति आनन्द
"बुटली देवी की समाज के नजरों तक लाने में अहम भूमिका निभाने वाले शक्ति आनन्द और संजय कुमार ने मांग की है कि सोनभद्र सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में 100 बसंत देख चुके कई ऐसे वृद्ध है जो अच्छे स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में लम्बी उम्र नहीं जी पाते है। जिसकी जीता जागता सबुत बुटुली देवी है। जिनकी अवस्था 135 वर्ष है यदि उन्हें अच्छी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल जाये तो वे 150 वर्ष से अधिक जी सकती है। उन्होनंे मांग किया कि जिला प्रषासन उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं निःषुल्क उपलब्ध करायें एवं सोनभद्र में ग्रामीण क्षेत्रों ऐसे जितने भी वृद्ध हो 100 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हो उन्हें चिंहित कर सूची बद्ध किया जाय। जबकि स्वास्थ्य विभाग के ऊर्जांचल परिक्षेत्र में उदासीन रवैये के कारण कई लोग बगैर अपनी पूरी उम्र जिये ही चल बसते है। जिसके कारण आज कल 100 वर्ष की उम्र के व्यक्तियोें का मिलना लगभग नहीं सा लगता है। बुटुली देवी एक चमत्कार के रूप में ऊर्जांचल में सामने आयी है।" 
शिवशंकर तिवारी
भाठ क्षेत्र निवासी शिवशंकर तिवारी का कहना है कि भाठ क्षेत्रों में चिकित्सा के नाम विभाग द्वारा केवल कोरम पूर्ति की जाती है। जगह-जगह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तो खुले है परन्तु वहाँ मामली सी बुखार की दवाएं भी मिलना टेढ़ी खीर हो जाती है। जिसके चलते लम्बा उम्र सपना हो गयी। बुटुली देवी भाठ क्षेत्र की रहने वाली है। उनकी इतनी लम्बी अवस्था इतने दिनों तक जीवन के साथ उनके संघर्ष को बयान करता है। 
रामचन्द्र जायसवाल
ग्राम पंचायत कुलडोमरी के प्रधान पति रामचन्द्र जायसवाल का कहना कि सोनभद्र में उद्योगों के कारण प्रदूषण के बढ़ते विकराल रूप के कारण लम्बी बिमारियों की एक श्रृखला बन गयी है। जिसके चलते लोग कम उम्र में ही घातक बिमारियों के षिकार हो जा रहे है। उन्होनें मांग किया कि बुटुली देवी को शासन की ओर निःषुल्क स्वास्थ्य सेवाएं एवं हर सम्भव मदद देनी चाहिए।

जगदीष वैसवार
विश्राम वैसवार
पूर्व जिला पंचायत सदस्य जगदीष वैसवार व विश्राम वैसवार ग्राम प्रधान परासी का कहना है कि नारी दुर्गा का रूप है और सोनभद्र में बुटुली देवी इस लम्बी अवस्था में आज भी जीवन से लड़ती चली आ रही है। हम सभी क्षेत्रवासी उनकी स्वस्थ्य रहने एवं विश्व में सबसे ज्यादा उम्र जीने की कामना करते है। साथ ही क्षेत्रवासियों ने मांग किया कि शासन को सर्वें करा कर बुटुली देवी का नाम वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज कराया जाय। 

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बुटुली को देखने के लिये दिन भर लगा रहता लोगो का ताता 
बुटुली को देखने के लिये लगी लोगो  भीड़ 
अखबार में छपी खबर के बाद गुमनाम बुटुली देवी को रोज उर्जान्चल के बड़े राजनितिक दलों के नेता व सामाजिक संस्थाओं व अन्य स्थानीय जनों द्वारा देखने के लिये उनके घर पर भीड़ लगाई जाती है। वहीं दूसरी तरफ समाजसेवीयों द्वारा वृद्धा को आर्थिक सहायता दिलाने व जिला प्रशासन से उसकी जाँच कराकर राष्ट्रीय सम्मान दिलाने की मांग की जा रही है। एक तरफ जहाँ लोगों में इस वृद्ध महिला को देखने व जानने उत्सुक्ता बनी हुई है। वहीं वृद्धा हर दिल अजीज बन चुकी है। कुछ स्थानीय लोगों ने तो उन्हें ऊर्जांचल की माँ के नाम से सम्बोधित करना प्रारम्भ कर दिया है। वहीं उनके जानने वाले गाँव व पास-पड़ोस के लोगों में उनका सम्मान और भी बढ़ गया है। लोगो की मांग है कि बुटुली देवी की अवस्था पर केन्द्र सरकार से इस सम्बंध में अनुरोध करेगें की उन्हें चिकित्सा सुविधा मुहैया करायी जाय। जिससे अपेक्षा की षिकार वृद्धा का जीवनकाल और लम्बा हो सकें और सोनभद्र की धरती का नाम इतिहास के पन्नों में हमेषा-हमेषा के लिए दर्ज हो जाये और किसी परिचय के लिए मोहताज न होना पडे़े। 
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135 की उम्र में भी बुटुली खाती है कठोर खाद्य पदार्थ
गुमनामी का वनवास काट रही बुटुली देवी की लम्बी उम्र की चर्चा जन-जन में व्याप्त है। बुटुली की उम्र की प्रमाणिकता के लिए वास्तविक रूप में प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने की जरूरत है। जिससे कुलडोमरी की बुटुली का नाम पूरे विष्व में अपनी पहचान बना सके। वहीं पिपरी सोनवानी के प्रधान अर्जून भारती ने भी हर सम्भव मदद देने की बात कहीं। मूल निवासी संविदा श्रमिक के नेता राम दुलारे पनिका ने भी जानकारी के बाद मौके पर पहँुचकर हर तरह का सहयोग देने की बात कही। अखबार की खबर से प्रकाष में आयी बुटुली देवी को देखने वालों का ताता लगा है वहीं उनकी लम्बी उम्र का राज जानने की दिलचस्पी लोगों के सर चढ़ बोल रही है। लोगों के बुटुली के लम्बे उम्र का राज अपने-अपने तर्क से दे रहे कुछ ने उनकी लम्बी उम्र का राज आज तक प्रदूषण से दूर रहने को दिया जबकि कुछ इसे भगवान का वरदान मान रहें। उपस्थित भीड़ ने जब उनके दातों को सुरक्षित देखा तो उन्हें विष्वास नहीं हो रहा था कि 135 वर्षीय वृद्धा के दात आज भी सही सलामत एवं सुरक्षित है। परिवार के सदस्यों ने बताया कि बुटुली देवी चना और अन्य कठोर सामग्रियाँ खाने में सक्षम है। कुछ ने उनकी लम्बी उम्र का राज उनके दातों को दे डाला। और कहा कि जबतक लोगों के दात सुरक्षित होते है उन्हें खाने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होती है। और उनकी उम्र लम्बी होती है। 

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"ऊपर लिखे गये सभी लेख दिसम्बर, 2013 के समय के है, जब बुटली देवी के जीवित होने की दशा में यह प्रकरण ऊर्जान्चल में चर्चा का विषय बन गया था। "
नोटः-
" बुटली देवी को सर्वप्रथम ढुढ़ने व अखबार में प्रकाषित कर लोगों के सामने लाने वाले संजय कुमार व शक्ति आनन्द की जानकारी के अनुषार वर्ष 2014 में बुटली देवी की मुत्यु हो गई है और बुटली देवी का नाम इतिहास के पन्नों में कही गुम हो गया। उनका कहना है कि सरकारी उपेक्षा की षिकार होने व सही समय पर उन्हें समाज के सामने न लाने की वजह से उन्हें सबसे ज्यादा उम्र की जीवित महिला होने का सम्मान नहीं मिल सका और उनकी मुत्यु के बाद उनके लम्बे जीवन का अध्याय समाप्त हो गया है। "

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