ऊर्जांचल की लाईफ लाईन कहे जाने वाले राजमार्ग पर लोगों का ओवर लोडिंग से चलना दुश्वार हो गया है। परियोजनाओं में कोयला परिवहन या राख परिवहन में लगे वाहनों से जहाँ ओवर लोडिंग बड़े पैमाने पर जारी है। वहीं परिहवन में लगे मालवाहकों द्वारा शासन के निर्देंशों का खुला उलंघन किया जा रहा। कोयला से लदे वाहनों से ढ़क कर चलने के बजाय खुला परिवहन किया जा रहा है। वाहनों पर लदे ओवर लोड कोयला के कारण जहाँ कोयला मार्ग पर गिरकर गाडि़यों के पहिए के नीचे आ कोयला धूल बनकर राहगिरों के लिए मुसीबत साबित हो रहा है। वहीं प्रदूषण का आलम यह है कि दो पहिया वाहन एवं पैदल सवार व्यक्ति द्वारा एक किलोमीटर का सफर भी इस रोड पर करना दुश्वार हो गया है। कोयला रूपी धूल कपड़ों के साथ-साथ फेफड़ो को भी प्रभावित कर रहा है। जिसकी चपेट में आकर लोग असमय ही मौत के मुँह मे समा रहे है। प्रदूषण पर रोकथाम के लिए चलाए गये सारे अभियान आज तक असफल ही सिद्ध हुए है। जबकि कोयला परिवहन में लगे वाहन परियोजनाओं में कोयला ढुलाई के कार्य मेें युद्ध स्तर पर लगे हैै। जिसका खामियाजा ऊर्जांचल की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
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