:— व्यक्तिगत लाभ के कारण अधिकारी पडे है सुस्त।
:— 27 जनवरी से सत्याग्रह का द्वितीय चरण होगा शुरू।
उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र व मघ्य प्रदेश के जनपद सिंगरौली परिक्षेत्र जो ऊर्जा उत्पादन मे विश्व में जहॉ अद्वितीय स्थान रखता है वही दुसरी आेर नीजी व सरकारी औद्योगिक ईकाईयों की पर्यावरण के प्रति असंवेदनशीलता ने इस परिक्षेत्र को भारत का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बना दिया है। बताते है जिन जिम्मेदार संस्थाआें व अधिकारियों के जिम्मे पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय जीवन को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी, उनके हुक्मरानो ने लाखो लोगो को प्रदूषण रूपी मौत के अंधे खायी मे धकेल कर खुद व अपने परिवारजनों कों इन नीजी संस्थाआें मे अच्छे आेहदों पर नौकरियां दिलवायी है, और करोडो रूपयें अर्जित किये गये है।
केंद्रिय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिकारिक रूप से यह आकडे जारी किये गयें है कि सोनभद्र, सिंगरौली परिक्षेत्र की हवा व पानी मे देश का सर्वाधिक जहरीले तत्व मोैजूद होने के कारण यहॉ के रहवासियों मे अनेको प्रकार की गम्भीर विमारियॉं पैदा हो रही हैंै । नीजी विद्युत परियोंजनाआें के लिए अन्धा धुन्ध तरीके से लाभ अर्जित करने की परम्परा से खुले मालवाहको पर कोयले व राख के अभिवहन ने पूरे सिंगरौली व सोनभद्र को परिक्षेत्र को मौत की काल कोठरी बनाकर रख दिया है। बताते चले कि विश्व की कई जानी मानी संस्थाआें ने सोनभद्र व सिंगरौली परिक्षेत्र के पर्यावरण की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट मे स्पष्ट किया है कि वह दिन दूर नही जब तब इस परिक्षेत्र के लोग व्यापक प्रदूषण के कारण बे मौत मरेंगे।
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