:— करोड़ो के माल को कौड़िओ के दाम बेच रहा गिरोह
:— अनपरा तापीय परियोजना व एनसीएल बना कबाड़ चोरो का मुफिद स्थान
ऊर्जांचल में सक्रिय संगठित कबाड़ चोरों के निशाने पर औद्योगिक इकाईयां सदैव से रही है। सक्रिय कबाड़ चोरों के कारण औद्योगिक संस्थानों में चोरी की घटनाएं आम हो चली है। गिरोह चोरी के दौरान किसी भी हद तक पहुच कबाड़ चोरी की घटनाआें को अंजाम देते रहे है। बावजूद प्रशासन की आेर से कबाड़ चोरी पर लगाम लगाने के लिए कभी कठोर कदम नहीं उठाये गये। जिसके कारण कबाड़ चोरो का मनोबल निरंतर बढ़ता जा रहा है। अब तो स्थिति बद से बद्तर हो चली है, जहां कबाड़ चोरों के आतंक से सुरक्षा में तैनात जवान भी खौफ खाता है। एेसे में परियोजनाआें की सुरक्षा भी राम भरोषे चल रही है।
ऊर्जांचल में स्थित लगभग एक दर्जन एनसीएल की खुली खदाने चोरों के लिए महेशा से मुफिद स्थान रही है। जहां खदानों में घुसने व निकलने पर किसी प्रकार की रोक टोक नहीं है, साथ ही दो राज्यों की सीमा पर स्थित ये खदाने चोरों के छुपने व चोरी किये गये माल को ठिकाने लगाने का अवसर प्रदान करती है। एनसीएल के लगभग सभी खदानों में कबाड़ चोरी की घटनाएं होती ही रहती है। कबाड़ चोरी के दौरान जिन सुरक्षा कर्मियों ने विरोध किया इसका खामियाजा उनको अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। सुरक्षा कर्मियों पर हमले की घटनाएं तो अनगिनत बार हो चली है। इसी खौफ के कारण सुरक्षा कर्मी भी कबाड़ चोरी के दौरान बोलने व विरोध करने से कतराते है। दर्जनों की संख्या में असलहों व अन्य धारदार हथियारों के साथ कबाड़ चोरी करने पहुच रहे चोर बिना किसी की परवाह किये अपने कर्तुतों को नित्य अंजाम दे रहे है। साल दर साल खुखार होते कबाड़ चोर क्षेत्र की प्रमुख समस्याआें में सुमार हो चले है। जिनके खौफ से शासन—प्रशासन भी टकराने की हिम्मत नहीं रखता। प्रशासन की आेर से गिरोह को नेस्तनाबूद करने के लिए कभी कठोर कदम नहीं उठाये गये। जिसका निताजा रहा कि क्षेत्र में संगठित कबाड़ चोर दिन दूना रात चौगुना गति से सक्रिय हुए, और परियोजनाआें के महंगे कलपूर्जों को चोरी कर कौडिय़ों के दाम बेच रहे है। जिसका असर कहीं न कहीं उत्पादन पर पड़ता रहा है। वहीं अनपरा तापीय परियोजना के चावल मंडी के पास कबाडिय़ों को परियोजना में आने—जाने की खुली छुट दे रखी है। कबाड़ चोर परियोजना में आसानी से प्रवेश कर किमती सामानों पर हाथसाफ कर रहे है। बाजार में स्थित परियोजना की दिवार के रास्ते खुले होने के कारण पावर हाऊस में आसानी से घुस बड़ी वारदात को अंजाम दे सक ते है।
दूसरी आेर प्रशासन दो प्रदेश की सीमा का हवाला देकर कार्यवाही से बचता रहा है। कबाड़ चोरों पर कार्यवाही के लिए परियोजना की सुरक्षा विभाग थाने चौकियों में प्रार्थना पत्र पर मोहर लगवाकर अक्सर अपना काम निकाल लेते है, ताकि विभागीय कार्यवाही से बचा सकें। वहीं बीजपुर, शक्तिनगर, अनपरा, जयंत, मोरवा, बैढऩ, विन्ध्यनगर आदि थानों में कबाड़ चोरी की दर्जनों घटनाएं हुई परन्तु मामले पर इक्का—दुक्का ही प्राथमिकी दर्ज प्रशासन द्वारा की जा सकी। दूसरी आेर ककरी, बीना, कृष्णशीला, खडिय़ा, झिगुरदह, निगाही, गोरबी, जयंत, दुद्धीचुआं, रेनुपावर, अनपरा तापीय परियोजना व एनटीपीसी परियोजना में घुस कर कई बार कबाडिय़ों ने चोरी को अंजाम दिया पर मामला दर्ज कराने के सवाल पर परियोजना प्रबंधन भी चुप्पी साध लेते है। जब इस बाबत जब सवाल पुछे गये कि कबाड़ चोरी के मामले में परियोजना स्तर से कितने मामले दर्ज कराये गये तो उनका जबाब था, इस मामले में प्रशासन ही बता पायेगी कि कितने मामले दर्ज किये गये। वहीं टेलिफोन व बिजली विभाग की चोरी गये केबल के मामले दजर्नों मुकदमा दर्ज कराया गया। परन्तु मामले पर आज तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हो सकी। जिससे कबाड़ चोरों का मनोबल बढ़ता जा रहा है।
टेलिफोन केबल काट ले गये कबाड़ चोर, कार्य रहे बाधित
स्थानीय थाना क्षेत्र के अनपरा बाजार स्थित रेलवे पुलिया के पास से कबाड़ चोरों ने लगभग 25 मीटर टेलिफोन का तार काट ले गये। जिससे अनपरा बाजार के सैकड़ो टेलिफोन व ब्रांड बैन डब्बा बन कर रहे गये। गुरूवार की देर रात्री रेनूसागर दूरभाष केन्द्र से अनपरा बाजार को जाने वाली केबल को चोरों ने काट लिया। जिससे जिला सहकारी बैक, त्रिवेणी ग्रामीण बैक, एलआईसी आफिस के अलावा व्यवसायीक कार्य पूरी तरह ठप रहे। टेलिफोन विभाग के एसडीआे डीके उपाध्याय ने बताया केबल चोरी होने से लगभग 15 टेलिफोन व ब्रांड बैंड पुरी तरह प्रभावित रहे। केबल चोरी होने की जानकारी स्थानीय थाने को दी गयी व कर्मचारियों को मरम्मत कार्य में लगा दिया गया है। उन्होनें बताया टेलिफोन केबिल में नाम मात्र ही कॉपर होता है। फिर भी कबाड़ चोर कॉपर केबल समझकर काट ले गये।
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