रविवार, 31 अगस्त 2014

अवैध खननः इस हमाम में सभी नंगे हैं...


by Shiv Das Prajapati


सोनभद्र के खनिज विभाग की ओर से सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत मुहैया कराई गई जानकारी पर गौर करें तो यहां डोलो स्टोन, सैंड स्टोन, बालू और मोरम के खनन और स्टोन क्रशर प्लांटों के संचालन ( हालांकि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, उच्चतम न्यायालय, उत्तर प्रदेश वन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की विभिन्न जांच रिपोर्टों में अवैध खनन, अवैध परिवहन और स्टोन क्रशर प्लांटों के अवैध संचालन की कई बार पुष्टि हो चुकी है ) के गोरखधंधे में राज्य की सत्ता में काबिज समाजवादी पार्टी (सपा), मुख्य विपक्षी पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा), अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई वर्तमान विधायकों और सांसदों के साथ-साथ अनेक राजनेता और आपराधिक छवि के लोग शामिल हैं।

तत्कालीन जिला खान अधिकारी एस.के. सिंह द्वारा 8 अक्टूबर, 2013 को इस संवाददाता को उपलब्ध कराई गई जानकारी पर विश्वास करें तो उत्तर सरकार को खनन से हर साल 27,198 करोड़ रुपये का राजस्व देने वाले सोनभद्र में कुल डोलो स्टोन के 101, सैंड स्टोन के 86 और बालू/मोरम के 13 खनन पट्टे स्वीकृत हैं। हालांकि भौतिक स्तर पर इन खनन पट्टों की संख्या एक हजार के करीब है। शासन द्वारा स्वीकृत खनन पट्टों में कई पट्टे राजनेताओं, पत्रकारों और उनके रिश्तेदारों के हैं।

घोरावल विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक और सपा नेता रमेश चंद्र दूबे की कंपनी श्री रमेश चंद्र एण्ड कंपनी के नाम से बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में अराजी संख्या-7573 की 1.5 एकड़ भूमि पर डोलो स्टोन का खनन पट्टा है। वह इस भूमि पर 19 सितंबर, 2006 से खनन कर रहे हैं। शासन ने उन्हें 17 सितंबर, 2016 तक इस भूमि पर खनन करने की छूट दे रखी है। हालांकि उन्होंने इस भूमि पर अबतक कितना खनन किया है और वह निर्धारित मानक से ज्यादा है या कम, यह जिला प्रशासन को पता नहीं है। इसके अलावा सपा विधायक रमेश चंद्र दूबे की पत्नी श्रीमती अंजना दूबे के नाम से सुकृत खनन क्षेत्र में अराजी संख्या-310/4 की 6.20 एकड़ भूमि पर सैंड स्टोन का खनन पट्टा है। इसकी वैधता 30 अगस्त, 2008 से 29 अगस्त, 2018 तक है। वहीं घोरावल विधायक रमेश चंद्र दूबे के भाई श्री राजन दूबे की पत्नी करुणा दूबे के नाम से सुकृत खनन क्षेत्र में ही अराजी संख्या-312मि. की 3.72 एकड़ भूमि पर सैंड स्टोन का खनन पट्टा है। इसकी वैधता भी अंजना दूबे के खनन पट्टे की अवधि के बराबर है।

सपा नेता और उत्तर प्रदेश समाजवादी व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव रमेश चंद्र वैश्य के फर्म मे. रबिशा स्टोन प्रोडक्ट के नाम से बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में अराजी संख्या-4920, 4921, 4922 और 4924 की कुल भूमि 1.75 एकड़ पर डोलो स्टोन का खनन पट्टा आबंटित है। श्री वैश्य की कंपनी इस भूमि पर 4 जनवरी, 2007 से खनन का काम कर रही है जो 3 जनवरी, 2017 तक करती रहेगी। हालांकि इस कंपनी ने जमीनी स्तर पर कितना खनन और परिवहन किया है, इसकी जानकारी विभाग के पास मौजूद नहीं है। इसके अलावा श्री वैश्य की पत्नी श्रीमती बिन्दो देवी के नाम से रजिस्टर्ड फर्म मे. शिवम स्टोन प्रोडक्ट बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में अराजी संख्या-4949ख की 2.0 एकड़ भूमि पर 13 दिसंबर, 2010 से डोलो स्टोन का खनन एवं परिवहन कर रही है। शासन की ओर से उसे 12 दिसंबर, 2020 तक खनन करने का लाइसेंस मिला हुआ है। अगर जमीनी स्तर पर उक्त भूमि पर हुए डोलो स्टोन के खनन और उसके परिवहन के लिए जारी एमएम-11 परमिट पर हुए निकासी के मामलों की जांच की जाए तो इनमें भारी अनियमितताएं मिलेंगी।

सपा नेता और चोपन नगर पंचायत के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद के नाम से बर्दिया खनन क्षेत्र में अराजी संख्या-902, 903 और 941क की कुल 1.58 एकड़ भूमि पर मीरजापुर जनपद के चौकिया गांव निवासी अलगू सिंह के पुत्र अवधेश सिंह और वाराणसी जनपद के पांडेयपुर निवासी श्रीमती केशमनी देवी के साथ 13 दिसंबर, 2010 से डोलो स्टोन का खनन और परिवहन कर रहे हैं। इन सभी लोगों को 12 दिसंबर, 2020 तक उक्त भूमि पर खनन करने का अधिकार है। इसके अलावा सपा नेता इम्तियाज अहमद के भाई उष्मान अली के नाम से बर्दिया खनन क्षेत्र में ही अराजी संख्या-878क की 1.30 भूमि पर डोलो स्टोन के खनन पट्टा आबंटित है। उन्हें यह खनन पट्टा भी उक्त खनन पट्टे की अवधि के बराबर की अवधि तक के लिए मिला है। वहीं बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में ही अराजी संख्या-7364ख, 7365 और 7366 की 3 एकड़ भूमि पर चोपन नगर पंचायत अध्यक्ष अन्य लोगों के साथ मिलकर खनन कर रहे हैं। इसकी अवधि भी उपरोक्त अवधि के बराबर ही है। 

बलिया के रसड़ा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक और बसपा नेता उमाशंकर सिंह की कंपनी सी.एस. इंफ्राकंस्ट्रक्शन लिमिटेड (छात्र शक्ति इंफ्राकंस्ट्रक्शन लिमिटेड) बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र के अराजी संख्या-6229ख की 1.50 एकड़ भूमि पर 13 मार्च, 2010 से डोलो स्टोन का खनन कर रही है। उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने रसड़ा विधायक की कंपनी को 12 मार्च, 2020 तक डोलो स्टोन के खनन और उसके परिवहन का अधिकार दे रखा है। इसके अलावा बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में ही अराजी संख्या-4478छ की 2.50 एकड़ भूमि पर विधायक उमाशंकर सिंह के नाम से डोलो स्टोन का एक अन्य खनन पट्टा है। इस खनन पट्टे की अवधि भी उक्त खनन पट्टे की अवधि के बराबर है। गौर करने वाली बात यह है कि बसपा विधायक उमाशंकर सिंह की कंपनी छात्र शक्ति इंफ्राकंस्ट्रक्शन लिमिटेड कंपनी ने बहुजन समाज पार्टी की पिछली सरकार में सोनभद्र में लोक निर्माण विभाग से होने वाले अधिकतर सड़क निर्माण के कार्य को अंजाम दिया है लेकिन वे सभी सड़क मार्ग बनने के दौरान ही उखड़ने लगे थे। ये बातें जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में भी सामने आ चुकी हैं।

बसपा नेता और राबर्ट्सगंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व विधायक सत्यनारायण जैसल की पत्नी श्रीमती मीरा जैसल सुकृत खनन क्षेत्र में अराजी संख्या-282मि. की 4.00 एकड़ भूमि पर 6 अगस्त, 2010 से सैंड स्टोन का खनन करवा रही हैं। बहुजन समाज पार्टी की पिछली सरकार ने उन्हें 5 अगस्त, 2020 तक इस भूमि पर खनन करने का अधिकार दे रखा है। हालांकि वहां खनन के दौरान सुरक्षा मानकों की जमकर अनदेखी की जा रही है। इतना ही नहीं एमएम-11 परमिट जारी करने की तुलना में खनन का दायरा बहुत ही कम है। हालांकि इसकी सही जानकारी जिला प्रशासन के पास भी नहीं है।

बसपा नेता और मिर्जापुर-भदोही लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व सांसद नरेंद्र कुशवाहा की पत्नी श्रीमती मालती देवी कोटा खनन क्षेत्र में सोन नदी से लगे अराजी संख्या-3984ग और 3984घ की 1.50 एकड़ भूमि पर बालू का खनन 23 जुलाई, 2011 से खनन करवा रही हैं। बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने उन्हें 22 जुलाई, 2014 तक बालू खनन और उसके परिवहन का लाइसेंस दे रखा है लेकिन सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर कोई ध्यान नहीं दिया। वर्तमान समाजवादी पार्टी की सरकार भी वैसा ही कर रही है। बता दें कि नरेंद्र कुशवाहा वेबसाइट ‘कोबरा पोस्ट.कॉम’ और हिंदी न्यूज चैनल ‘आज तक’ के संयुक्त स्टिंग ऑपरेशन ‘कैश फॉर क्वैरी’ में आरोपी हैं, जिसमें सांसदों द्वारा नोट लेकर प्रश्न पूछने का मामला सामने आया था।

इनके अलावा बसपा नेता और राजगढ़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व विधायक अनिल मौर्या के भतीजे संजीव कुमार मौर्या के नाम से सिंदुरिया खनन क्षेत्र में अराजी संख्या-240 के 1.30 हेक्टेयर भूमि पर बिल्ली-मारकुंडी निवासी श्रीमती बरमावती देवी के साथ डोलो स्टोन का खनन पट्टा है। वे इस पर 31 अक्टूबर, 2011 से खनन और उसके अवयवों का परिवहन कर रहे हैं। इस भूमि पर खनन की स्वीकृति 24 अक्टूबर, 2021 तक है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य राहुल श्रीवास्तव की पत्नी श्रीमती निरंजना श्रीवास्तव बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में अराजी संख्या-4478छ की 1.78 एकड़ भूमि पर 4 अक्टूबर, 2011 से डोलो स्टोन का खनन और उसके अवयवों का परिवहन करवा रही हैं। राज्य सरकार की ओर से उन्हें 3 अक्टूबर, 2021 तक ऐसा करने का अधिकार मिला हुआ है। श्रीमती श्रीवास्तव पूर्व में हिंदी दैनिक ‘स्वतंत्र भारत’ से मान्यता प्राप्त पत्रकार रह चुकी हैं। उनके पति राहुल श्रीवास्तव भी हिंदी दैनिक ‘हिंदुस्तान’ से मान्यता प्राप्त पत्रकार रह चुके हैं। वर्तमान में वह हिंदी दैनिक ‘जन संदेश टाइम्स’ के सोनभद्र ब्यूरो प्रमुख हैं। बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में श्रीवास्तव परिवार का स्टोन क्रशर प्लांट भी संचालित होता है।

खनन के क्षेत्र में लिप्त अन्य पत्रकारों की बात करें तो इस सूची में कई प्रतिष्ठित अखबारों के प्रतिनिधि शामिल हैं। ‘दैनिक जागरण’ समाचार-पत्र के पूर्व ओबरा प्रतिनिधि बशीर बेग ( अब देहांत हो चुका है) के नाम से बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में साबिक अराजी संख्या-1966 और हाल अराजी संख्या-4478छ की कुल 7.55 एकड़ भूमि पर डोलो स्टोन का खनन पट्टा 17 फरवरी, 2011 से 16 फरवरी, 2021 तक आबंटित है। स्व. बशीर बेग के बेटे दारा शिकोह का गैर-सरकारी संगठन मे. दारा सेवा समिति बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में ही अराजी संख्या-7577क की 1.70 एकड़ भूमि पर 17 मई, 2007 से डोलो स्टोन का खनन कर रहा है। यह संगठन 16 मई, 2017 तक उक्त भूमि पर खनन के कार्य को अंजाम दे सकता है। इसके अलावा स्व. बशीर बेग के भाई जावेद बेग का फर्म ‘दारा स्टोन वर्क्स’ बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में अराजी संख्या-1950 की 0.31 एकड़ भूमि पर डोलो स्टोन का खनन और परिवहन कर रहा है। इस खनन पट्टे का विस्तार 29 अक्टूबर, 2008 को हुआ जो इस साल की 5 नवंबर तक मान्य है। अगर इस खनन पट्टे के नाम पर जारी एमएम-11 परमिट के आयतन की गणना की जाए तो वह आबंटित खनन पट्टे के रकबे से कहीं ज्यादा होगी जो गैर-कानूनी है। इनके अलावा अन्य कई खनन पट्टा धारक हैं जो प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों के प्रतिनिधि बनकर इलाके में खनन के धंधे को अवैध रूप से अंजाम देते हैं।

मूल लेख स्त्रोत:-
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अवैध खनन के सियासी दांव में दुर्गा से पहले भी पीस चुके हैं कई आईएएस अधिकारी

by Shiv Das Prajapati
गौतमबुद्धनगर की उप जिलाधिकारी (सदर) दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन के पीछे राज्य की अखिलेश सरकार निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार को ढहाने और उससे सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने का तर्क भले ही दे रही हो लेकिन सूबे में धड़ल्ले से संचालित हो रहे अवैध खनन के मामले में उसकी पिछली कारगुजारियों को देखकर ऐसा नहीं लगता। विधायकों, राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों और पत्रकारों सरीखे सफेदपोशों के खनन पट्टों और इसकी आड़ में अवैध खनन को अंजाम दे रहे खनन माफियाओं के दबाव में सूबे की सरकार पूर्व में कई ईमानदार अधिकारियों का तबादला और निलंबन कर चुकी है। उन अधिकारियों की गलति केवल इतनी थी कि वे सूबे के विभिन्न खनन-क्षेत्रों में धड़ल्ले से चल रहे अवैध खनन पर अंकुश लगाने और इसके लिए जिम्मेदार सफेदपोशों एवं खनन माफियाओं को कानून के कटघरे में लाने की कोशिश कर रहे थे। ऐसे ही ईमानदार अधिकारियों की सूची में शामिल हैं आईएएस अधिकारी सुहाष एल. वाई और उनकी पत्नी ऋतु सुहाष जो सूबे के सफेदपोश खनन माफियाओं और सत्ता के गलियारे में काबिज नुमाइंदों की सांठगांठ का शिकार पिछले साल हुए। 

ये दोनों अधिकारी उस समय सूबे के राजकोष में हर साल 10 अरब से ज्यादा का राजस्व देने वाले सोनभद्र जनपद में तैनात थे। उस समय सुहाष एल वाई वहां जिलाधिकारी के पद पर और उनकी पत्नी ऋतु सुहाष डिप्टी कलेक्टर के पद पर तैनात थे। उन्होंने अपनी तैनाती के साथ ही डोलो स्टोन, सैंड स्टोन, बालू, मोरम, बजरी और लाइम स्टोन आदि खनिज पदार्थों का अवैध खनन कर बिल्ली-मारकुंडी और सुकृत खनन क्षेत्र में मौत का कुआं (पत्थर की खदानों) तैयार करने वाले खनन माफियाओं और सफेदपोशों के खिलाफ कड़ा अभियान छेड़ दिया। इससे खनन माफियाओं और सफेदपोशों से लेकर सत्ता के गलियारे में बैठे उनके आकाओं में हड़कंप मच गया और वे अपनी गर्दन फंसता देख सूबे की अखिलेश सरकार पर दबाव बनाने लगे। उनके इस डर के पीछे एक वाजिब वजह भी थी जो उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा सकती थी। उसी साल 27 फरवरी को बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में शारदा मंदिर के पीछे स्थित अराजी संख्या-4452 और वन विभाग की जमीन पर हुए अवैध खनन की वजह से एक पहाड़ी धंस गई थी और 10 मजदूरों की मौत हो गई थी। राजस्व अभिलेखों में अराजी संख्या-4452 बिल्ली निवासी इंद्रजीत मल्होत्रा और हंसराज सिंह आदि के नाम से दर्ज है। खनन माफियाओं ने इसके पास के अराजी संख्या-4471 की 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर भी अवैध खनन किया था जिसमें 6 हेक्टेयर सुरक्षित वन भूमि भी शामिल थी। 

इस हादसे को लेकर स्थानीय नागरिकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के दबाव में आकर तत्कालीन जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत ने मुख्य विकास अधिकारी, सोनभद्र की अध्यक्षता में मजिस्ट्रीयल जांच गठित कर दी। साथ ही शासन स्तर पर सोनभद्र में खनन पर रोक लगा दी गई और जिले में अवैध खनन की जांच शुरू हो गई। इन दोनों कदमों ने सफेदपोश खनन माफियाओं और उनके आकाओं को सकते में ला दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर दबाव बनाकर 30 मार्च को विजय विश्वास पंत का तबालदला करा दिया। उनके तबादले के 52 दिनों बाद सोनभद्र के जिलाधिकारी पद पर आईएएस अधिकारी सुहाष एल वाई और डिप्टी कलेक्टर के पद पर उनकी पत्नी ऋतु सुहाष की तैनाती हुई। दोनों अधिकारियों ने अपनी नियुक्ति के साथ जिले में छापेमारी अभियान शुरू कर दिया। इससे अवैध खनन माफियाओं और लकड़ी तस्करों के साथ-साथ उनके सफेदपोश आकाओं और नौकरशाहों की नींदे उड़ गईं। 

अवैध खनन और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी सुहाष एल. वाई. द्वारा 31 अगस्त, 2013 को ओबरा वन प्रभाग के प्रभारी वनाधिकारी, कैमूर वन्यजीव वन प्रभाग, मिर्जापुर के प्रभागीय वनाधिकारी, जिला खान अधिकारी और अपर जिलाधिकारी को दिए गए लिखित दिशा-निर्देश से राजनेताओं, खनन माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कंप मच गया। जिलाधिकारी सुहाष एल वाई ने अराजी संख्या-4471 में सुरक्षित वन भूमि पर हुए अवैध खनन के मामले में एफआईआर दर्ज कराने, इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ दंडनात्मक कार्रवाई करने और इससे हुई राजस्व क्षति को वसूलने का आदेश दिया। 

तत्कालीन जिलाधिकारी के इस कदम ने सफेदपोश खनन माफियाओं के होश उड़ा दिए। उन्होंने सुहाष एल वाई का तबादला कराने के लिए विपक्षी नेताओं के साथ गोलबंदी शुरू की और पंचम तल में विराजमान सोनभद्र के पूर्व जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री के विशेष सचिव पनधारी यादव की मदद से चार महीने बाद उन्हें मुख्यालय से संबद्ध करा दिया। हालांकि बाद में उन्हें जौनपुर के जिलाधिकारी का पद मिल गया। 100 दिनों (तीन महीने से ज्यादा) तक सोनभद्र के जिलाधिकारी पद पर पूर्णकालिक जिलाधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई। बाद में ऋतु सुहाष का भी तबादला हो गया। इसका नतीजा यह रहा कि वहां एक बार फिर अवैध खनन का कारोबार शुरू हो गया और पिछले साल की 27 फरवरी को हुए हादसे के लिए जिम्मेदार सफेदपोश खनन माफियाओं का चेहरा आजतक उजागर नहीं हो पाया। मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित मजिस्ट्रीयल जांच भी अभी पूरी नहीं हो पाई है और ना ही हादसे में मरने वाले 10 मजदूरों के परिजनों को मुआवजा और न्याय मिल पाया है।

इलाहाबाद के आयुक्त हिमांशु कुमार का दबादला दो दिनों के अंदर किया जाना भी राज्य की अखिलेश सरकार पर सवाल खड़े करती है। हिमांशु कुमार ने अपनी तैनाती के साथ ही क्षेत्र में अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई का अभियान छेड़ दिया। इससे भयभीत राजनेताओं के दबाव ने सपा सरकार ने दो दिनों के अंदर ही उनका तबादला अन्यत्र कर दिया था।

अवैध खनन और इस धंधे में लिप्त सफेदपोशों और राजनेताओं का दबदबा सूबे की अखिलेश सरकार में भी वैसे है, जैसे पूर्ववर्ती बहुजन समाज पार्टी की सरकार में देखने को मिली थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव के समय जनता के हितों की रक्षा की दुहाई देने वाली विभिन्न राजनीतिक पार्टियां, खासकर, भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की रक्षा के लिए किस कदर तक पूंजीपतियों के दबाव का सामना कर सकती हैं।

मूल लेख स्त्रोत:-

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गुरुवार, 28 अगस्त 2014

औड़ी ग्राम पंचायत में शामिल है पूरा परियोजना क्षेत्र

  • अनपरा ग्राम पंचायत का नया परिसीमन होगा
  • आरटीआई कार्यकर्ता को भेजी गई सूचना से हुआ खुलासा
  • एसडीएम दुद्धी ने डीएम और डीपीआरओ को भेजा पत्र
  • डीपीआरओ स्तर से भी शुरू की गई नए सिरे से कवायद


शक्ति आनंद 
अनपरा परियोजना भले ही अनपरा गांव की जमीन पर हो लेकिन इसका आवासीय क्षेत्र औड़ी ग्राम पंचायत पर स्थित है। यह खुलासा आरटीआई से हुआ है। इसके आधार पर आवासीय क्षेत्र के हिस्से को अनपरा ग्राम पंचायत की एरिया से अलग कर औड़ी में शामिल करने को लेकर कवायद शुरू हो गई है। एसडीएम दुद्धी अभय पांडेय ने इस जानकारी को दृष्टिगत रखते हुए जहां डीएम और डीपीआरओ को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया है। वहीं डीपीआरओ एमपी द्विवेदी ने भी इसके आधार पर औड़ी और अनपरा ग्राम पंचायत का नए सिरे से परिसीमन को लेकर पहल शुरू कर दी है।

अमर उजाला में प्रकाशित खबर 
अनपरा परियोजना क्षेत्र का आवासीय परिसर में जिसमें परियोजना का गेस्ट हाउस, पार्क, सीआईएसएफ खेल मैदान सहित कई स्कूल स्थापित हैं, की एरिया अब तक अनपरा ग्राम पंचायत में मानी जाती है। यहां के लोग ग्राम पंचायत के चुनाव में वोट भी अनपरा के प्रधान एवं सदस्यों के चयन के लिए करते हैं, लेकिन औड़ी ग्राम पंचायत के सदस्य शक्ति आनंद के हाथ आरटीआई से लगी जानकारी से यहां का समीकरण अचानक बदल गया है।। परियोजना के अधिशासी अभियंता एसके हिरोदय की ओर से दी गई सूचना में कहा गया कि आवासीय परिसर स्थित समस्त आवासीय भवन औड़ी के परिक्षेत्र में स्थापित हैं। इसके आधार पर शक्ति आनंद ने एसडीएम के यहां हस्तक्षेप की गुहार लगाई। गत 23 सितंबर को डीएम, डीपीआरओ और बीडीओ को भेजे पत्र में एसडीएम ने प्रकरण में सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया है। वहीं डीपीआरओ एमपी द्विवेदी ने पत्र प्राप्ति की बात स्वीकारते हुए कहा कि यह मसला परिसीमन का है। इसी आधार पर अनपरा और औड़ी दोनों ग्राम पंचायतों का नए सिरे से परिसीमन किया जाएगा। उधर, चोपन ब्लाक के ग्राम पंचायत कोटा में शामिल डाला को अलग ग्राम पंचायत बनाने की मांग शुरू हो गई है। गुरुवार को राष्ट्रीय युवा, छात्र, महिला एवं मजदूर समिति की ओर से डीएम को ज्ञापन देकर यह मांग की। अध्यक्ष अंजनी एवं उपाध्यक्ष विनोद ने बताया कि कोटा ग्राम पंचायत बड़ी ग्राम पंचायत है।
औड़ी में हैं सामुदायिक-आवासीय भवन
" शक्ति आनंद, ग्राम पंचायत सदस्य-औड़ी को आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक टाइम प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ/एस टाइप, पंचम टाइम के साथ जी टाइप के आवास औड़ी में हैं। इसके अलावा परियोजना प्रेक्षागृह, अधिकारी मनोरंजन केंद्र, मिनिस्ट्रियल मनोरंजन केंद्र, आपरेटिंग मनोरंजन केंद्र (पुराना), कोआपरेटिव भवन, सेंट फ्रांसिस सीनियर सेकेंड्री स्कूल, बालिका जूनियर हाईस्कूल, विद्युत परिषद बेसिक प्राइमरी स्कूल, इस्लामिया जूनियर हाईस्कूल, बेसिक प्राइमरी पाठशाला, औराडांड़ द्वितीय, गैस गोदाम, अंबेडकर भवन एवं मैदान, बस स्टेशन, दूरभाष केंद्र, आर्य समाज मंदिर एवं सीआईएसएफ खेल मैदान को औड़ी में शामिल बताया गया है ।"
 शक्ति आनंद, ग्राम पंचायत सदस्य द्वरा भेजी गई आपत्ति देखे

गुरुवार, 14 अगस्त 2014

प्रदूषण के मामले में हाई कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं कर रहा लैंको

:— अनपरा के ग्रामीण का लैंको पर कभी फुट सकता है गुस्सा 

कुछ इस कदर उड़ाया जा रहा है लैंको से कोयले व राख की धुल।
बिजली परियोजनाआें में रोजाना जलने वाले हजारों टन कोयला से जहां देश रोशन हो रहा है वहीं बिजली परियोजनाआें द्वारा फैलाये जा रहे अंधाधुन कोयले का चूर्ण व राख मानव जीवन के लिए अभिषाप बनने लगा है। प्रदूषण की मार से प्रभावित ग्रामीण समस्याआें के रोकथाम के लिए आलाधिकारियों के पास चक्कर काटने को मजबूर है। बावजूद प्रदूषण पर रोक की पहल नहीं हो पा रही है। प्रदूषण की मार से प्रभावित ग्रामीण अब हाई कोर्ट के बाद सर्वोंच्च न्यायालय के दरवाजे पर दस्तक देकर निजात के लिए गुहार लगायेगें। 

कुछ इस कदर उड़ाया जा रहा है लैंको से कोयले व राख की धुल।
दशकों पूर्व निर्मित हुई अनपरा तापीय परियोजना की अ व ब इकाई से विद्युत उत्पादन जहां बड़े पैमाने पर किया जा रहा है वहीं प्रदूषण के मामले में अन्य परियोजनाआें से बेहतर शाबित हो रही है। जिससे आस-पास के ग्रामीणों द्वारा कभी विरोध भी नहीं झेलना पड़ा लेकिन कुछ ही वर्ष पूर्व निर्मित लैंको परियोजना ने प्रदूषण फैलाने के मामले में सभी को पिछे छोड़ दिया है। रेल परिवहन के द्वारा परियोजना में जब कोयला अनलोडिंग किया जाता है तो उससे उडऩे वाली कोयले की राख पूरे वातावरण में बादल की तरह छा जाती है जिससे परियोजना के पास स्थित अनपरा गांव व अनपरा बाजार कोयले के इस बादल में कहीं गुम सा हो जा रहे है। परियोजना द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण से प्रभावित ग्रामीण व व्यवसायी जहरीले वातावरण में रहने को बाध्य है। लैंको द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण से प्रभावित विद्युत संविदा मजदूर संघ के जिला मंत्री सतीश सिंह एवं प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, मोतीचन्द यादव द्वारा उच्चतम न्यायालय मे जनहित याचिका दायर किया था जिस पर सुनवाई करते हुए उच्च्तम न्यायालय ने प्रदूषण के रोक थाम क े लिए अध्यक्ष व सचिव उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लखनऊ को आदेश भी दिया था लेकिन चार माह बित जाने के बाद भी न तो परियोजना द्वारा सार्थक पहल की गयी नहीं ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गम्भीरता दिखायी। जिससे अनपरा गांव के ग्रामीणो व व्यवसायी में काफी आक्रोश व्याप्त है। सैकड़ो लोग पलायन के लिए मजबूर हो रहे है। 

सत्याग्रह आन्दोलन 
वहीं इस मामले को लेकर ऊर्जांचल में सत्याग्रह आन्दोलन क रने वाले गैर सरकारी संगठन सहयोग के सचिव पंकज मिश्रा ने पूरे मामले को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन व वन्य पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार को रिर्पोंट सौपकर देश के दूसरे सबसे प्रदूषित जगह होने की जानकारी तथ्यों के साथ दी। अनपरा गांव निवासी सुदर्शन सिंह, इन्द्रजीत सिंह, जलील हासमी, मनोज कुमार ङ्क्षसह, सुभाष यादव व अवधेश यादव ने परियोजना द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण पर गम्भीरता से कदम उठाये जाने की मांग है। साथ ही कहा कि परियोजना द्वारा प्रदूषण पर रोक के लिए सार्थक कदम नहीं उठाये गये तो ग्रामीण लमबंद होकर लैंको परियोजना के मुख्य द्वार पर विरोध प्रदर्शन करेगें।

पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित वैधानिक संस्थाआें के मानकों पर खरी उतरी है एनसीएल

:— वैधानिक संस्थाआें को लगातार सौपी जाती है रिपोर्ट
:— कंपनी में तय मानकों से काफी कम है वायु एवं जल प्रदूषण
:— कंपनी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए अनगिनत कदम

पर्यावरण संरक्षण एवं पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) की अथक कोशिश लगातार जारी है। पर्यावरण प्रदूषण पर पैनी नजर रखने वाली वैधानिक संस्थाआें द्वारा वायु एवं जल प्रदूषण के मामलों में तय मानकों पर कंपनी खरी उतरी है, जो इस दिशा में कंपनी की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एनसीएल की मुहिम को लेकर फैल रही सार्वजनिक भ्रांतिआें के मद्देनजर कंपनी का यह पक्ष सार्वजनिक हित में बेहद अहम है।

कंपनी को यूपी एवं एमपी में स्थित परियोजनाआें में कोयला खनन करने के लिए संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति हासिल है तथा संबंधित प्रदूषण बोर्ड द्वारा रिपोर्ट कार्ड के आधार पर इस अनुमति का समय समय पर नवीनीकरण किया जाता रहा है। कंपनी की परियोजनाआें द्वारा वायु एवं जल के गुणवत्ता के बाबत सतत् निगरानी के तहत पाक्षिक आधार पर जल एवं वायु का विश्लेषण केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिकृत लैब से कराया जाता है एवं उसकी तिमाही रिपोर्ट राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी जाती है, जिस पर बोर्ड ने किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई है। गौरतलब है कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा तय मानकों को दृष्टिगत रखते हुए सीएमपीडीआई द्वारा पाक्षिक आधार पर वायु एवं जल की गुणवत्ता की जांच एवं निगरानी की जाती है। यह जानकारी बेहद अहम है कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण जांच एवं निगरानी के लिए अधिकृत संस्थाआें में सीएमपीडीआई का नाम भी शामिल है।

सीएमपीडीआई द्वारा एनसीएल की विभिन्न परियोजनाआें के लिए जारी अक्टूबर-दिसंबर 2१३ की तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक, परियोजनाआें द्वारा वायु की गुणवत्ता मापने के संदर्भ में एसपीएम 234-39५ माइको ग्राम प्रतिमीटर क्यूब थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट (अनुमेय सीमा) 60 है। वायु की गुणवत्ता से ही संबंधित आरपीएम 10-17३ माइको ग्राम प्रति मीटर क्यूब थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट 30 है। इसी तरह, अप्रैल 2१३ से मार्च 2१४ की अवधि में जल की गुणवत्ता आंकने से संबंधित टीएसएस 28-36 पीपीएम थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट 10 पीपीएम है। ऑयल एवं ग्रीस के संदर्भ में इस अवधि में यह 3—4 पीपीएम थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट 1 थी। बीआेडी 12—38 पीपीएम थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट 3 पीपीएम है तथा सीआेडी 39—7४ पीपीएम थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट 25 पीपीएम है। इस अवधि में पीएच लेवल 7$6४—7$7६ थी, जिसके लिए परमिसिबल लिमिट 5$5—9$0 निर्धारित है। ये सभी आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि एनसीएल द्वारा वायु एवं जल प्रदूषण के लिए निर्धारित मानकों से काफी कम प्रदूषण किया जाता है। ज्ञातव्य है कि अब तक 2 करोड़ से अधिक पौधारोपण करने के अतिरिक्त एनसीएल ने वायु एवं जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अपनी परियोजनाआें में 1 ईटीपी, 8 एसटीपी, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर का स्थापन, डस्ट साइक्लोन लगाने, मोबाइल वाटर स्प्रिंकलर का प्रयोग, फायर हाइड्रेंट सिस्टम, कवर्ड सीएचपी एवं एमजीआर के जरिए कोयले का अधिकतम डिस्पैच किए जाने सहित अनगिनत उपाय किए हैं। संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु एवं जल की गुणवत्ता की जांच के लिए एनसीएल की परियोजनाआें की लगातार विजिट के जरिए निगरानी की जाती है।

सोमवार, 4 अगस्त 2014

विद्यालय जो दे रहा दोनों हाथ से अलग—अलग भाषाआें में लिखने का ज्ञान

:— बुधेला गांव में संचालित विद्यालय के बच्चो को छ: भाषाआें की है जानकारी 
:— लिमका बुक रिकार्ड ने भी विद्यालय का किया निरीक्षण

दोनों हाथों से लिखने का गुण सिखते बच्चे।
जनपद सोनभद्र की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के सिंंगरौली जिला मुख्यालय से 15 किमी दूरी पर स्थित बुधेला गांव में संचालित मॉ वीणा वादिनी स्कूल में अध्ययनरत सभी बच्चे दोनो हाथो से अलग-अलग भाषाआे में लिख कर विश्व भर में अपनी प्रतिभा का डंका बजा रहे है। विद्यायल के सफल प्रयास का परिणाम रहा कि बच्चों को हिन्दी, इंगलिश सहित कुल छ: भाषाआे का ज्ञान प्राप्त है। सरकारी अनुदान से वंचित यह विद्यालय क्षेत्र में जहां अपनी अलग पहचान रखता है, वहीं अशिक्षा के अभाव में वंचित क्षेत्र के बच्चों के बीच शिक्षा की ज्योत भी जला रहा है।

देश के प्रथम राष्ट्रपति महामहीम
डा.राजेन्द्र प्रसाद
बुधेला गांव में संचालित मॉ वीणा वादिनी स्कूल 8 जुलाई 1998 में स्थापना के साथ ही कक्षा 1 से 8 तक की शिक्षा शुरू की गयी। इसके बाद से क्षेत्र में शिक्षा से वंचित बच्चों ने शिक्षा ग्रहण करनी शुरू की। स्थापना के बाद से ही विद्यालय ने अनेक प्रतिभावान छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर देश ही नहीं विदेशों में भी अपने कार्य कुशलता का जौहर दिखा। विद्यालय के प्रधनाचार्य वीपी सिंह ने बताया कि सरकारी अनुदान से वंचित यह विद्यालय अपने सामर्थ के बल पर लगातार बढ़ रहा है। मात्र नौ शिक्षकों के बल पर चल रह यह विद्यालय जहां बच्चों को कई भाषाआें को ज्ञान प्रदान करता है वहीं बच्चे दोनों अलग—अलग हाथों से दो भाषाआेें में लिखकर अपनी अलग पहचान बनाता है। विद्यालय के बच्चें हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, अरबी, रोमन, क ला आदि भाषाआें में बेहतर शिक्षा प्राप्त कर इस अर्थ प्रधान युग में आर्थिक रूप से सब बनता है। श्री सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में विद्यालय में लगभग तीन सौ बच्चो को दोनों हाथों से लिखने व कई भाषाआें पारंगत बनने का सफल प्रयास शिक्षकों द्वारा जारी है। विद्यायल के प्रधानाचार्य ने कहा कि अगर विद्यालय को सरकारी अनुदान मिल जाता तो सम्भव था कि आगें की कक्षाआें के लिए जहां भवनों का निर्माण होता वहीं आगें की शिक्षा के लिए बच्चों को भाग दौड़ से मुक्ति मिलती। 

दोनों हाथों से लिखने का गुण सिखते बच्चे।

विद्यालय के संचालक दुर्गा प्रसाद शर्मा ने बताया कि देश के प्रथम राष्ट्रपति महामहीम डा.राजेन्द्र प्रसाद दोनो हाथो से लिखते थे, उन्ही की प्रेरणा लेकर दोनो हाथो से लिखने की कला बच्चों को सिखाया गया। फिर देखा गया कि बच्चे दोनो हाथो से अलग—अलग भाषाआे में लिख सकते है। जो कला बच्चो को सिखाने का निर्णय लिया गया था वह सफल होती नजर आ रही है। उन्होनें बताया कि गांव में 8 प्रतिशत से अधिक लोग अशिक्षित थे, उन्हे शिक्षा देकर आगे बढ़ाने के उद्देश्य से गांव में ही अंग्रेजी मिडियम स्कूल खोलने का निर्णय लिया। पहली से आठवीं कक्षा तक संचालित माध्यमिक विद्यालय में तीन सौ से अधिक बच्चे अध्ययनरत है। बच्चो को दोनो हाथो से अलग—अलग भाषाआे में लिखने की शिक्षा दी जा रही है। हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, रोमन, उर्दू आदि की शिक्षा ग्रहण कर रहे है। सन् 2१२ में विद्यालय के बच्चों की प्रतिभा देखकर लिमका बुक रिकार्ड की टीम भी आकर इसका निरीक्षण किया था लेकिन निरीक्षण का क्या हुआ इस बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी। अगर यह रिकार्ड विद्यालय के नाम दर्ज हो गया होता तो विद्यालय की कायाकल्प ही बदल गया होता। उम्मीद है कि सरकार इन प्रतिभावान बच्चों के प्रतिभा को निखारने के लिए सरकारी अनुदान की व्यवस्था करेगी। जिससे इन बच्चों को और भी बेहतर अवसर उपलब्ध हो सकें।

जानवरों से बत्तर जीवन जी रहे जलजलिया खटाल के रहवासी

:— मुह चिढ़ा रहा है नीजि कम्पनी का सीएसआर कार्यक्रम
:— 5 वर्षों से आबाद बस्ती नहीं मिल पा रही मूलभूत सुविधाएं 

आरपी सिंह/अजय जौहरी 

नाला बना जीने खाने का लाइफ लाईन।
केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा जनता के विकास के लिए हजारों करोड़ रूपये खर्च कर बहायी जा रही विकास रूपी गंगा का सीधा लाभ जनता से कोषों दूर है। विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाले राजनीतिक दल व सरकार आजादी के 67 साल बाद भी लोगों को बिजली पानी जैसी मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा सकी है। औद्योगिक क्षेत्र का दर्जा प्राप्त यह क्षेत्र आज भी आदिमानव की तरह जीवन यापन करने को बाध्य है। जिससे चौमुखी विकास का दावा करने वाले राजनीतिक दल व औद्योगिक संस्थानों द्वारा कागजों पर कार्य पूरा कर अपने ही हाथों से अपनी पीठ थपथपा कर वाहवाही लुटते रहे है। जिनका जनता की समस्याआें से कोई सरोकार नहीं है। 

हिण्डालकों इडस्टी्रज लिमिटेड रेनुकूट
विदित हो कि विश्व पटल पर अपनी ख्याति बटोरती हिण्डालकों इडस्टी्रज लिमिटेड रेनुकूट से सटा जलजलिया खटाल की बस्ती परियोजना के स्थापना काल से ही दुध का व्यवसाय कर लोग किसी तरह अपन जीविकोपार्जन करते रहे है। समय के साथ जहां लगातार कालोनियों का विकास होता गया। वहीं जलजलिया खटाल की स्थिति दिन प्रतिदिन खस्ताहाल होती चली गयी। दशकों से झोपड़ी बनाकर रहे स्थानीय लोग आज भी बिजली पानी व शुलभ शौचालय जैसे मुलभूत सुविधाआें से कोषों दूर है। कालोनियों के निरंतर विकास के कारण स्थानीय जनता के लिए आने—जाने का मार्ग भी बंद कर दिया गया। जिससे लोगों को आवागमन करने में काफी परेशानियों को सामना करना पड़ता है। वहीं यहां निवास कर रहे हजारों लोग आज भी नाले का पानी पीने को मजबूर है। जबकि नगर में स्थित विश्व स्तर की तीन परियोजनाआें द्वारा सीएसआर कार्यक्रम के तहत करोड़ों रूपये खर्च कर विकास कार्य किया जाता है। बावजूद जमीनी स्तर पर इस विकास का असर दिखायी नहीं पड़ता। जिससे ''दीपक तले अंधेरा" की कहावत चरितार्थ होती दिख रही है। वहीं इस मामले पर स्थानीय लोगो का कहना है कि परियोजना दूर-दराज के गांवों में जाकर विकास कार्य को अंजाम देती है लेकिन परियोजना के बगल में स्थित यह क्षेत्र आज भी सीएसआर कार्यक्रम की बाट जोह रहा है। जिससे लोगों को पीने योग्य शुद्ध पानी व बिजली जैसी मूलभूत सुविधाआें का लाभ मिल सकें। पांच दशकों से आबाद जलजलिया खटाल के लोगों का नाम 19९7 के नगर पंचायत चुनाव में शामिल किया गया था और यह मुहल्ला वार्ड नम्बर 7 के रूप में जाना गया परन्तु जब से औद्योगिक नगर घोषित हुआ तब से यह एरिया औद्योगिक नगर एवं नगर पंचायत के विकास से अछुता रह गया। 

रहवासियों को मुंह चिढ़ाता सटा हिण्डालकों कालोनी।
लोकसभा व राज्य सभा का चुनाव आते ही नेताआें की बड़ी—बड़ी फ ौज जलजलिया में पहुच लोगों को विकास के बड़े-बड़े सपने दिखा मतदान करा तो लेते है लेकिन चुनाव समाप्त होते ही न तो प्रतिपक्ष न ही विपक्ष के लोग इन बस्ती में आना पसन्द करते है। जबकि प्रतिनिधियों को स्थानीय लोगों ने पेयजल, शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, आवास, शौचालय इत्यादि मूलभूत समस्याआें के विषय में कई बार अवगत कराया लेकिन आश्वासनों के अलावा बस्ती को कुछ भी हाथ नहीं लगा। लोगों का कहना है कि एनजीटी द्वारा जारी वर्तमान आदेश के अनुसार बस्ती में आरआे सिस्टम लग जाता तो लोगों को कम से कम पीने योग्य पानी तो उपलब्ध हो जाता। रहवासियों में प्रमुख रूप से चन्द्रकेश यादव, राधा यादव, बिजली शाह, राकेश, अशोक, विजय, दिनेश्वर, परमेश्वर, प्रवीण, अरबिंद, उपेन्द्र, वीर दयाल, गावर्धन गुप्ता, सुग्रीव आेझा, लल्लू यादव, भोला सहित सैकड़ों लोगों ने सरकार का ध्यान आकृष्ठ कराते हुए मूलभूत सुविधा के लिए गुहार लगाई है। वहीं जिला प्रशासन को मामले की जानकारी के बावजूद भी चुप्पी साधे बैठे है।

रविवार, 3 अगस्त 2014

ग्रामीणों ने रोका अनपरा एेश पाईप लाईन का काम, रोजाना हो रहा लाखों का नुकसान

ऐश रूपी राख रिहन्द जलाशय में धल्ले से बह रही है।
अनपरा तापीय परियोजना की महत्वकाक्षी योजना अनपरा बेलवादह एेश पाईप लाईन के निर्माण कार्य को ग्रामीणों ने रोक दिया। जिससे अरबों की लागत से बन रहे अनेकों काम पूरी तरह से बंद रहे। इस दौरान परियोजना से निकालने वाले एेश का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। जिसके कारण फटी हुई पाईपों से ऐश रूपी राख रिहन्द जलाशय में धल्ले से बह रही है। काम अवरूद्ध होने के कारण कोई भी संविदा श्रमिक कार्य स्थल जाने को तैयार नहीं जिससे पाईपों में पैचिंग व मरम्मत का काम पुरी तरह ठप हो गया है। फटी हुई पाईपों से निकलती राख सीधे जलाशय में पहुच पानी को प्रदूषित कर रही है। वहीं अधिकारी मामले की जानकारी आधा अधिकारियों के अलावा प्रशासन के अधिकारियों को भी दे दिया है। जिस पर जल्द ही वार्ता कर एेश पाईप लाईन का काम शुरू कराया जायेगा। 

ऐश रूपी राख रिहन्द जलाशय में धल्ले से बह रही है।
विदित हो कि भूमि अधिग्रहण नीति के तहत बेलवादह ग्राम सभा की लगभग शतप्रतिशत लोगों की भूमि अधिग्रहित कर ली गयी थी। दशकों तक मुआबजा की बांट जोह रहे ग्रामीणों का आरोप है कि पाईप लाईन का काम शुरू होने के बाद उन्हें आस थी कि मुआबजा राशि मिल जायेगी, लेकिन 17२ परिवारों के नौकरी के मामले में परियोजना द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। जिससे क्षुब्ध ग्रामीणों ने बेलवादह में हो रहे अनपरा तापीय परियोजना के सारे काम को बंद करा दिया है। जबकि परियोजना 201—202 के दौरान ग्रामीणों को एक-एक लाख रूपये पाईप लाईन का कार्य शुरू करने के लिए दिया था। इसके बाद शुरू हुई अनपरा तापीय परियोजना के एेश डैम व अन्य कार्य दशकों से बेलवादह में निरंतर जारी है। 201—202 के दौरान दी गयी एक-एक लाख रूपये की राशि को परियोजना द्वारा नौकरी के बदले दिये गये राशि के रूप में दिखा दिया गया। इसी के बाद से परियोजना व बेलवादह के ग्रामीणों के बीच जंग जारी है। ग्रामीणों को आरोप है कि उस दौरान दी गयी राशि सिर्फ काम को शुरू कराने के लिए थी लेकिन परियोजना के अधिकारी वाहवाही में ऊर्जा भवन को पत्र लिख नौकरी के बदले की राशि में दर्ज करा दिया गया। जिससे गरीबों का हक मारा जा रहा है। पहले तो परियोजना द्वारा विस्थापितों को मुआबजा देने का विचार नहीं था काफी हो हल्ला व आन्दोलनों के बाद कोर्ट ने जो आदेश दिया था उसका भी पालन नहीं किया जा रहा है। 

सूत्रों की माने तो पाईप लाईन का काम देख रहे अधिकारियों द्वारा शासन व प्रशासन को पत्र लिखकर मामले से अवगत कराते हुए कार्यवाही की मांग कि है। सूत्रों की माने तो अधिकारियों द्वारा लिखे गये पत्र में इस बात का विस्तार से वर्णन है कि विस्थापित हुए परिवारों का सारा मुआबजा वितरित कर दिया गया है। बावजूद ग्रामीण आये दिन काम को अवरूद्ध कर परियोजना को करोड़ों का नुकसान पहुचा रहे है। सूत्रों की माने तो अधिकारियों ने पत्र में इस बात का वर्णन किया है कि कुछ ग्रामीणों के उकसाये जाने के कारण एेसा आये दिन होता है। जिस पर लगाम के लिए कठोर कार्यवाही की जाय। वहीं बेदवादह ग्राम सभा के प्रधान हरदेव सिंह व बालकेश्वर सिंह उर्फ बाके ने बताया कि ग्राम सभा की शतप्रतिशत भूमि राज्य विद्युत उत्पादन द्वारा अधिग्रहित कर ली गयी है। जिसमें से 17२ परिवारों को नौकरी को प्रावधान था। जिसे परियोजना द्वारा नहीं दिया गया है न ही परिवारों को नौकरी के बदले मुआबजा दिया जा रहा। पूर्व में पाईप लाईन का कार्य कराने के लिए कुछ राशि परियोजना द्वारा उपलब्ध करायी गयी थी। जिसे बाद में नौकरी के बदले दिया गया मुआबजा राशि घोषित कर दिया गया। मामला अभी कोर्ट में है परियोजना द्वारा मामले पर जो भी तर्क देने हो कोर्ट में दिया जा सकता है। दशकों से मुआबजा की बाट जोह रहे विस्थापित परिवारों को न तो पूरा मुआबजा दिया गया न ही प्लांट का आवंटन किया गया। जिससे आये दिन ग्रामीण काम में अवरोध डाल रहे। पाईप लाईन का काम बंद होने से जहां पाईप में लिक ेज व मरम्मत का काम पूरी तरह बंद है वहीं फटी हुई पाईपों से गिरता राख रूपी पानी सीधे रिहन्द जलाशय में पहुच पानी को प्रदूषित कर रहा है। 
बोले अफसर...............
" पुरा मुआबजा मिलने के बाद भी ग्रामीणों द्वारा कार्य में अवरोध पैदा किया जा रहा है। महिनों से बद पड़े कार्य के कारण राज्य सरकार को करोड़ों का नुकसना हो चुका है, जब तक काम बंद रहेगा ये नुकसान भी बढ़ता रहेगा। देश हित में बनी रही अनपरा डी परियोजना के निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। अगर समय से निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया होता तो आज परियोजना से उत्पादन शुरू हो गया होता लेकिन आये दिन कार्य में अवरूद्ध के कारण जहां परियोजना का निर्माण कार्य पिछड़ रहा वहीं बिछायी जा रही एेश पाईप लाईन का काम ग्रामीणों द्वारा रोके जाने से इसका सीधा असर अनपरा डी परियोजना के निर्माण पर भी पड़ेगा और उत्पादन में देर लगेगी।"
एई, मजहर हुसैन
अनपरा तापीय परियोजना

ग्रामीणों की सहमति के बाद शुरू हुआ ट्रांसमीशन लाईन का कार्य

:— एडीएम, क्षेत्राधिकारी के अलावा टा्रंसमीशन के अधिकारी भी रहें।

ट्रांसमिशन टावर का निरीक्षण करते अधिकारी व मौजूद ग्रामीण। 
एक हजार मेगावाट की निर्माणाधीन अनपरा डी को अनपरा की अन्य परियोजनाआें से जोडऩे वाली 7६5 केवीए की ट्रांसमिशन लाइन का कार्य ग्रामीणों द्वारा रोके जाने के बाद गुरूवार को अनपरा पहुचे एडीएम मनीलाल, अपर पुलिस अधीक्षक के अलावा क्षेत्राधिकारी पिपरी प्रमोद कुमार यादव व थानाध्यक्ष अनपरा शोभनाथ यादव की मौजूदी स्थलीय निरीक्षण कर ग्रामीणों की समस्याआें से रूब—ब—रूब होते हुए निस्तारण के बैठक कर ट्रांसमीशन लाइन का कार्य पुन: शुरू कराया। अपनी निर्धारित ऊचाई से कम निर्मित टावर के कारण कंरट के झटके लगने की शिकायत ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से की थी। जबदस्त विरोध के बाद अवरू द्घ ट्रांसमीशन के लाईन को चालू करने के लिए लिए प्रशासन की आेर से सभी पहलुआें पर गम्भीरता से विचार किया गया। ग्रामीणों की मांग पर ट्रासंमीशन लाईन को अन्य स्थान पर ले जाने की मांग पर प्रशासन की आेर से साफ शब्दों में निर्देंश दिये गये कि यह सम्भव नहीं है। टांसमीशन लाईन से लगने वाले करंट के झटको से बचाव के लिए जहां टावर की ऊचाई बढ़ाई जा रही है। वहीं टावर की जद में आने वाले घरों को चिंहित कर नोटिस देने के बाद पुर्नवास की प्रक्रिया को पुरा किया जायेगा। 

ट्रांसमिशन टावर का विरोध करते ग्रामीण।
वहीं ग्रामीणों के चौतरफा विरोध के देखते हुए ट्रांसमिशन विभाग के अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहें। घंटों चले जद्दोजहद के बाद इस बात पर ग्रामीणों एवं विभाग के बीच सहमति बनी की ट्रांसमीशन लाईन की जद में आने वाले घरों को चिंहित कर विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जायेगा। नोटिस की प्रक्रिया पुरी होने के बाद विभाग प्रभावित परिवारों को पुर्नवास का लाभ दिया जायेगा। घंटो चली बैठक में सहमति बनने के बाद ग्रामीणों ने ट्रांसमीशन लाईन का कार्य शुरू करने दिया। इस मौके पर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कुलडोमरी रामचन्दर जायसवाल, रंजीत गुप्ता, दिलराज देवी, इंद्र मणि देवी, विंध्याचल, केसी जैन, पंकज मिश्रा, त्रिभुवन तिवारी, हरि जायसवल, जायसवाल, प्रह्लाद गुप्ता, फकीर चंद्र, रामजनम गुप्ता, सीताराम गुप्ता, पवन कुमार, आेमप्रकाश, रामसजीवन, आदि मौजूद रहे।

कुलडोमरी ग्राम सभा की खुली बैठक में कई प्रस्ताव पारित

:— 3३0 पात्रों को आवास देने पर हुआ मंथन 
:— ग्रामीणों को अब मनरेगा के लिए मिलेगा 156 रूपए 

जनपद के सबसे बड़े ग्राम सभा कुलडोमरी के पंचायत भवन पर खुली बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य वित्त तथा 13वां वित्त के कार्ययोजना का खाका खींचा गया। बैठक की अध्यक्षता ग्राम प्रधान किरन देवी ने किया। इस दौरान 30 से अधिक ग्रामीण मौजूद रहे।  खुली बैठक के बारे में जानकारी देते हुए सेक्रेटरी अजय सिंह ने बताया कि ग्राम सभा में एससी/एसटी के लिए 3३0 आवासों का लक्ष्य है। जिसके पात्रों के चयन के लिए खुली बैठक में वार्ता की गई। यहा 45 हैंडपंप है जिसके मरम्मत तथा पानी की किल्लत न हो इसके लिए भी खुली बैठक में चर्चा की गई। मौजूद ग्रामीणों को बताया गया कि इस सप्ताह से मनरेगा की मजदूरी 12 रूपए से बढ़ाकर 156 रूपए कर दिया गया है। इस दौरान जन्म तथा मृत्यु का पंजीयन भी कराने पर जोर दिया गया। सेक्रेटरी ने बताया कि विधवा, वृद्धा तथा विकलांग पेंशन के लिए फार्म भी वितरित कर पात्रों का चयन किया गया। कहा कि आय प्रमाण पत्र न मिलने से पांच सौ से अधिक पात्रों की कागजी कार्रवाई वे पूर्ण नहीं करा पा रहे है। खुली बैठक में कई तरह के रूके हुए कार्यं का भी प्रस्ताव कराया गया। इस मौके पर ग्राम सभा के सदस्य राम दयाल वैश्य, बद्री प्रसाद कनौजिया, रमेश गुप्ता, ईश्वर कनौजिया, नंदलाल भारती, तुलसी दास, लल्लू राम आदि मौजूद रहे।

कई वार्ता के बाद भी जारी है ट्रांसमिशन लाईन को लेकर गतिरोध

एक हजार मेगावाट की निर्माणाधीन अनपरा डी को चार्ज करने के लिए आपूर्ति की जा रही 765 केवीए की ट्रांसमिशन लाइन के कार्य को लेकर जारी गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। लगभग एक माह से जारी विवाद के कारण 765 केवी ट्रानमिशन लाईन का कार्य कई बार रोकना पड़ा है। शुक्रवार को एसडीएम की अध्यक्षता में विदेशी अतिथि गृह में चली घंटो वार्ता के बाद भी विवाद पर कोई सार्थक पहल नहीं निकल सकी एवं बैठक से विस्थापित प्रतिनिधि उठकर चलते बनें। 

अनपरा सी से अनपरा डी को आपूर्ति हो रहे 765 केबी ट्रांसमिशन लाईन के कारण कई बार ग्रामीणों की जान जोखिम में पड़ चुकी है। बस्ती से होकर गुजर रही ट्रांसमिशन लाईन के कारण टावर के आस-पास के घरों में जहां झटके लगते रहे थे। वहीं ट्रांसमिशन लाईन के जद में आने वाले एक पिपल का वृक्ष भी पुरी तरह झुलस गया था। जिसे बाद मे प्रशासन की सहायता से कटवाया लेकिन इस सब के बावजूद भी ग्रामीणों को कुछ खास लाभ नहीं मिला। अंत में ग्रामीणों ने टावर की ऊचाई बढ़ा रहे ट्रांसमिशन के अधिकारियों को कार्य करने से रोक दिया एवं अन्य मार्ग से बिजली आपूर्ति करने की बात कहीं थी। बाद में कई वार्ता के बाद इस बात पर सहमति बनी कि ट्रांसमिशन लाईन के जद मे आने वाले परिवारों को पुर्नवास का लाभ देकर अन्य स्थान पर बसाया जायेगा। शुक्रवार को एसडीएम की मौजूदगी में ट्रांसमिशन लाईन के जद में आने वाले परिवारों को चिंहित किया गया। इसके बाद देर शांय विदेशी अतिथि गृह में एसडीएम अभय पाण्डेय, अनपरा तापीय परियोजना से अभियंता रविशंकर राजीव, ट्रांसमिशन के अधिकारी राहुल आेझा के साथ विस्थापितों की घंटो चली बैठक में समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया गया लेकिन इस पर किसी प्रकार की सहमति नहीं बन सकी। बैठक में कई बिन्दूआें पर बारिक ी से चर्चा हुई। आखिर में विस्थापित प्रतिनिधि सार्थक हल न निकलता देख बैठक से उठकर चले गये। विस्थापित प्रतिनिधियों ने साफ और सीधे शब्दों में अधिकारियों को अवगत कराया दिया कि जबतक प्रभावित परिवारों को पुर्नवास का लाभ नहीं दिया जाता। ट्रांसमिशन लाईन का कार्य पूरी तरह बंद होना चाहिए। इस अवसर पर पंकज मिश्रा, बालकेश्वर सिंह, रामचन्दर जायसवाल के साथ भारी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहें।

शनिवार, 2 अगस्त 2014

सडक़ो पर पानी छिडक़ाव नही होने से उड़ रहा धुल

कांटा बैरियर के समीप उड़ते धुल एवं कोयले के कण।
एनसीएल के लाक बी परियोजना के कांटा बैरियर से निकलने वाले मार्ग पर पानी का छिडक़ाव नही होने से कोयला के धुल उडऩे से राहगीरो को चलना मुश्किल हो गया है। उड़ते धुलो के बीच भारी वाहनो के चलने पर दूर्घटना की आशंका बनी रहती है। कभी कभार तो कोयला के कणो के साथ इतना अधिक धुल उड़ता है कि राहगीरो एवं भारी वाहनो के चालको को कुछ नही दिखाई देता। जिससे कई बार दूर्घटनाएं हो जाती है। जबकि परियोजना में कोयला ट्रांसर्पोटिंग करने वालो ट्रांसर्पोटरो को पानी का छिडक़ाव करने का अनुबंध है। इसके बावजूद भी पानी का छिडक़ाव नही किया जा रहा है। श्रमिक संगठनो स्थानीय लोगो द्वारा पानी छिडक़ाव को लेकर चक्काजाम हड़ताल किया गया। जिससे कई घंटे तक ट्रांसर्पोटिंग कार्य प्रभावित रहे। परियोजना प्रबंधन एवं प्रशासन के आश्वासन के बाद हड़ताल समाप्त किया गया। बताया जाता है कि प्रबंधन द्वारा कोयला ट्रांसर्पोटरो को पानी छिडक़ाव करने के आदेश के बावजूद भी कभी कभार दिखावे के लिए टैंकर से पानी का छिडक़ाव कर दिया जाता है। स्थानीय लोगो एवं चालको ने प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराकर मार्ग पर पानी छिडक़ाव कराने की मांग की है।

सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण की जारी है कोशिशे, प्रशासन खामोश

:— झिंगुरदह बैरियर के आस पास अतिक्रमण 

एनसीएल के झिंगुरदह परियोजना कांटा बैरियर के आस—पास खाली पड़ी जगहो पर अतिक्रमणकारियों द्वारा हरे वृक्षो को काटकर जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। उक्त भूमि पर वन विकास निगम द्वारा पर्यावरण को बनाये रखने के लिए वृक्ष लगाया गया था। अतिक्रमण कारियो द्वारा हरे वृक्षो को काटकर उक्त जमीन पर कब्जा कर मकान बनाने का कार्य जोरोंपर जारी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर पालिक निगम के मोरवा जोन अन्तर्गत आने वाले विभिन्न वार्डो में खाली पड़ी शासकीय जमीनो पर एनएच के विस्थापितो द्वारा अतिक्रमण कर मकान बनाया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग 75 ई के फोर लेन निर्माण कार्य में जिन लोगो की जमीन फंस रही थी उनके जमीन एवं भवन के मुआवजा का भुगतान कर दिया गया है। मुआवजा पाने वाले में से कुछ लोगो की नजर दूसरी जगह खाली पड़ी शासकीय जमीनो पर पड़ गयी है। शासकीय जमीन पर बेरोक टोक कब्जा करना शुरू कर दिये है। राजस्व विभाग, वन विभाग, नगर पालिक निगम एवं रेलवे तथा एनसीएल की खाली पड़ी जगहो पर प्रशासन की नजर नही पडऩे से चटका नाला, चन्द्रपुर, पंजरेह बस्ती आदि स्थानो में खाली पड़ी भूमि पर अवैध कब्जा कर बेचने का कार्य किया जा रहा है। आचार संहिता में अधिकारियो एवं कर्मचारियो के व्यस्त रहने का फायदा अतिक्रमणकारी अपने कार्य को निपटने में लगे है। स्थानीय लोगो ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कर उचित कार्रवाई की मांग की है।

सीबीआई छापे से बेअसर आेबी कम्पनियों में फिर शुरू हो गया डीजल में सब्सीडी की चोरी

:— बल्क रेट पर डीजल खरीदने की जगह रिटेल पम्पों से हो रही खरीद
:— एनसीएल मध्य प्रदेश क्षेत्र के आेबी मे जारी है बदस्तुर 

लेखक - आरपी सिंह /गोविन्द मिश्रा

तेल कम्पनियों व जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण एनसीएल के आऊट सोर्सिंग कम्पनियों मे भारत सरकार द्वारा दी जा रही सब्सीडी युक्त डीजल में करोड़ों रूपये का राजस्व का नुकसान पहुचाया जा रहा है। रिटेल पंपों से सब्सीडी युक्त डीजल खरीद कर एनसीएल के आधा दर्जन आउट सोर्सिंग कम्पनियां उपयोग कोयला खदानों के लिए कर रही है। जिससे भारत सरकार को करोड़ों का घाटा सहना पड़ रहा है। एनसीएल के अमलोरी, जयंत, दुद्धीचुआं, निगाही, झिंगुरदह परियोजनाआें में कार्यरत आउट सोर्सिंग कम्पनियों द्वारा नियम को ताख पर रखकर आईआेसीएल से बल्क रेट पर डीजल खरीदने की बजाय रिटेल पम्पों से ही डीजल कर खानापूर्ति कर ली जा रही है। रिटेल पम्पों से खरीदे गये डीजल का उपयोग खदानों में संचालित भारी भरकम मशीनों को चलाने में किया जा रहा है। 

तेल टंकी पर आेबी कम्पनी के लगे टैंकर में भरते डीजल
विदित हो कि एनसीएल के आेबी कम्पनियों में उपयोग किये जा रहे सब्सीडी युक्त डीजल का मामला प्रकाश में आने के बाद राष्ट्रीय सहारा ने इसे प्रमुखता से उठाया था। इस बात को संज्ञान में लेकर लखनऊ से आयी क्राईम ब्रांच सेल के डीप्टी एसपी सीबीआई राजीव कुमार की टीम ने उत्तर प्रदेश में स्थित पांच आेबी कम्पनियों में छापेमारी कर हडक़म्प मचा दिया था। इस दौरान आउट सोर्सिंग कम्पनियों में उपयोग किये गये डीजल का व्योरा लेकर कार्यवाही हेतु चले गये। इसके बाद से जारी सब्सीडी युक्त डीजल के उपयोग से कम्पनियों ने तौबा कर लिया लेकिन समय बितने के साथ ही आेबी कम्पनियों में समाया भय खत्म हो गया और फिर से यह धंधा बदस्तुर जारी हो गया। सीबीआई छापेमारी से बची मध्य प्रदेश की लगभग आधा दर्जन कम्पनियों ने मामले को छुपाने के लिए निजी डीजल पंप सिर्फ दिखावे के लिए स्थापित कर रिटेल पम्पों से ही डीजल की सप्लाई लेनी शुरू कर दी। जबकि टेन्डर के मुताबिक इन्हें आईआेसीएल से बल्क रेट पर डीजल खरीदना है परन्तु स्थानीय पुलिस, जिला प्रशासन एवं एनसीएल प्रबंधन की अनदेखी व मिली भगत से रिटेल सब्सीडी रेट पर ही डीजल खरीद कम्पनी के लोग मालामाल हो रहे है। वहीं आम उपभोक्ताआें को मिलने वाली सब्सीडी का गलत इस्तेमाल कर सरकार को करोड़ों का चुना लगाने में लगे है। सीबीआई छापेमारी के बाद कुछ महीनों तक कम्पनियों द्वारा बल्क रेट पर ही डीजल लिया जा रहा था लेकिन इस छापेमारी की छाप धूमिल होते ही रिटेल पंप मालिक एवं आउट सोर्सिंग कम्पनियां दोनों हाथों से राजस्व को लूटने में फिर से मशगूल हो गयी है। आपूर्ति लेने वाली कम्पनियों में उपयोग हुए डीजल का लेखा—जोखा लिया जाय तो मामले का भेद खुल जायेगा, और सरकार को लग रही करोड़ों की चपत पर भी विराम लग सकता है। आईआेसीएल, बीपीसीएल व एचपीसीएल द्वारा पेट्रोल पम्पों को सब्सीडी वाले डीजल को बल्क में न देने के बावजूद भी मध्य प्रदेश साईड में पेट्रोल पम्पों से डीजल का खुला खेल खेला जा रहा है। जबकि इस मामले को पत्रकारों ने एनसीएल दौरे पर आये कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल के समाने भी उठाया था। कोयला मंत्री ने इस मामले पर सीधे तौर पर कहा था चोरी करने वाली की जगह जेल में होनी चाहिए, चाहे वह सरकारी व गौर सरकारी कार्य में लगे हो। 
अधिकारी बोलें :— 

" इस संदर्भ में सिंगरौली जिले कें पेट्रोल टंकी से एनसीएल के आेबी सहित अन्य जगहों पर दिए जा रहें बल्क में डीजल के बाबत जिलापूर्ति अधिकारी सिंगरौली बीआर डोंगरे ने बताया 22 सौ लीटर तक डीजल विभिन्न टंकियों पर देनें की अनुमती है। लेकिन तेंल कम्पनियों के नियमानुसार ही बल्क में डीजल देना बिल्कुल ही मना है। इसके बावजूद अगर टैंकर से सीधी आपूर्ति की जा रही है, पुक्ता जानकारी मिलनें पर सम्बंधित पम्पों का निरस्तीकरण की भी कार्यवाही हों सकती है वहीं तेल कम्पनी आईआेसीएल के सेल्स आफिसर सिंगरौली ने बताया इस तरह की जानकारी हमारे पास नहीं मिली है। आप के द्वारा जानकारी मिलने के बाद इस बात को पता कर पाबंद किया जायेगा।"

एनजीटी के आदेश के बाद भी नहीं लग सका परसवार चौबे में आरआे सिस्टम

नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल के आदेश पर क्षेत्र में शुद्ध पेयजल आपूर्ति योजना से मूल गांव परसवार चौबे वंचित होता नजर आ रहा है। जिला प्रशासन द्वारा तय केंद्रों में आरआे सिस्टम लगाने के लिए अभी तक इस गांव को चिन्हित नहीं किया गया है। एनटीपीसी सिंगरौली विद्युत गृह को प्रशासन द्वारा मिले छह केंद्रों में से चार जगहों पर ग्राम चिल्काटांड, परसवार राजा है। देश के प्रथम पंचवर्षीय योजना के तहत निर्मित रिहन्द जलाशय से विस्थापित किये गये ग्राम परसवार चौबे निवासी प्रारम्भ से ही दुर्भाग्यशाली रहे है। इस गांव की सारी कृषि जमीनें रिहन्द डूब जाने से क्षेत्र में कृषि उत्पादन न के बराबर है। बची हुई भूमि को सिंगरौली विद्युत गृह निर्माण के लिए अधिग्रहित कर ली गयी। खोड़वा पहाड़ के ठीक नीचे आबाद इस गांव में खाने के साथ—साथ पीने के पानी की शुरू से ही भारी समस्या रही है। एनजीटी के आदेश पर गांव—गांव में लग रहे आरआे सिस्टम से गांववासियों की उम्मीद बंधी परन्तु अभी तक आरआे सिस्टम लगाने हेतु इस गांव में किसी स्थान को चिन्हित नहीं किया गया। जिससे लोग मायूस है। एनटीपीसी के सीएसआर$ प्रभारी ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा प्राप्त लोकेशन पर ही आरआे सिस्टम लगाकर शुद्ध पेय जल व्यवस्था करनी है जबकि ग्राम परसवार राजा एवं परसवार चौबे नाम से भ्रमित उपजिलाधिकारी ने क्षेत्र का दौरा कर आरआे लगाने हेतु कार्यवाही की बात कही है।

ऊर्जांचल व सिंगरौली में बढ़ते प्रदूषण के चलते परिक्षेत्र में नहीं लगेगी नई परियोजनाएं

:— इन्डेक्स 8 के नीचे आने पर ही लग सकेगे नये उद्योग
:— जांच टीम एनजीटी टीम को 19 फरवरी को सौपी थी अपनी रिपोर्ट

प्रेस वार्ता के दौरान जानकारी देते जांट टीम के सदस्य। 
नेशनल ग्रीन ट्रीनव्यूनर द्वारा गठित प्रदूषण जांच समिति के नामित सदस्यों ने ऊर्जांचल के विभिन्न स्थानों का अवलोकन कर बताया कि यदि सीपी 8 से नीचे नहीं आ जाता तब तक सिंगरौली परिक्षेत्र में एक भी परियोजाओ का एनओसी नहीं दी जायेगी। प्रदूषण जांच समिति टीम ने ऊर्जांचल के विभिन्न स्थानों पर रिहंद जलाशय का सेम्पल लेने के बाद विशेषज्ञों ने बताया कि बगैर प्रदूषण नियंत्रण के भविष्य में कोई भी उद्योग लगाना बेहद खतरनाक है। इन्वायमेंटल पाल्यूसन इन्डेक्स अर्थात ईपीआई का स्तर 8 से उपर है जो मानव जीवन के लिए जान लेवा साबित हो रहा है। सिंगरौली परिक्षेत्र में उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने ऐस डाइक से सीधे रिजर्व वायर में ऐस छोडऩे पर गहरी चिंता जताई एवं कहा कि इसको गम्भीरता से लिया जा रहा है। जांच समिति की अगुवाई कर रहे एबी अकोलकर ने पत्रकारों से बताया कि रिहंद जलाशय उद्योगों से निकल रही राख के मिश्रित होने के कारण क्षेत्र की कई स्थानों पर पानी एवं हवा में गम्भीर रसायन का रूप धारण कर लिया है। जिसकी एक रिर्पोंट तैयार कर एनजीटी को भेजी जायेगी। समिति ने आश्वासन दिया कि सडक़ से हो रहे कोल परिवहन से फैल रहे वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा इसको रोकने के लिए उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ सोनभद्र इकाई के जिला महासचिव संजय द्विवेदी द्वारा दिये गये पत्रक को सज्ञान में लेते हुए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नामित सदस्यों ने कहा कि रेनूसागर पावर द्वारा कृष्णशीला परियोजना में इजात की गयी पाईप कन्वेयर बेल्ट सिस्टम बेहद इको फ्रेडली है। इसे रेलवे से एनओसी दिलाने के लिए माननीय राष्ट्रीय हरित आयोग को भी अवगत करायेगे। ताकि ट्रक के 7 सौ फेरों से निजात मिल सके। जांच समिति ने बताया कि ऊर्जांचल के विभिन्न स्थानों का अवलोकन कर एक रिर्पोट तैयार कर 19 फरवरी को रिपोर्ट सौप दे दी गई है.